टीएनपी डेस्क(TNP DESK): झारखंड की पहचान पूरे विश्व में जल, जंगल और जमीन से होती है, लेकिन झारखंड के विकास में टाटा स्टील की अहम भूमिका है. राज्य का इतिहास और वर्तमान कंपनी के इर्द-गिर्द घुमता हुआ दिखाई देता है .भले ही हमारी पहचान और संस्कृति विश्व में प्रसिद्ध हो, लेकिन हमारे झारखंड की पहचान औद्योगिक विकास से भी होती है तो इसकी पीछे टाटा स्टील का ही योगदान है.
टाटा स्टील की देख रेख में ही विकसित हुआ शहर
टाटा स्टील की देन है कि जमशेदपुर शहर आज इतना विकसित शहर के रूप में उभरा है कि आज इसे लोग मिनी मुंबई के नाम से भी जानते हैं. जहां सारी नागरिक सुविधाएं उपलब्ध हैं. जमशेदपुर में हर वह सुविधा मौजूद है, जो नागरिक के जीवन में जरूरी है तो उसके पीछे टाटा स्टील का ही योगदान है, लेकिन आज हम आपको जमशेदजी टाटा की 186वीं जयंती पर जमशेदपुर शहर के नाम पर नामकरण का अदभुत किस्सा बताएँगे जो काफी दिलचस्प है.
टाटा स्टील की वजह से है जमशेदपुर की पहचान
साल 1907 में जब जमशेदजी टाटा ने टाटा स्टील की नींव पूर्वी सिंहभूम में रखी.जहां कंपनी ने अपने विकास के साथ-साथ इस शहर को इतना विकसित बना दिया कि इसकी पहचान विश्व पटल पर की जाती है. जमशेदपुर अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है. यहां जुबली पार्क डिमना लेक के साथ कई ऐसी चीज है जो इस शहर को और ज्यादा खुबसूरत बनाती है. जमशेदजी नसरवन जी टाटा उद्योग के जनक माने जाते हैं ,लेकिन वे झारखंड के जमशेदपुर शहर के कर्ताधर्ता भी हैं, उनके वजह से ही आज इस शहर का वजूद है.
पढ़ें कैसे साकची से जमशेदपुर बना शहर
आज जमशेदपुर शहर का नाम और पहचान की मोहताज नहीं है लेकिन आज से कुछ साल पहले जमशेदपुर शहर का नाम कुछ और था.आपको बताएंगे साल 1947 में प्रथम विश्व युद्ध के दौरान टाटा स्टील ने ब्रिटिश सरकार की मदद की थी.इसी का धन्यवाद करने के लिए और आभार प्रकट करने के लिए तत्कालीन वायसराय लॉर्ड जेम्सफोर्ड 1919 में जमशेदपुर आये.इसी दौरान उन्होने टाटा स्टील का देखा और वहीं साकची शहर को देखा. वही जेएन टाटा के सम्मान में उन्होने साकची का नाम बदल कर जमशेदपुर रख दिया और कालीमाटी रेलवे स्टेशन का नाम टाटानगर रेलवे स्टेशन रख दिया था.