रांची(RANCHI): अंग्रेजी में हिंदी नामों की वर्तनी और उच्चारण में कमी या झोल कभी कभी लोगों को बड़ी परेशानी में डाल देती है. ऐसा ही कुछ मामला पिछले दिनों जेल से एक अखबार को आए थ्रेट कॉल के बाद सामने आया है. दूसरी बात अखबारों और समाचार माध्यमों के लिए ये सीख भी है, जब किसी के बारे में कुछ लिखे तो उसके पूरे पृष्ठभूमि का अध्ययन किए बिना जल्दबाजी में कोई बड़ी गलती न करें.
ऐसा विवाद तब सामने आया जब झारखंड के विभिन्न अखबारों ने यह समझा कि जोगेंद्र तिवारी और योगेंद्र तिवारी वही व्यक्ति हैं जिनका उल्लेख झारखंड शराब घोटाले में 27 दिसंबर को रांची की विशेष अदालत में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दायर आरोप पत्र में किया गया था.
Jogendr Tiwari जोगेंद्र तिवारी, जिन्हें हिंदी में जोगेंद्र तिवारी कहा जाता है, योगेंद्र तिवारी के बड़े भाई हैं, और Jogendra Tiwari जोगेंद्र तिवारी जिन्हें हिंदी में योगेंद्र तिवारी के नाम से जाना जाता है. साथ ही उनके छोटे भाई का नाम अमरेंद्र तिवारी हैं.
जोगेंद्र तिवारी, योगेंद्र तिवारी और अमरेंद्र तिवारी तीनों भाई हैं
शराब और अन्य घोटालों में दाखिल ईडी की चार्जशीट में रांची के बिरसा मुंडा जेल में बंद जोगेंद्र उर्फ योगेन्द्र नंबर वन आरोपी हैं.जोगेंद्र तिवारी , योगेंद्र तिवारी और अमरेंद्र तिवारी तीनो भाई है . जोगेंद्र की पत्नी का नाम दूर्वा पाल है जबकि योगेंद्र तिवारी के पत्नी का नाम नीता तिवारी है. वही अमरेंद्र तिवारी की पत्नी का नाम सीमा रानी तिवारी है .
विभिन्न अखबारों ने योगेन्द्र और जोगेंद्र को एक ही व्यक्ति मान लिया
ईडी ने अपनी चार्जशीट में जोगेंद्र तिवारी की वंशावली का वर्णन करते हुए उनके बड़े भाई जोगेंद्र की पत्नी का नाम दुर्बा पॉल बताया है, जबकि योगेंद्र की पत्नी का नाम नीता तिवारी है. सीमा रानी तिवारी अमरेंद्र तिवारी की पत्नी हैं. सबसे बड़े भाई पेशे से डॉक्टर हैं.विभिन्न अखबारों ने योगेन्द्र और जोगेंद्र को एक ही व्यक्ति मान लिया और लिखा कि योगेन्द्र तिवारी की दो पत्नियां हैं. एक अन्य स्थानीय दैनिक ने लिखा कि योगेन्द्र तिवारी ने 9.15 करोड़ रुपये कमाए और अपनी 'दो पत्नियों' के नाम पर कंपनियां स्थापित कीं.
एक प्रमुख हिंदी अखबार ने योगेन्द्र तिवारी के बारे में कुछ ऐसी ही गलती कर दी फिर अगले दिन उसे सुधार लिया. फिर भी, इस सहज 'गलती' ने योगेन्द्र तिवारी को इतना क्रोधित कर दिया कि उन्होंने अखबार के मुख्य संपादक आशुतोष चतुर्वेदी को फोन किया और उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दे डाली उसने जेल के लैंडलाइन नंबर का इस्तेमाल किया और कई कॉल किए. हालांकि इस संबंध में प्रधान संपादक ने सदर थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी है ,पूरे मामले का सार्वजनिक होने के बाद ED ने स्वतः संज्ञान लेते हुए जेलर को तलब किया है .
ईडी ने जेलर को तलब किया
घटना का संज्ञान लेते हुए ईडी ने 2 जनवरी को जेलर प्रमोद कुमार को तलब कर पूछताछ की कि जेल मैनुअल का उल्लंघन कर तिवारी को जेल में सुविधाएं कैसे मिल रही थीं. ईडी ने जेलर से उस सेल का सीसीटीवी फुटेज भी लाने को कहा है जहां तिवारी बंद हैं और जहां लैंडलाइन फोन लगाया गया है. इस बीच, इस सिलसिले में जेल अधीक्षक ने दो स्टाफ सदस्यों-अवधेश सिंह और पवन कुमार को शो कॉज किया है.
विशेष रूप से, ईडी पहले से ही जेल अधिकारियों की भूमिका की जांच कर रही है कि भूमि और खनन घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार हाई-प्रोफाइल कैदियों को जेल मैनुअल का उल्लंघन करके सुविधाएं कैसे मिल रही हैं और वे जांच को प्रभावित करने के लिए जेल से कैसे शो चला रहे हैं . झारखंड सरकार ने आरोपों की जांच के लिए एक सदस्यीय न्यायिक आयोग का भी गठन किया.
23 साझेदारी फर्मों का मालिक है योगेंद्र तिवारी
ईडी की चार्जशीट में मुख्य आरोपी योगेन्द्र तिवारी शराब कारोबार, रेत खनन और व्यापार, जमीन और होटलों की खरीद-फरोख्त में शामिल है और 23 साझेदारी फर्मों का मालिक है. ईडी को शराब और रेत के अवैध व्यापार से 9.15 करोड़ रुपये और एक रॉय बांग्ला की अवैध बिक्री से 5.62 करोड़ रुपये के अलावा अन्य 'अपराध की आय' का पता चला है. ईडी ने योगेंद्र तिवारी के स्वामित्व वाली 11 फर्मों पर भी आरोप पत्र दायर किया है.