टीएनपी डेस्क(TNP DESK): तुर्की और सीरिया में आए विनाशकारी भूकंप ने अब तक हजारों लोगों की जान ले ली. ये आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है. तुर्की में भूकंप आने के तीन दिन पहले एक डच रिसर्चर ने इस भूकंप की भविष्यवाणी कर दी थी. मगर, उस डच रिसर्चर ने अब एक और भविष्यवाणी की है, जिसने भारत के लिए चिंता बढ़ गई है.
दरअसल, उस रिसर्चर ने भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में अगली बड़ी भूकंपीय गतिविधियों का भी अनुमान लगाया है. नीदरलैंड में सोलर सिस्टम ज्योमेट्री सर्वे (SSGS) संस्था के लिए काम करने वाले फ्रैंक हूगरबीट्स ने भविष्यवाणी की है कि अगला बड़ा भूकंप अफगानिस्तान में शुरू होगा और पाकिस्तान और भारत को पार करने के बाद हिंद महासागर में समाप्त होगा.
हुगरबीट्स ने किया था ट्वीट
तुर्की और सीरिया में सोमवार तड़के 7.8 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसके बाद हुगरबीट्स ने ट्वीट किया, "मध्य तुर्की में बड़े भूकंप से प्रभावित सभी लोगों के प्रति मेरी संवेदना है. जैसा कि मैंने पहले कहा था, देर-सवेर इस क्षेत्र में, 115 और 526 के समान ऐसा होगा." ये भूकंप हमेशा महत्वपूर्ण ग्रहों की ज्यामिति से पहले होते हैं, जैसा कि हमने 4-5 फरवरी को किया था. हालांकि, कुछ यूजर्स ने डच विशेषज्ञ की भविष्यवाणी पर सवाल उठाया है, इसे छद्म विज्ञान कहा है. कई लोगों ने दावा किया कि भूकंप की भविष्यवाणियों का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं था.
दोनों देशों की मदद कर रहा भारत
बता दें कि तुर्की और सीरिया में भूकंप से तबाही में अब तक 12,000 से अधिक लोग मारे गए हैं. भारत दोनों प्रभावित देशों को सहायता पहुंचा रहा है. भारत ने जिस प्रकार से सहयोग किया है, उससे विश्व बिरादरी में एक बड़ा संदेश गया है. भारत की मोदी सरकार 'ऑपरेशन दोस्त' के तहत तुर्की को सहायता पहुंचा रही है. भारत सरकार की ओर से चार टीमें तुर्की भेजी गई हैं. एनडीआरएफ की दो टीमें वहां काम कर रही है. इनमें 152 जवान शामिल हैं. भारत ने दो मेडिकल टीम भी तुर्की भेजी है. भारत ने ऑपरेशन दोस्त के तहत तुर्की में एक हॉस्पिटल स्थापित कर दिया है जिसके तहत सभी अत्याधुनिक मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध हैं. डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ भी वहां उपलब्ध हैं. भारत के सहयोग की तारीफ विश्व के कई देशों ने की है. अमेरिका, जर्मनी, इटली, जापान जैसे देशों ने भूकंप से तबाह तुर्की में सहयोग के लिए भारत की सराहना की है. भारत बढ़-चढ़कर सीरिया को भी सहायता पहुंचा रहा है. मरने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. राहत और बचाव कार्य जारी है.