धनबाद(DHANBAD): झारखंड में भाजपा ने उम्मीदवारों को लेकर अपने सारे पत्ते खोल दिए हैं .अब इंडिया ब्लॉक की बारी है. भाजपा ने कुछ नए प्रयोग किए हैं. 5 सांसदों का टिकट काट दिया है. लोहरदगा से सुदर्शन भगत का टिकट काटकर राज्यसभा सांसद समीर उरांव को मौका दिया गया है. हजारीबाग से पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे जयंत सिन्हा को दरकिनार कर विधायक मनीष जायसवाल पर दांव खेला गया है. चतरा से सुनील सिंह की जगह कालीचरण सिंह को उम्मीदवार बनाया गया है. फिर धनबाद से पशुपतिनाथ सिंह की जगह पर बाघमारा के विधायक ढुल्लू महतो को टिकट दिया गया है. दुमका से सुनील सोरेन की जगह पर अभी हाल ही में झारखंड मुक्ति मोर्चा से भाजपा में शामिल हुई सीता सोरेन को उम्मीदवार बनाया गया है. .
क्या सुनील सोरेन आलाकमान के फैसले से हैं संतुष्ट
सुनील सोरेन के नाम की घोषणा पहली सूची में कर दी गई थी, लेकिन उसके बाद सीता सोरेन को भाजपा में शामिल कराया गया और उसके बाद उन्हें दुमका से उम्मीदवार बना दिया गया. सुनील सोरेन इस फैसले से कितने संतुष्ट हैं, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा लेकिन फिलहाल उन्होंने कहा है कि वह आलाकमान के फैसले से संतुष्ट हैं और उनके जैसे छोटे कार्यकर्ताओं को पार्टी ने उच्च स्थान दिया.
चतरा में कालीचरण सिंह को मिला टिकट
इधर ,चतरा से सांसद रहे सुनील सिंह का टिकट भी पार्टी ने काट दिया है. चतरा सीट चर्चा में थी. अभी हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इटखोरी आए थे. उन्होंने कार्यकर्ताओं के साथ बैठक भी की थी .इसमें कार्यकर्ताओं ने सुनील सिंह का विरोध किया था. कार्यक्रम में ही मारपीट और हाथापाई तक हो गई थी. इसकी भी रिपोर्ट पार्टी के आला नेताओं के पास गई और उनका टिकट काटकर वहां के स्थानीय कालीचरण सिंह को टिकट दे दिया गया. हालांकि टिकट कटने के बाद सुनील सिंह ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा है कि मेरे जैसे छोटे से कार्यकर्ता को 10 वर्षों तक चतरा लोकसभा परिवार की सेवा करने का अवसर पार्टी ने दिया. इसके लिए आलाकमान का आभार व्यक्त करता हूं.
पशुपतिनाथ सिंह का भाजपा ने काटा टिकट
धनबाद लोकसभा सीट से तीन बार विधायक रहे और तीसरी बार सांसद रहने वाले पशुपतिनाथ सिंह का भी भाजपा ने टिकट काट दिया है. संभवतः उनकी बढ़ती उम्र आड़े आ गई और उन्हें टिकट से बेदखल कर दिया गया. धनबाद कोयलांचल की राजनीति में पशुपतिनाथ सिंह आजाद शत्रु माने जाते थे. इतने लंबे राजनीतिक जीवन के बावजूद वह हमेशा स्वच्छ और सिद्धांत की राजनीति के पोषक बने रहे. झारखंड में भाजपा 13 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. एक सीट गिरिडीह आजसू के खाते में जाएगा. अब तक भाजपा ने कुल 13 सीटों पर उम्मीदवार की घोषणा कर दी है .यह अलग बात है कि सीता सोरेन को दुमका से लड़ाकर भाजपा झारखंड मुक्ति मोर्चा में बड़ी सेंध लगाने की कोशिश की है.
सीता सोरेन दुमका से लोकसभा की उम्मीदवार
संथाल परगना झारखंड का गढ़ है. यहां से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी भी सांसद रह चुके हैं .लेकिन शिबू सोरेन की स्वीकारोक्ति दुमका में आज भी बनी हुई है. दुमका की राजनीति से ही शिबू सोरेन को दिशोम गुरु की उपाधि मिली .दुमका में राजनीति करने के पहले शिबू सोरेन धनबाद के टुंडी इलाके में महाजनी के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे. टुंडी विधानसभा में हार मिलने के बाद वह दुमका शिफ्ट कर गए और दुमका की राजनीति करने लगे. वहां से सांसद भी बने. फिलहाल दुमका विधानसभा से शिबू सोरेन के बेटे बसंत सोरेन विधायक हैं .हालांकि झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन 2019 के चुनाव में संथाल परगना के बरहेट और दुमका से चुनाव लड़ा था .दोनों जगह से चुनाव जीतने के बाद उन्होंने दुमका की सीट छोड़ दी और वहां हुए उपचुनाव में उनके भाई बसंत सोरेन विधायक चुने गए. यह अलग बात है कि पिछले लोकसभा चुनाव में सुनील सोरेन ने शिबू सोरेन को हराकर सबको चौंकाया था और भाजपा ने दुमका सीट पर भगवा लहराकर संथाल परगना में राजनीति की एक नई लकीर खींची थी. अब इस लकीर को बचाना भाजपा के साथ-साथ सीता सोरेन के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है. सीता सोरेन झारखंड के जामा विधायक रहते हुए भाजपा में शामिल हुई और अब दुमका से लोकसभा की उम्मीदवार बन गई है. झारखंड मुक्ति मोर्चा शिबू सोरेन के परिवार में हुई इस टूट का किस तरह डैमेज कंट्रोल करेगा, यह भी देखने वाली बात होगी.
भाजपा के पास फिलहाल झारखंड से गठबंधन को मिलाकर 12 सांसद
शिबू सोरेन की उम्र हो गई है. हेमंत सोरेन फिलहाल जेल में है. चंपई सोरेन अभी झारखंड के मुख्यमंत्री हैं. हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन ने लगभग कमान संभाल ली है. अब देखना है कि आगे आगे होता है क्या. बाबूलाल मरांडी भाजपा छोड़कर अपनी अलग पार्टी बनाई, फिर भाजपा में वापस आ गए. उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया . अर्जुन मुंडा खूंटी से सांसद बनकर केंद्र में मंत्री हैं तो पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को ओडिशा का राज्यपाल बना दिया गया है. मतलब साफ है कि बाबूलाल मरांडी को विघ्न बाधा रहित प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी दे दी गई है. भाजपा के पास फिलहाल झारखंड से गठबंधन को मिलाकर 12 सांसद हैं. 2024 के चुनाव में इसकी संख्या बढ़ानी बाबूलाल मरांडी के लिए भी बड़ी चुनौती होगी. तो आलाकमान भी इस पर गंभीर नजर बनाए हुए हैं.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो