टीएनपी डेस्क (TNPDESK) : आप सभी डिप्रेशन के बारे में तो जानते होंगे लेकिन क्या आप पोस्टपार्टम डिप्रेशन के बारे में जानते हैं? इस डिप्रेशन से आज 7 में से एक मां पीड़ित है. एक रिसर्च में बताया गया है कि, भारत में 22% माएं इस डिप्रेशन का शिकार है. बच्चे को जन्म देने के बाद महिलाओं में होनी वाली यह मानसिक बीमारी है, जिसके बारे में 99% महिलाओं को नहीं पता. इस डिप्रेशन के कारण बेसब्री से अपने बच्चे के जन्म का इंतेजार करती मां के चेहरे कि खुशी बच्चे के जन्म के कुछ दिनों बाद ही कब स्ट्रेस में बदल जाती है, जिसकी खबर उन्हें खुद नहीं लगती. महिलाओं के लिए मां बनना एक उपाधि से कम नहीं. लेकिन यही उपाधि अब उन्हें मेंटल स्ट्रेस और डिप्रेशन देने लगे तो मां और नवजात बच्चे दोनों के लिए ही यह खतरा बन जाती है. इस स्ट्रेस और डिप्रेशन का कारण अकेलापन भी हो सकता है. हालात भी कुछ ऐसे हैं कि यदि कोई महिला अगर कह दें कि वे डिप्रेशन के लक्षणों से गुजर रही हैं, तो उनके घर वाले उन्हें सपोर्ट करने की जगह ये कह कर टाल देते हैं कि ऐसा कुछ नहीं होता. कई महिलाओं को तो ये भी सुनने को मिल जाता कि ये सब उनका भ्रम है. ऐसे में पहले ही पोस्टपार्टम डिप्रेशन से जूझ रही माएं निराश होकर इस बीमारी से बचने कि जगह इसमें और फंसती चली जाती है. वहीं, स्ट्रेस, गुस्से, चिड़चिड़ेपन में आकर अक्सर महिलायें गलत कदम भी उठा लेती हैं.
पोस्टपार्टम डिप्रेशन का एक्ट्रेसस भी हो चुकीं है शिकार
एक्ट्रेस मंदिरा बेदी, दृश्यम फिल्म एक्ट्रेस इशीता दत्ता, पाकिस्तानी अभिनेत्री सरवत गिलानी से लेकर कई ऐसी एक्ट्रेसस हैं जो पोस्टपार्टम डिप्रेशन से गुजर चुकी हैं. हाल ही में पाकिस्तानी अभिनेत्री सरवत गिलानी ने एक इंटरव्यू में बताया कि इस डिप्रेशन के कारण वे अपनी 4 दिन की बच्ची को मारना चाहती थी. उन्हें इससे पहले पोस्टपार्टम डिप्रेशन के बारे में नहीं पता था. उनके पति ने इस डिप्रेशन से निकलने में उनका साथ दिया. वहीं, जुलाई 2023 में मां बनने के बाद अपने यूट्यूब चैनल पर दृश्यम एक्ट्रेस इशीता दत्ता ने शेयर किया था कि इस डिप्रेशन के कारण वे अकेले घंटों बैठ कर रोती थी. फैमिली के सपोर्ट से वो इस डिप्रेशन से बाहर आ पाई. एक्ट्रेस मंदिर बेदी ने भी एक इंटरव्यू में अपनी जर्नी शेयर करते हुए बताया कि वह अपने बेटे वीर के जन्म के समय पोस्टपार्टम डिप्रेशन से गुजर चुकी हैं. वह हमेशा अपनी बॉडी को देखकर रोने लगती थीं, साथ ही अपने बेटे से भी कोई लगाव महसूस नहीं कर पा रही थी.
क्या होता है पोस्टपार्टम डिप्रेशन
बच्चे के जन्म के बाद महिलाओं की जिंदगी में काफी हद तक बदलाव आ जाते हैं. ऐसे में ये बदलाव सकारात्मक हो ये जरूरी नहीं. कभी कभी ये बदलाव नकारात्मक भी सकते हैं, जो ज्यादातर महिलाओं में तनाव, चिड़चिड़ापन, गुस्सा, उदासी या अवसाद का कारण बनते हैं. पोस्टपार्टम डिप्रेशन एक मानसिक बीमारी है, जो महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक व गहरा प्रभाव डालता है. यह ज्यादातर अकेलेपन, हार्मोनल चेंजेस व मेंटल प्रेशर के कारण होता है. ऐसे में महिलाएं अपने शरीर या अपने बच्चे तक को देखकर दुखी हो जाती है, जो उनमें नकारात्मक भावनाओं को जन्म देने लगती है. यह मानसिक बीमारी महिलाओं में बच्चे के जन्म से पूर्व या जन्म देने के एक साल तक हो सकता है. ऐसे में इस डिप्रेशन से पीड़ित महिलायें अपने बच्चे पर ध्यान नहीं दे पाती. इस बीमारी के बढ्ने की संभावना मृत बच्चे के जन्म होने या गर्भपात होने पर महिलाओं में अधिक हो जाती है. पहले भी डिप्रेशन का शिकार हुई महिलाओं में भी मां बनने के बाद पोस्टपार्टम डिप्रेशन होने का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है.
पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षण
- बच्चे के जन्म क बाद किसी भी बात पर गुस्सा आना, चिड़चिड़ापन होना इस बीमारी का पहला लक्षण है.
- बच्चे से लगाव महसूस न होना या उसे देख कर गुस्सा आना
- डिलीवरी के बाद अपनी बॉडी को देख कर शर्मिंदगी महसूस करना.
- छोटी छोटी बातों पर चिल्लाना या कुछ ज्यादा ही इमोशनल हो जाना.
- किसी भी बात पर अत्यधिक रोना.
- फैमिली का सपोर्ट न मिलन या अकेलापन महसूस करना.
- अकेला या दोस्तों या परिवार से दूर रहने का मन करना.
कैसे बचें पोस्टपार्टम डिप्रेशन से
अगर कोई भी महिला पोस्टपार्टम डिप्रेशन से जुड़ी किसी भी लक्षण को महसूस करती हैं या फिर अपने जिंदगी में किसी तरह का बदलाव महसूस करती है तो उन्हें तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. जितना हो सके इस बीमारी के बारे में जानकारी रखनी चाहिए. साथ ही इस बारे में अपने परिवार को बताना और समझाना चाहिए. जितना हो सके परिवार वालों के साथ वक्त बिताना चाहिए. बीमारी का पता लगते ही अपने मानसिक तनाव को दूर करने के लिए योग या एक्सर्साइज़ करना चाहिए. साथ ही दिमाग में कोई भी नकारात्मक ख्याल आने पर अपने फैमिली को बताएं और जितना हो सके अकेले रहने से बचें. स्ट्रेस दूर करने के लिए मेडिटेशन, बाहर घूमना या अपनी पसंदीदा फिल्म या वेबसिरीज देख सकती हैं. अपनी बॉडी को देख कर शर्मिंदगी महसूस करने कि जगह उसे अपनाने कि कोशिश करे. अच्छी डाइट लेने के साथ साथ अपनी नींद भी पूरी करें. साथ ही जरूरत पड़ने पर कॉउनसलिंग की मदद लें.