गिरिडीह(GIRIDIH): जिले के पारसनाथ में आदिवासी समाज के लोगों ने जन आक्रोश रैली निकाला. इस दौरान समाज के लोगों ने केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. आदिवासी मूलवासी समाज के लोगों का कहना है कि पारसनाथ पर्वत पर सिर्फ जैनियों का अधिकार नहीं है वह आदिवासी के देवता मरंगबुरू का भी स्थल है. जहां पर केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने पारसनाथ में 5 किलोमीटर के एरिया तक शराब और मांस पर प्रतिबंध लगाया है, जिसके विरोध में आदिवासी समाज के लोगों ने जुलूस निकाला और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और गिरिडीह विधायक सुदीव्य कुमार सोनू का पुतला फुंका है.
आदिवासी समाज का कहना है कि वहां हमारे देवता मरांगबुरु है जहां साल में एक बार बलि और माडी को चढ़ाया जाता है लेकिन सरकार के इस फैसले के बाद वहां बली माडी और चढ़ाने पर रोक लग जाएगी. इसी के विरोध में आदिवासी मूलवासी समाज के लोगों ने जन आक्रोश रैली निकाली. साथ ही मधुबन के फुटबॉल मैदान में एक जनसभा को भी संबोधित किया गया, जिसमें राज्य के अलग-अलग जिलों से दर्जनों महिला-पुरुष और युवाओं ने भाग लिया. वहीं, मंच में आदिवासी नेता सालखन सोरेन, पूर्व शिक्षा मंत्री गीता श्री उरांव, सहित राज्य के कई आदिवासी नेता उपस्थित हुए और सभी ने मंच से मरांगबुरु देव स्थल बचने के लिए लंबी आंदोलन की बात कही.
बता दें कि आगामी 14 जनवरी को देश के पांच राज्यों के पचास जिलों में मरांगबुरु को लेकर आंदोलन किया जाएगा और राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा जाएगा. वहीं, 20 जनवरी को पूरे झारखंड में आदिवासियों के विभिन्न सामाजिक संस्थाओं द्वारा बंद का आह्वान किया गया है. बताते चले कि आदिवासी समाज में राज्य और केंद्र दोनों सरकार के जैनियों के पक्ष में दिए गए फैसले से आदिवासी मूलवासी समाज के लोग काफी आक्रोशित दिखे. वहीं, कार्यक्रम को लेकर प्रशासन भी काफी मुस्तैदी दिखी.
रिपोर्ट : दिनेश कुमार, गिरिडीह