☰
✕
  • Jharkhand
  • Bihar
  • Politics
  • Business
  • Sports
  • National
  • Crime Post
  • Life Style
  • TNP Special Stories
  • Health Post
  • Foodly Post
  • Big Stories
  • Know your Neta ji
  • Entertainment
  • Art & Culture
  • Know Your MLA
  • Lok Sabha Chunav 2024
  • Local News
  • Tour & Travel
  • TNP Photo
  • Techno Post
  • Special Stories
  • LS Election 2024
  • covid -19
  • TNP Explainer
  • Blogs
  • Trending
  • Education & Job
  • News Update
  • Special Story
  • Religion
  • YouTube
  1. Home
  2. /
  3. Trending

चैैैत्र नवरात्र की शुरुवात, जानिए मां दुर्गा के नौ रुपों का महत्व  

चैैैत्र नवरात्र की शुरुवात, जानिए मां दुर्गा के नौ रुपों का महत्व  

RANCHI:11 अप्रैल से चैत्र नवरात्र की शुरुआत कलश स्थापना के साथ शुरू हो गई है, साथ ही  हिन्दू नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा , विक्रम संवत 2081 की भी शुरुआत हो रही हैं. चैत्र नवरात्र में नव दुर्गा की पूजा लोग मंदिर और घरों में श्रद्धा के साथ करते है. और अपने परिवार की सुख शान्ति की कामना करते है. नवरात्र में मां दुर्गा की 9 स्वरुपो की पूजा की जाती हैं. जिनकी उपासना करने की अलग-अलग महत्व  होती हैं.

9 दिन माता के नौ फलदायी स्वरूपों की पूजा वंदन की जाती है

(प्रथम शैलपुत्री)
नौ दिन माता दुर्गा के अलग अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है,वहीं पहले दिन माता के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा की जाती हैं. बता दे कि शैल का मतलब पहाड़, चट्टान है. देवी दुर्गा ने पार्वती के रुप में हिमालय के घर में जन्म लिया हैं. इसी कारण देवी का पहला नाम शैलपुत्री हैं. मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना धन, रोजगार और स्वास्थ्य के लिए की जाती है और मां शैलपुत्री हमें जीवन में सफलता मिले इल लिए हमें सही राह दिखाती हैं. 

(द्वितीय ब्रह्मचारिणी)
दूसरे दिन माता के दूसरे स्वरूप माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा स्तुति की जाती हैं, जिनकी पूजा से शुभ फल मिलते हैं. ब्रह्मचारिणी का अर्थ जो ब्रह्मा के बताए गए रास्ते पर चले ,जो ब्रह्म की प्राप्ति कराती हो। जीवन में सफलता पाने के लिए सही राह और नियमों पर चलने की बहुत आवश्यकता होती है इसलिए मां ब्रह्मचारिणी हमेशा संयम और नियम से रहने की सिख देती हैं. एंव ब्रह्मचारिणी की पूजा शक्तियों को पाने के लिए की जाती है। इनकी पूजा से कई सुख शान्ति और सिद्धियां मिलती हैं. 

(तृतीय चंद्रघंटा)

तीसरे दिन माता के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की स्तुति की जाती है जिनके माथे पर घंटे के आकार की चंद्रमा है,  इसलिए इनका नाम चंद्रघंटा है मां चंद्रघंटा संतुष्टि की देवी हैं मां की पुजा करनें सें जीवन में संतोष प्राप्त होता हैं. 

(चतुर्थकम कुष्मांडा)
नवरात्र के चौथे दिन माता कुष्मांडा की पूजा की जाती है कुष्मांडा देवी का चौथा स्वरूप है ग्रंथों के अनुसार इन्हीं देवी की मंद मुस्कार से ब्रह्मांड की रचना हुई थी. जिससे इनका नाम कूष्मांडा पड़ा है. ये देवी भय-डर दूर करती हैं सफलता की राह में डर सबसे बड़ी रुकावट होती है. मां कुष्मांडा की पूजा करने से डर दुर होती है और हम अपने जिवन में जो भी चाहते है. वो हमें पाप्त होता हैं.

 ( पंचम स्कंदमाता)

नवरात्र के पांचवें दिन मां स्कंद माता की पूजा स्तुति भक्ति करते हैं. भगवान शिव और पार्वती के पुत्र कार्तिकेय उनका ही एक नाम स्कंद भी है.इसलिए स्कंद की माता होने के कारण देवी के पांचवें रुप का नाम स्कंद माता है. स्कंद मां शक्ति की दाता हैं मां का ये रुप हमें सफलता शक्ति देता है. 

(षष्ठम कात्यायनी)

नवरात्रि के छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा की जाती है. मां कात्यायिनी ऋषि कात्यायन की पुत्री हैं  कहा जाता है कि कात्यायन ऋषि ने देवी दुर्गा की बहुत तपस्या की थी और फिर जब मां दुर्गा खुश हुई तो ऋषि ने वरदान के रुप में मां देवी से मांग कि देवी दुर्गा उनके घर पुत्री के रुप में जन्म लें. कात्यायिनी मां स्वास्थ्य की देवी हैं. जो भी कात्यायिनी की पुजा करते है उन्हें रोग, शोक, संताप से मुक्ति मिलती है.

(सप्तम कालरात्रि)

नवरात्र के सातवें दिन महाकाल रात्रि की पूजा की जाती है. काल यानी समय और रात्रि मतलब रात जो सिद्धियां रात के समय साधना से मिलती हैं इस सिद्धियों को देने वाली माता कालरात्रि हैं. आलौकिक शक्तियों, तंत्र सिद्धि, मंत्र सिद्धि के लिए इन देवी की उपासना की जाती है. ये रूप सिखाता है कि बिना रुके और थके, लगातार आगे बढ़ना चाहता है, उसे सफलता एक दिन जरुर मिलती हैं. 

(अष्टम महागौरी) 

नवरात्रि के आठवें दिन यानी अष्टमी के दिन मां महागौरी की पूजा स्तुति की जाती है देवी का आठवा स्वरूप महागौरी है. महागौरी यानी पार्वती का सबसे बडा स्वरूप है. ये देवी चरित्र की पवित्रता की प्रतीक देवी हैं,  मां महागौरी की पुजा करने से पाप से मुक्ति ,आत्मा फिर से पवित्र और स्वच्छ होती हैं. 

(नवम सिद्धिदात्री) 

वही नवरात्रि के नवे और आखिरी दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है, जो तमाम सिद्धियां प्रदान करती हैं. ये देवी सारी सिद्धियों का मूल हैं. वहीं देवी पुराण में कहा गया है कि भगवान शिव ने देवी के इसी स्वरूप से कई सिद्धियां प्राप्त की हैं. और शिव के अर्द्धनारीश्वर स्वरूप में जो आधी देवी हैं वो ये सिद्धिदात्री माता ही हैं. मां सिद्धिदात्री की आराधना हर तरह की सफलता के लिए किया जाता है.

Published at:09 Apr 2024 07:36 PM (IST)
Tags:navratrramnavmiranchinavdurganavmichetnavratrjharkhandshalputribhrahmcharnichandrghantakusmandaskandmatakatyaynikalratrimahagorisidhidatri
  • YouTube

© Copyrights 2023 CH9 Internet Media Pvt. Ltd. All rights reserved.