☰
✕
  • Jharkhand
  • Bihar
  • Politics
  • Business
  • Sports
  • National
  • Crime Post
  • Life Style
  • TNP Special Stories
  • Health Post
  • Foodly Post
  • Big Stories
  • Know your Neta ji
  • Entertainment
  • Art & Culture
  • Know Your MLA
  • Lok Sabha Chunav 2024
  • Local News
  • Tour & Travel
  • TNP Photo
  • Techno Post
  • Special Stories
  • LS Election 2024
  • covid -19
  • TNP Explainer
  • Blogs
  • Trending
  • Education & Job
  • News Update
  • Special Story
  • Religion
  • YouTube
  1. Home
  2. /
  3. Trending

देवउठनी एकादशी आज, चार महीने की लंबी योग निद्रा से जागेंगे भगवान विष्णु, जानें इस दिन तुलसी विवाह के पीछे की रोचक कहानी

देवउठनी एकादशी आज, चार महीने की लंबी योग निद्रा से जागेंगे भगवान विष्णु, जानें इस दिन तुलसी विवाह के पीछे की रोचक कहानी

टीएनपी डेस्क: आज देवउठनी एकादशी है. कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी मनाया जाता है. आज के दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ तुलसी की पूजा करने का नियम है. देवउठनी एकादशी पर भगवान हरि विष्णु की पूजा शालिग्राम स्वरूप में की जाती है. पुराणों के अनुसार, आज के दिन भगवान विष्णु अपनी चार महीने की लंबी योग निद्रा से जागते हैं और वापस से सृष्टि के संचालन का दायित्व संभालते हैं. देवउठनी एकादशी से सारे शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं. एकादशी तिथि पर तुलसी विवाह कराने का भी नियम है. आज के दिन भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप के साथ देवी तुलसी का विवाह कराया जाता है. आइए जानते हैं आज के दिन तुलसी विवाह करवाने के पीछे की क्या है कहानी.

देवउठनी एकादशी की पूजा का शुभ मुहूर्त

देवउठनी एकादशी की पूजा का शुभ मुहूर्त आज मंगलवार कि सुबह 5 बजकर 22 मिनट से शुरू हो रही है. पूजा आज शाम 6 बजकर 42 मिनट तक की जा सकती है.

तुलसी विवाह कराने की कहानी

पुराणों की अनुसार, जलंधर नामक एक असुर था. जिसका जन्म भगवान शिव के तेज के अंश से समुद्र में हुआ था. भगवान शिव के तेज से जन्म लेने के कारण जलंधर बहुत ही शक्तिशाली था. जलंधर का विवाह वृंदा नाम की कन्या से हुआ था, जो भगवान विष्णु की परम भक्त भी थी. साथ ही वृंदा को वरदान प्राप्त था की उसके पति को कोई भी नहीं मार सकता. इस वजह से जलंधर को अपने आप पर घमंड होने लगा और अपने आतंक से मनुष्य और देवी-देवताओं को परेशान करने लगा.

जलंधर की पत्नी वृंदा के पतिव्रता स्त्री होने के कारण जलंधर को हराना आसान नहीं था. ऐसे में सभी देवतगण भगवान विष्णु के पास जाकर जलंधर के प्रकोप से बचाने के लिए प्रार्थना करने लगे. जिसके बाद भगवान विष्णु ने वृंदा के पतिव्रत धर्म को भंग करने के लिए अपनी माया से जलंधर का रूप धारण किया. भगवान विष्णु के छल के कारण वृंदा का पतिव्रता धर्म नष्ट हो गया और जलंधर की शक्तियां कम हो गई. जिसके बाद युद्ध में वह पराजित हो गया.

वहीं, दूसरी तरफ जब वृंदा को भगवान विष्णु के इस छल का पता चल तो उन्होंने क्रोध में भगवान विष्णु को शिला बन जाने का श्राप देकर स्वंय सती हो गईं. जहां वृंदा सती हुई थीं वहां एक तुलसी का पौधा उग गया. जिसके बाद देवताओं ने वृंदा से प्रार्थना कर भगवान विष्णु को दिए श्राप को वापस लेने को कहा. वृंदा ने अपना श्राप तो वापस ले लिया लेकिन भगवान विष्णु ने अपने पश्चाताप में अपना एक रूप पत्थर के रूप में प्रकट किया. भगवान विष्णु का यह पत्थर का रूप शालिग्राम कहलाया.

वहीं, इसके बाद से ही वृंदा की पवित्रता को बनाए रखने के लिए देवी-देवताओं ने वृंदा के भस्म में उगे तुलसी के पौधे के साथ भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप के साथ विवाह करवा दिया. तब से ही हर साल कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप के साथ देवी तुलसी का विवाह करवाया जाता है.

Published at:12 Nov 2024 01:35 PM (IST)
Tags:देवउठनी एकादशी देवउठनी एकादशी आज भगवान विष्णु तुलसी विवाह तुलसी विवाह की कथा तुलसी पूजा नियम शालिग्राम पूजा देवउठनी एकादशी पूजा का शुभ मुहूर्तDevuthani Ekadashi Devuthani Ekadashi today Lord Vishnu Tulsi Vivah Story of Tulsi Vivah Tulsi Puja Rules Shaligram Puja Auspicious time of Devuthani Ekadashi Puja
  • YouTube

© Copyrights 2023 CH9 Internet Media Pvt. Ltd. All rights reserved.