बगहा(BAGHA): बिहार के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व का जंगल आजकल पर्यटकों के बिना सुनसान पड़ा हुआ है. ऐसे में वीटीआर में रहनेवाले वन्यजीवों को भी राहत मिल रही है. सुनसान पड़े जंगल से खुशनुमा मौसम का आनंद लेने के लिए तेंदुआ, बाघ, भालू,हिरण सहित अन्य जीव बाहरी क्षेत्र में दिखाई देने लगे हैं. ऐसा ही एक अद्भुत नजारा शनिवार की सुबह इको पार्क में देखने को मिला, जहां एक भालू और दो कुत्ते आपस में अठखेलियां करते हुए नजर आए.मोतिहारी से आये पर्यटकों ने कहा कि भले ही हमें जंगल सफारी करने का मौका नहीं मिला, लेकिन इको पार्क में भालू और कुत्ते की अठखेलियां देख मन गदगद हो गया.
जंगली जानवरों का घूमना सुरक्षा की दृष्टि से सही नहीं है
वास्तव में वाल्मीकिनगर बिहार का कश्मीर है. बता दें कि आए दिन वीटीआर के जंगल से निकल वन्यजीव खुले क्षेत्रों में विचरण करते हुए देखे जा रहे हैं.इसका मुख्य कारण 29 जुलाई से पर्यटन सत्र की समाप्ति होना है.जंगल आवागमन नहीं होने के कारण वन्य जीव सुनापन महसूस कर बाहर निकल रहे है. हांलांकि सुरक्षा के दृष्टिकोण से यह अच्छा नहीं है, लेकिन पर्यटकों को यह दृश्य मनमोहक लग रहा है.वीटीआर के जंगल में पर्यटकों को एक महीने के अंदर यह चौथा ऐसा दृश्य है, जिसे देखकर पर्यटक रोमांचित हो उठे हैं.इससे पहले वॉच टावर पर भालू का चढ़ना उतरना, दो शावकों के साथ मादा भालू का उछल कूद करना, और जल संसाधन विभाग के जलापूर्ति केंद्र के पास भालू का डेरा जमाना देखा जा चुका है.
वन्य जीवों के प्रजनन का समय माना जाता है मॉनसून सत्र
ऐसा माना जाता है कि ये वन्य जीव आम के मीठे फल को खाने के लिए बाहरी क्षेत्र में स्थित आम के बगीचे में पहुंच रहे हैं.जंगल में भालुओं की संख्या पहले से ज्यादा हो चुकी है. हालांकि वन विभाग बाघ को छोड़कर किसी अन्य जीव का गिनती नहीं करता है, फिर भी आकलन लगाया जा रहा है कि वर्तमान में बर में 100 से ज्यादा भालू निवास कर रहे हैं.वन विभाग के द्वारा 4 महीने तक पर्यटन सत्र की समाप्ति 29 जून से करने का मुख्य कारण वन्य जीवों का प्रजनन समय माना गया है.वीटीआर में बाघों की संख्या 54 से ज्यादा है.इस मौसम में जंगल में रहनेवाले वन्य जीव प्रजनन क्रिया करते हैं.जिसके कारण वे भटक कर जंगल के बाहरी क्षेत्रों में आ जाते हैं.रेंजर राजकुमार पासवान ने बताया कि भालू, बाघ, तेंदुआ यह एक ऐसा जानवर है, जिससे जान का खतरा बना रहता है.उसके पास जाना खतरे से खाली नहीं है.इनके दिखाई देने पर इसकी सूचना वन विभाग को दे उनसे छेड़छाड़ ना करें.