हाजीपुर(HAJIPUR):जब भी किसी पर अन्याय होता है, तो वो न्याय के लिए कोर्ट की शरण में जाता है.कभी-कभी कोर्ट की ओर से ऐसे फैसले सुनाये जाते हैं जिसको सुनकर लोग हैरान भी हो जाते हैं. बिहार के हाजीपुर से एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जहां सड़क दुर्घटना में शख्स की मौत के बाद अदालत ने मुआवजा देने का फैसला सुनाया था, लेकिन सालों बीत जाने के बाद भी सरकार की ओर से मुआवजा नहीं दिया गया, जिसके बाद फिर कोर्ट में शिकायत करने पर कोर्ट ने एक हैरतगंज फैसला सुनाते हुए डीएम ऑफिस को ही नीलाम कर मुआवजा देने का इश्तहार जारी कर दिया है.
पढ़ें पूरा क्या है मामला
दरअसल ये मामला साल 2000 का है, जहां बिद्दूपुर थाने के चकसिकन्दर में सरकारी रोड रोलर से हुए हादसे में फैज खलीफा नाम के सख्स की मौत हो गई थी,जिसके बाद कोर्ट में मुआवजा के लिए केस फाइल किया गया था. जिस पर 4 सितंबर 2019 को वैशाली व्यवहार न्यायलय ने दो महीने के अंदर पीड़ित पक्ष को 8 लाख 10 हजार 840 रुपये मुआवजा देने का निर्णय सुनाया था.सरकार को मुआवजा देना था,लेकिन सालो गुजर जाने के बाद भी पीड़ित पक्ष को मुआवजा नहीं मिला.पीड़ित पक्ष ने मुआवजे नहीं मिलने और देरी की शिकायत कोर्ट से की तो कोर्ट ने सरकार की संपत्ति नीलाम कर मुआवजे की रकम पीड़ित पक्ष को देने का फैसला किया और नीलामी की प्रक्रिया शुरू करते हुए डीएम आफिस को नीलामी का इश्तेहार थमा दिया है.
अगले आदेश तक डीएम आफिस की किसी भी संपत्ति खरीदने बेचने पर रोक
जिसके बाद जिला प्रशासन को थमाए गए नीलामी इश्तेहार में कोर्ट ने अगले आदेश तक डीएम आफिस और कार्यालय की किसी भी संपत्ति खरीदने बेचने पर रोक लगा दी है. पीड़ित पक्ष के वकील अविनीश कुमार ने बताया कि कोर्ट ने अपने नीलामी वाले इश्तेहार में प्रशासन को शुद्ध समेत मुआवजे की रकम आदायगी का आदेश दिया है और इस मामले में अगले 18 मई को जबाब देना का समय दिया है, जिसके बाद कोर्ट नीलामी की कार्यवाही कोर्ट शुरू कर सकता है.सरकारी कामो में लेटलतीफी और लालफीताशाही की कहानी कोई नई बात नहीं है नई बात है तो लापरवाही वाले सरकारी अंदाज पर कोर्ट का सख्त फैसला.
24 साल पहले का है मामला
यह मुकदमा सन 2000 में रोड रोलर से एक एक्सीडेंट से संबंधित है.जिसको बहुत लंबे समय के बाद 2019 में फैसला आया और 2019 के फैसले को 2024 तक सरकार ने उस आदेश का पालन नहीं किया.सरकारी वकील ने ना तो कोई अपील किया ना ही भुगतान किया. उसके बाद कोर्ट ने कलेक्ट्रेट को नीलाम करने का नोटिस दिया.जो सीपीसी के तहत होता है.