रांची(RANCHI)- पिछले 28 अप्रैल से इलाजरत सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड की अभियंता नेहा कुमारी आखिकार इस दुनिया को अलविदा कह गयी. पारस अस्पताल में नेहा ने अपनी बेहद खूबसूरत जिंदगी की आज आखिरी सांस ली. लेकिन नेहा कुमारी की इस असामयिक मौत के साथ ही ग्रामीण विकास विभाग एक बार फिर से सवालों में खड़ा हो गया है. लोग अब ग्रामीण विकास विभाग की कार्यशैली को लेकर तरह-तरह से सवाल उठा रहे हैं.
विश्वविद्यालय कर्मी नहीं भूल पा रहे हैं नेहा की चिरपरिचित मुस्कान
ध्यान रहे कि 28 अप्रैल, शुक्रवार की उस मनहूस सुबह नेहा हमेशा की तरह अपनी चिरपरिचित खुशमिजाजी और मुस्कान के साथ अपने सहकर्मी अभियंता मुकेश कुमार की कार पर सवार होकर यूनिवर्सिटी की ओर जा रही थी, कार मुकेश ही चला रहे थें. लेकिन इस बीच मुकेश की कार सड़क किनारे निर्मित एक कुंआ नुमा गड्ढे में पलट गयी.
जिसके बाद नेहा को आनन-फानन में नजदीकी चिकित्सालय में ले जाया गया. लेकिन वहां से बताया गया कि नेहा के दिमाग में आंतरिक चोट लगी है, हालत गंभीर है, जिसके बाद नेहा को पारस अस्पताल में भर्ती करवाया गया, लेकिन करीबन 14 दिनों के जिंदगी और मौत से संघर्ष के बाद नेहा आज ने दम तोड़ दिया.
अब चारों तरफ हो रही है ग्रामीण विकास की लापरवाही की चर्चा
अब नेहा की मौत के बाद ग्रामीण विकास विभाग की लापरवाही की चर्चा इसलिए की जा रही है, क्योंकि जिस गड्ढे में नेहा की कार पलटी, उसी गड्ढे में इस हादसे के पहले भी कईयों की कार और बाइक पलट चुकी है, इसके पहले ही कईयों को चोट लग चुकी है. सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड के द्वारा सड़क इस खस्ता हाल हालत को लेकर ग्रामीण विकास विभाग से पत्राचार भी किया गया था, इसके साथ ही आस-पास के ग्रामीण भी कई बार सड़क को दुरुस्त करने और उस गड्ढे को भरने की मांग कर चुके थें, और हर बार ग्रामीण विकास विभाग के द्वारा सिर्फ और सिर्फ आश्वासन दिया जाता रहा.
सेंट्रल यूनिवर्सिटी जैसे महत्वपूर्ण संस्थान जाने वाली सड़क की यह उपेक्षा क्यों?
अब सवाल यह है कि सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड जैसे एक महत्वपूर्ण संस्थान जाने वाली इस बेहद महत्वपूर्ण सड़क की यह उपेक्षा क्यों की गयी? निश्चित रुप से नेहा की मौत के बाद ग्रामीण विकास विभाग के द्वारा उस मौत के कुंए को भरने की रस्म अदायगी की जायेगी.
नेहा की मौत का जिम्मेवार कौन?
लेकिन बड़ा सवाल यह है कि नेहा की इस असामयिक मौत का जिम्मेवार कौन है, उसके दो वर्षीय बच्चे और 70 वर्षीय मां की देखरेख अब कौन करेगा, साफ है कि ग्रामीण विकास विभाग की एक लापरवाही से ना सिर्फ नेहा की मौत हुई है, बल्कि आज एक दो वर्षीय बच्चे और 70 वर्षीय मां की जिंदगी के सामने भी सवाल खड़े हो गयें है. और इसका जिम्मेवार सिर्फ और सिर्फ ग्रामीण विकास विभाग है.