धनबाद(DHANBAD): कल यानी शुक्रवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री रांची में प्रदेश के सीएम हेमंत सोरेन से मिलेंगे. 12 जून को पटना में विपक्षी दलों की बैठक आहूत की गई है. इस बैठक में देशभर के करीब 20 गैर भाजपा राजनीतिक दलों के नेताओं के हिस्सा लेने की उम्मीद है. इधर, अमेरिका में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा है कि आगामी लोकसभा चुनाव में विपक्ष ठीक से एकजुट हो जाए तो केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा को हराना आसान होगा. उन्होंने यह भी जोड़ा कि कांग्रेस पार्टी इस संबंध में काम कर रही है और यह प्रयास सही दिशा में आगे बढ़ रहा है. कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के सिलीकान वैली कैंपस में बुधवार को आयोजित एक कार्यक्रम में राहुल गांधी ने संचालक और दर्शकों के कई सवालों के जवाब दिए. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ समर्थन जुटाने की कोशिश के तहत शुक्रवार को रांची में हेमंत सोरेन से मिलेंगे. दिल्ली में 19 मई से लागू केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ केजरीवाल एकजुटता बनाने के लिए लगातार नेताओं से मिल रहे है.
12 जून को पटना में हो रही है बैठक
इधर, 12 जून को पटना में आयोजित बैठक में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी हिस्सा लेंगे. यह बैठक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में होने जा रही है. इस बैठक में देश भर के करीब 20 गैर भाजपा राजनीतिक दलों के नेताओं के हिस्सा लेने की उम्मीद है. संभावना तो यह भी है कि इस बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी हिस्सा ले सकते है. पटना की बैठक में किन बातों पर चर्चा होगी और क्या-क्या निर्णय होंगे, इस पर तो अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी लेकिन राहुल गांधी के अमेरिका में बोले गए बोल से नीतीश कुमार को जरूर राहत मिली होगी. हालांकि उन्हें झटका भी लगा होगा कि वह सार्वजनिक तौर पर तो नहीं लेकिन मन ही मन चाह रहे हैं कि विपक्ष की एकजुटता हो और उन्हें लोग नेता चुन ले. यानी अगर विपक्ष को बहुमत मिलता है तो वह प्रधानमंत्री बन सके. हालांकि, इन सब में अभी बहुत कील कांटे हैं और विपक्षी प्रयास भी अभी बहुत प्रारंभिक चरण में है. लेकिन इतना तो तय है कि विपक्षी एकता के प्रयास अथवा निर्णय में प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार आड़े आ सकता है.
कर्नाटक चुनाव के पहले और बाद में बदले है हालात
कर्नाटक चुनाव के पहले हो सकता था कि कांग्रेस समझौता कर ले लेकिन अब कॉन्ग्रेस का रुख आक्रामक हो गया है. भाजपा पर ताबड़तोड़ हमले किए जा रहे है. वैसे, भाजपा वाले भी हमला करने से जहां मौका मिल रहा, नहीं चूक रहे. यह बात तो सच है कि प्रधानमंत्री की कुर्सी पर पहुंचने के लिए बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. झारखंड में तो कांग्रेस के समर्थन से सरकार चल रही है, इसलिए झारखंड मुक्ति मोर्चा कभी कांग्रेस को नाराज करना नहीं चाहेगा. इधर, बिहार और उत्तर प्रदेश में विपक्षी दल एक हो गए तो उन्हें कुछ लाभ मिल सकता है. हालांकि यह सब भविष्य की बातें है. विपक्षी एकता के प्रयास में घटनाक्रम तेजी से बदल रहे है. लोगों की निगाहें 12 जून की बैठक पर टिकी हुई है कि बात आगे कैसे बढ़ती है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो