पटना : बिहार में कुछ दिन पहले एक सियासी तूफान आया था, जो बाद में थम गया. लेकिन एक बार फिर से बिहार में सियासी बवंडर आने वाला है. ये बवंडर ऐसा है जो किसी भी ओर रुख कर सकता है. लोकसभा चुनाव से पहले अगले आने वाले दिनों में आपको बहुत कुछ देखने को मिलेगा. अभी हाल ही में बिहार से अलग हुए झारखंड में सियासी हलचल देखने को मिली. जहां फ्लोर टेस्ट से पहले सत्तारुढ़ पार्टी के विधायक खरीद-फरोख्त से बचने के लिए रांची से हैदराबाद के लिए रवाना हो गए थे. अब यही चीज बिहार में भी देखने को मिल रही है. बिहार के भी विधायक को खरीद-फरोख्त का डर सता रहा है. झारखंड के बाद अब बिहार के भी विधायक खरीद-फरोख्त के डर से हैदराबाद के लिए रवाना हुए हैं.
10 फरवरी को होना है फ्लोर टेस्ट
बता दें कि महागठबंधन से नाता तोड़कर नीतीश कुमार एनडीए में शामिल हो गए थे. और 28 जनवरी को उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर उसी दिन शाम में फिर से 9वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. बिहार के राज्यपाल ने भी नीतीश सरकार को फ्लोर टेस्ट कराने की बात कही थी. बिहार विधानसभा में नीतीश सरकार अग्नि परीक्षा यानि फ्लोर टेस्ट 10 फरवरी को होना है. उससे पहले ही यहां पर सियासी हलचल तेज हो गई है.
बिहार में सियासी हलचल तेज
फ्लोर टेस्ट से पहले बिहार कांग्रेस के 18 विधायक हैदराबाद के लिए रवाना हो गए. विधायकों के साथ बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा भी गए हैं. बिहार में कांग्रेस के 19 विधायक है. विधायक अनवरुल हक निजी कारणों से दिल्ली में ही रूके हुए हैं. बताया जाता है जो 18 विधायक हैदराबाद गए हैं वे सभी 10 फरवरी तक पटना लौटेंगे. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस के कुछ विधायक जदयू के संपर्क में हैं. इसी कारण पार्टी ने फैसला लेते हुए सभी विधायकों को हैदराबाद शिफ्ट करने का फैसला लिया है.
बिहार में फिर होगा खेला
बिहार में जिस तरह की राजनीति चल रही है ऐसा लगाता है कि एकबार फिर से पटना में खेला होने वाला है. यह कहना कठिन है कि खेला किधर से होगा. क्योंकि सत्तारुढ़ पार्टी के विधायक भी नीतीश सरकार से नाराज चल रहे हैं. नाराजगी ये है कि कुछ विधायक मंत्री बनना चाहते हैं, लेकिन सीएम नीतीश कुमार के सामने की नहीं चल रही है. वहीं हम पार्टी भी नीतीश कुमार से नाराज हैं. उन्हें दो मंत्री पद चाहिए, लेकिन उन्हें एक मंत्री पद दिया गया है. ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि कहीं सत्तापक्ष के विधायक हीं फ्लोर टेस्ट में नीतीश की नैया ना डूबा दे. हालांकि अंदेशा कम है. अब तो 10 फरवरी को ही पता चलेगा कि खेला किसने किसके खिलाफ किया.