टीएनपी डेस्क(Tnp desk):-पलटू राम, पलटू चाचा और कुर्सी कुमार जैसे नामों से नीतीश कुमार शुमार किए जाते हैं. सियासत की पलटी मारते-मारते नीतीश इतने निपुण हो गये हैं कि पलटी कुमार भी इन्हें बोला जाता है. उनका इतिहास ही पाला बदलने का रहा है. बिहार से लेकर देश का आवाम जानता है कि एक जगह स्थिर रहने वाले नीतीश नहीं है.वो मौके की सियासत सत्ता के लिए करते हैं. न उनकी विचारधारा है और न ही कोई मापदंड. पिछले दो दशक में देखे तो नीतीशे कुमार मुख्यमंत्री बने रहें . इस दरम्यान राजद और बीजेपी उनकी बैसाखी बनीं रही.
सुशासन बाबू का पिछले पन्ने तो पलटी मारने से भरे पड़े हैं. लेकिन, पिछले चार साल को देखे तो भी उनकी पलटियां कुछ ज्यादा रही . इस दौरान नीतीश कुमार ने दो बार इस्तीफा दिया और तीन बार सरकार बनायी . चलिए तफसील से आपके नीतीश बाबू की पलटी वाली कहानियां बताते हैं.
2020 में बीजेपी के साथ बनायी सरकार
नीतीश ने 2017में महागठबंधन से पलटी मारकर बीजेपी के साथ हुए थे और 2020 बिहार विधानसभा चुनाव में सरकार बनायी थी. इस दरम्यान भी मुख्यमंत्री नीतीश ही बनें, जबकि उनकी पार्टी ने महज 45 सीट जीती थी , जबकि उसकी सहयोगी भाजपा ने 78 सीट लायी थी. इतनी कम सीट जेडीयू लाने के बाद भी भाजपा ने दरियादिली दिखायी और नीतीश को मुख्यमंत्री बनाया. सबकुछ ठीक चल रहा था, लेकिन, नीतीश के मन में कुछ दूसरी ही ख्वाहिशें पल रही थी. इसका रिजल्ट देखने को मिला .
2022 में भाजपा से फिर हट गये
भाजपा में रहकर नीतीश बाबू ने लगातार लालू परिवार के खिलाफ हमला बोलते रहें. लेकिन, अचानक 2022 में फिर पलटी मार दी और भाजपा से अलग होकर आरजेडी,कांग्रेस और वाम दल के साथ मिल गये. एकबार फिर खुद सीएम बनें और तेजस्वी को डिप्टी सीएम बना दिया. इस दरम्यान भाजपा के खिलाफ खूब बोलते रहे. एनडीए को हराने के लिए इंडिया की गठबंधन देशभर में तैयार कर लिया और यह बोलते फिरते थे कि देश का लोंकतंत्र खतरे में हैं. इसे बचाने के सभी को एक होना पड़ेगा . भाजपा के खिलाफ सभी को एकजुट करने के बाद नीतीश कुमार सभी को भरोसे में लेकर एकबार फिर पलटी मार दी है.
2024 में महगधबंधन से अलग हुए
17 महीने महगठबंधन से रहने के बाद 28 जनवरी को राज्यपाल को नीतीश कुमार इस्तीफा दे दिया और एकबार फिर भाजपा के साथ जुड़ गये. अब फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही बनेंगे. इन चार सालों में देखे तो नीतीश बाबू की पलटी ने चार सालों में दो बार इस्तीफा दिया और तीन बार सरकार बनायी.
बिहार की सियासत को समझे जाने और पिछले पन्ने पलटे तो पलटू राम नीतीश कुमार ने पिछले दो दशक तक भाजपा और राजद को नचाते रहें. सहयोगी कोई भी हो लेकिन, मुख्यमंत्री की कुर्सी उनकी फिक्स है. रविवार की शाम बिहार में नौवी बार नीतीश कुमार सीएम पद की शपथ लेंगे .
एक बात तो यहां साफ है कि भाजपा और राजद लगभग दो दशक से नीतीश के इर्द गिर्द ही घूमती रही. बेशक उनकी पार्टी के विधायकों की संख्या जेडीयू से ज्यादा ही क्यों न हो . लेकिन, बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार ही सर्वेसर्वा बनें रहें. भाजपा और आरजेडी तो उनके इशारे पर ही काम करती रही.
सवाल ये है कि अब देखना है कि नीतीश कब तक भाजपा के साथ ठहरते हैं.