धनबाद(DHANBAD): झारखंड के संथाल परगना में कांग्रेस का सबसे सेफ विधानसभा सीट पाकुड़ ही है. यहां से पूर्व मंत्री आलमगीर आलम चुनाव जीतते रहे है. लेकिन फिलहाल वह जेल में है और विधानसभा चुनाव सिर पर है. ऐसे में पाकुड़ विधानसभा सीट पर कब्जा बनाए रखने के लिए कांग्रेस भी परेशान है, तो पूर्व मंत्री आलमगीर आलम के परिवार के लोग भी कमर कसकर मैदान में उतरने की तैयारी में है. जानकारी निकल कर आ रही है कि आलमगीर आलम की पत्नी निशात आलम कांग्रेस पार्टी का पाकुड़ में कमान संभालने की तैयारी में है. कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने और उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए वह सक्रिय हो रही है. यह भी तय माना जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान आलमगीर आलम के परिवार से ही किसी को टिकट देगा. यह सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट बन गई है. वैसे आलमगीर आलम के पुत्र तनवीर आलम भी पिता के जेल जाने के बाद लोगों के संपर्क में है. लोगों को , वोटरों को अपने पिता के किए गए कार्य को गिना रहे है.
कांग्रेस के खाते में जाएगी पाकुड़ सीट
यह अलग बात है कि विधानसभा चुनाव में गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा जाएगा और कांग्रेस की अबतक की सफलता को देखते हुए पाकुड़ सीट कांग्रेस के खाते में जाएगी, इसकी पूरी संभावना है. ऐसे में पूर्व मंत्री की पत्नी की सक्रियता यह बता रही है कि पाकुड़ सीट पर वह दावा कर सकती है. कांग्रेस कार्यकर्ताओं से मिलकर मोर्चा संभाल सकती है. टेंडर घोटाले कांड में पूर्व मंत्री आलमगीर आलम को प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया. फिलहाल वह जेल में है. इस कांड से झारखंड में कांग्रेस की किरकिरी भी हुई. यह अलग बात है कि आलमगीर आलम की गिरफ्तारी के पहले से ही कांग्रेस ने उनसे दूरी बनानी शुरू कर दी थी. आलमगीर आलम कांग्रेस विधायक दल के नेता भी थे. उनकी जगह पर कांग्रेस विधायक दल का नेता बनाने और आलमगीर आलम की जगह मंत्री बनाने में कांग्रेस आला कमान ने पूरा वक्त लिया और सोच समझकर उनकी जगह को भरा गया. जो भी हो लेकिन पाकुड़ विधानसभा क्षेत्र इस बार हॉट केक बनेगा, इसमें कोई दो राय नहीं है. इसकी भी पूरी संभावना है कि आलमगीर आलम की पत्नी पाकुड़ में कांग्रेस पार्टी का कमान संभालने के बाद चुनाव भी लड़ेगी. जेल जाने से पहले
सरकार और संगठन में थी गहरी पैठ
आलमगीर आलम की न केवल सरकार और संगठन में गहरी पैठ थी. बल्कि 2019 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 63,108 वोटो से हराकर जीत हासिल की थी. यह पाकुड़ में उनकी चौथी जीत थी. इस जीत ने उन्हें कद्दावर नेता बना दिया था. फिर झारखंड सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री बनाए गए. आलमगीर आलम 1995 में पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ा. सीट पाकुड़ ही थी लेकिन भाजपा प्रत्याशी बेणी प्रसाद गुप्ता के हाथों हार गए थे. साल 2000 में फिर उन्होंने मिहनत की और भाजपा प्रत्याशी बेणी प्रसाद गुप्ता को पटखनी देते हुए पहली बार विधायक बने. उन्हें 49000 के लगभग वोट प्राप्त हुए थे जबकि भाजपा प्रत्याशी को 35000 के आसपास मत मिले थे. लोग तो यह भी बताते हैं कि पहली बार विधायक बनते ही आलमगीर आलम को अभिवाजित बिहार में राबड़ी देवी की सरकार में हस्त करघा विभाग का राज्य मंत्री बनाया गया था. लेकिन मात्र 6 माह तक ही मंत्री रहे, फिर 15 नवंबर 2000 को झारखंड राज्य अलग बन गया और यहां भाजपा की सरकार बनी.
वर्ष 2005 के विधानसभा चुनाव में आलमगीर आलम को जीत मिली थी
वर्ष 2005 के विधानसभा चुनाव में आलमगीर आलम ने जब जीत दर्ज की तो उन्हें 71 हज़ार से अधिक वोट मिले ,वहीं भाजपा प्रत्याशी बेणी प्रसाद गुप्ता को 46000 मत मिले. दूसरी जीत हासिल करने के बाद उन्हें मधु कोड़ा की सरकार में विधानसभा अध्यक्ष भी बनाया गया था. महागठबंधन की सरकार में मंत्री रहते हुए पिछले कई महीनो से आलमगीर आलम प्रवर्तन निदेशालय के रडार पर थे. पाकुड़ विधायक आलमगीर आलम महागठबंधन सरकार में कांग्रेस कोटे से मंत्री थे और उनका दर्जा दूसरे नंबर का था. 6 मई को मंत्री आलमगीर आलम के पीएस ,नौकर और करीबियों के यहां से 32 करोड रुपए से अधिक बरामद किए गए. 7 मई को पीएस के करीबी राजीव सिंह के यहां से 2.14 करोड रुपए बरामद किए गए. 8 मई को झारखंड के इतिहास में पहली बार सचिवालय में छापा पड़ा. पीएस के चेंबर से दो लाख रुपए से अधिक मिले. 12 मई को प्रवर्तन निदेशालय ने आलमगीर आलम को समन भेज पूछताछ के लिए बुलाया. 14 मई को प्रवर्तन निदेशालय कार्यालय में आलमगीर आलम से पूछताछ हुई. संपत्ति पर सवाल दागे गए. उसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो