पटना (TNP Desk) : लैंड फॉर जॉब मामले में ईडी ने लालू परिवार पर नकेल कसना शुरू कर दिया है. पहले राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से ईडी ने 29 जनवरी को लगभग 10 घंटे तक पूछताछ की थी. उसके ठीक दूसरे दिन यानि 30 जनवरी को बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से ईडी ने करीब नौ घंटे तक पूछताछ की थी. अब लालू परिवार के बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और राजद सांसद मीसा भारती से ईडी पूछताछ करेगी.
9 फरवरी को कोर्ट में पेशी
दिल्ली की एक अदालत ने ईडी की चार्जशीट का सज्ञान लेते हुए राबड़ी देवी, हेमा यादव, मीसा भारती, अमित काटायाल, हृदयनंद चौधरी और अन्य को 9 फरवरी को कोर्ट में पेश होने को कहा है. वहीं राबड़ी देवी और मीसा भारती आज शाम पटना से दिल्ली जा रहीं हैं. बता दें कि ईडी ने जमीन के बदले नौकरी घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एक आरोप पत्र भी दायर किया है. जिसमें लालू यादव, पत्नी राबड़ी देवी, मीसा भारती और हेमा यादव को आरोपी बनाया है. दरअसल, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 8 जनवरी, 2024 को पीएमएलए 2002 के प्रावधानों के तहत अमित कत्याल, राबड़ी देवी, मिशा भारती, हेमा यादव, हृदयानंद चौधरी और दो कंपनियों मेसर्स ए के इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड, मैसर्स ए बी एक्सपोर्ट्स प्रा. लिमिटेड के खिलाफ अभियोजन शिकायत (पीसी) दाखिल की थी. जिसके बाद अब इस मामले में 9 फरवरी को पेशी होनी है.
600 करोड़ की अपराध आय का पता लगाने का दावा
एजेंसी ने इस मामले में 600 करोड़ रुपए की अपराध आय का पता लगाने का दावा किया है, जिसमें दिल्ली में न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी का एक बंगला भी शामिल है, जिसकी कीमत 150 करोड़ रुपए बताई जाती है. यह मामला 2004 और 2009 के बीच लालू प्रसाद के परिवार के लिए कथित तौर पर भूमि पार्सल के बदले में रेलवे में नियुक्तियों से संबंधित है, जब वह केंद्र में रेल मंत्री थे.
सीबीआई ने दायर किया है आरोप पत्र
सीबीआई ने नौकरियों के बदले जमीन घोटाला मामले में बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, लालू प्रसाद और राबड़ी देवी के खिलाफ भी आरोप पत्र दायक किया है. आरोप पत्र में 14 अन्य शामिल हैं और यह नए सबूतों पर आधारित है जो पहली आरोप पत्र दायर किए जाने के बाद सामने आए.
गलत तरीके से नियुक्ति का आरोप
दरअसल, 2004 से 2009 के बीच मनमोहन सिंह की सरकार में आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव रेल मंत्री थे. इस दौरान भारी संख्या में बहाली हुई थी. लालू यादव ने रेलवे के अलग-अलग जोन में ग्रुप डी पदों पर गलत तरीके से नियुक्ति की थी. नौकरी के बदले जमीन अपने परिवार के सदस्यों और एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड को हस्तांतरित कर दी थी.