रांची (TNP Desk) : चतरा लोकसभा क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार कालीचरण सिंह एक राजनीतिज्ञ के साथ-साथ समाजसेवी भी हैं. उनके निस्वार्थ सेवा से क्षेत्र के हर कोई लोग प्रभावित है. उन्होंने बेसहारा, बूढ़ों, महिलाओं, गरीब परिवारों के उत्थान के लिए कई काम किये. जिले के कद्दावर नेता कालीचरण सिंह ने अपने क्षेत्र में उल्लेखनीय काम से अपनी पहचान बनाई है. वे पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष भी हैं. बता दें कि भाजपा ने यहां से दो बार के सांसद सुनील सिंह का टिकट काटकर पहली बार स्थानीय उम्मीदवार के नाम का एलान किया. जिससे पार्टी कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर है.
कालीचरण सिंह मूल रूप से धमनिया मोड़ के पास शोनबिगहा गांव के निवासी हैं. उनके पूर्वज इसी गांव के थे. इनका अपना आवास चतरा उपायुक्त कार्यालय के बगल में है. उन्होंने बीएचयू से एमएससी की पढ़ाई की और बीएड पास करने के बाद शिक्षक बन गए. हाई स्कूल में वे सांइस के शिक्षक थे. कालीचरण सिंह भाजपा किसान मोर्चा के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव भी रह चुके हैं.
कालीचरण सिंह ने खुद की बनाई पहचान
चतरा लोकसभा क्षेत्र के भाजपा प्रत्याशी कालीचरण सिंह को विरासत में राजनीति नहीं मिली. उन्होंने खुद से अपनी पहचान बनाई. साफ-सुथरी और बेहद मिलनसार कालीचरण सिंह ने शिक्षक रहते हुए समाजसेवा में जुट गए थे. बच्चों को शिक्षित करना, गरीबों, बुजुर्गों, महिलाओं का कल्याण करना उनका मुख्य उद्देश्य था. वे छात्र जीवन से ही भाजपा में जुड़ गए थे और बिना किसी शोर-शराबे के वे निरंतर काम करते रहे. उनके लगातार काम को देखते हुए भाजपा हाईकमान की नजर उनपर गई और उन्हें चतरा लोकसभा क्षेत्र से टिकट दे दिया. इससे पहले जब बाबूलाल मरांडी बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बने थे तो उस समय उन्होंने एक नई कार्यकारिणी बनायी, जिसमें कालीचरण सिंह का भी नाम शामिल था.
चतरा लोकसभा सीट का जातीय समीकरण
चतरा में कभी मौर्य वंश का शासन हुआ करता था. यहां का इतिहास देखें तो उसमें मुगलों का भी जिक्र आता है. हालांकि वर्तमान में यह क्षेत्र नक्सल प्रभावित है. 2019 के डाटा के मुताबिक चतरा लोकसभा सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या करीब 9 लाख 25 हजार है. 2011 की जनगणना के मुताबिक यहां की आबादी 21 लाख 75 हजार 924 है. यहां की लगभग 95 फीसदी आबादी गांवों में रहती है, वहीं पांच प्रतिशत आबादी शहर में है. जातीय समीकरण की बात करें तो यहां पर एससी समुदाय की आबादी 28.2 प्रतिशत है और एसटी समुदाय की आबादी 19.39 प्रतिशत है. मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 13.5 प्रतिशत है.
क्या है चुनावी मुद्दे
सबसे खास बात यह है कि चतरा लोकसभा क्षेत्र से आज तक कोई भी स्थानीय व्यक्ति सांसद नहीं बना है. यानी कि हर बार किसी दूसरे क्षेत्र के लोग ही संसद पहुंचते रहे हैं और उनका दर्शन भी दुर्लभ हो जाता है. हालांकि, इस बार भाजपा ने स्थानीय को उम्मीदवार बनाया है. वहीं शिक्षा के मामले में यह इलाका अब भी पिछड़ा हुआ है. चतरा संसदीय क्षेत्र खनिज संसाधनों से भरपूर है, यहां केवल खनिज संसाधनों का दोहन ही हुआ है. इस क्षेत्र में न तो रोजगार के अवसर हैं और न ही शिक्षा की सुविधाएं. यह एक बड़ी समस्या है. अब देखना होगा कि आने वाले चुनाव में लोगों के इन मुद्दों पर प्रत्याशी या राजनीतिक दल कितने गंभीरता पार पाते हैं.
इंडिया गठबंधन से कौन होगा उम्मीदवार
वहीं इंडिया गठबंधन से चतरा लोकसभा क्षेत्र से किसी प्रत्याशी का एलान नहीं हुआ है. हालांकि, झारखंड के मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने खुद की घोषणा कर दी है. जबकि पार्टी की ओर से अभी तक एलान नहीं किया गया है. बता दें कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव अभी बिहार की सियासी गणित में उलझे हुए हैं, जब वहां से फ्री हो जाएंगे तब झारखंड के सियासी गणित को देखेंगे. अनुमान लगाया जा रहा है कि जल्द ही राजद चतरा से प्रत्याशी की घोषणा कर देगी. अब देखने वाली बात यह है कि राजद किसे उम्मीदवार बनाता है. हालांकि सत्यानंद भोक्ता प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं क्योंकि वे खुद चतरा लोकसभा क्षेत्र से आते हैं.