टीएनपी डेस्क(TNP DESK): जन्माष्टमी का त्यौहार पूरे देशभर में बहुत ही धूमधाम के साथ हिंदू पंचांग के अनुसार जन्माष्टमी 26 अगस्त को मनाई जा रही हैं. मान्यता है कि सच्चे मन से प्रभु कान्हा की पूजा अर्चना करने से सुख और शांति की प्राप्ति होती है. श्री कृष्ण के भक्त अपने घरों में बाल रूप में बाल गोपाल को रखते हैं और अपने बच्चे की तरह उनकी देखभाल करते हैं. वहीं हर साल कृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन कई लोग व्रत रख विधि के साथ प्रभु कृष्ण की पूजा अर्चना करते हैं. तो आइए जानते हैं, मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में पडिंत जी से.
कृष्ण जन्माष्टमी शुभ मुहूर्त
- निशिता पूजा का समय: 26 अगस्त की मध्यरात्रि 12 से लेकर 12 बजकर 44 मिनट, तक
- पूजा अवधि: 44 मिनट
- चंद्रोदय समय: रात 11 बजकर 20 मिनट पर
- पारण समय: 27 अगस्त दोपहर 03 बजकर 38 मिनट पर
जन्माष्टमी पूजा विधि
जन्माष्टमी के दिन व्रत रखने के लिए सुबह उठकर स्नान कर पूजा की तैयारी करने से पहले घर और मंदिर की सफाई कर लड्डू गोपाल जी को पंचामृत व गंगाजल से अभिषेक करें फिर, उनके शरीर को अपने आंचल से पोछ ले. उन्हें सुंदर वस्त्र, मुकुट, मोर पंख, और बांसुरी से सजाएं. लड्डू गोपाल को पीले रंग का तिलक लगा कर माखन, मिश्री, पंजीरी, पंचामृत, ऋतु फल और मिठाई का भोग लगाएं. प्रभु श्री कृष्ण के जन्म होने से पहले घर पर कान्हा के वैदिक मंत्र का उच्चारण पूरे दिन करें. फिर श्री कृष्ण के जन्म होने के बाद आरती से पूजा का समापन कर ले और फिर प्रसाद का वितरण करें. अगले दिन अपने व्रत का पारण प्रसाद से करें.
श्रीकृष्ण पूजन मंत्र
- ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नम:
- हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे
- हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे