पटना(PATNA): अपनी राजनीतिक समझ और बेहिसाब उर्जा की वजह से बिहार हमेशा चर्चा में रहता है. अभी तो विपक्षी एकता को लेकर भी बिहार सुर्खियों में है. विपक्षी एकता का अगुआ बने हुए हैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार. बिहार में राज्य सरकार की योजना हो अथवा केंद्र सरकार की, जब भी उसमें कुछ किंतु परंतु होता है तो इसके माने मतलब निकाले जाने लगते हैं. बिहार की यह खासियत है कि छोटे कारोबार करने वाले लोग, कम पढ़े लिखे लोग भी राजनीति की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं. फिलहाल रेलवे ने बिहार में चल रही 52 रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में से 17 पर रोक लगा दी है.
करोड़ों की राशि खर्च होने के बाद भी परियोजनाओं पर लगी रोक
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार रेलवे बोर्ड ने आरटीआई से मांगी जानकारी में कहा है कि बिहार में रेलवे की 32 में से 15 नई रेल लाइन बिछाने, एक लाइन दोहरीकरण और एक गेज परिवर्तन के प्रोजेक्ट को फिलहाल सस्पेंड कर दिया है. इन जगहों पर करोड़ों की राशि खर्च होने के बाद भी कई जगह पर पैसे के अभाव, जमीन की समस्या, उपयोगिता का आधार सहित अन्य कारणों से इन परियोजनाओं पर रोक लगाई गई है. रेलवे बोर्ड के अनुसार राज्य की 32 नई परियोजना में कुल 2278 किलोमीटर रेलवे लाइन का जाल बिछाना है. इनमें कुछ प्रोजेक्ट लगभग पूरे हो चुके हैं. इसके अलावा 4 गेज परिवर्तन और 16 दोहरीकरण के प्रोजेक्ट में 2133 किलोमीटर की रेलवे लाइन बिछाई जानी है. 32 नई रेलवे लाइन बिछाने वाले प्रोजेक्ट में 11ऐसे हैं, जिनकी लंबाई 100 किलोमीटर से अधिक है. सबसे लंबा प्रोजेक्ट सीतामढ़ी जयनगर निर्मली वाया सुरसंड का है. इस प्रोजेक्ट की लंबाई 189 किलोमीटर है और इसका बजट 2833 करोड़ का है. इस प्रोजेक्ट को भी सस्पेंड कर दिया गया है.
वही सबसे छोटी परियोजना जोगबनी विराटनगर नेपाल तक की है. इस प्रोजेक्ट की लंबाई 19 किलोमीटर है और इस पर 402 करोड़ खर्च किए जाने हैं. वहीं मार्च 22 तक इस पर 333.46 करोड़ खर्च हो चुके हैं. कारण चाहे जो भी हो लेकिन इसे भी राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भाजपा के साथ थे. जदयू को कम सीटें मिलने के बावजूद भाजपा ने उन्हें मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाया, लेकिन मुख्यमंत्री का मन नहीं लगा और वह फिर राजद के साथ आकर सरकार बना लिए. इन प्रोजेक्टों पर रुके काम को भी लोग इन्हीं सब कारणों से जोड़कर देख रहे हैं.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो