रांची - झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के मामले को लेकर अजीब तरह की स्थिति है. इसका असर सरकारी कामकाज पर पड़ रहा है.यह अलग बात है कि सरकार तेजी से काम करने का दवा कर रही है.पर सच्चाई इससे इतर है. बहुत सारे ऐसे काम हैं जिस पर अधिकारी अपनी स्वीकृति देने से बच रहे हैं.बस काम चल रहा है रूटीन तरीके से , अधिकारी कर्मचारी दफ्तर आते जरूर है लेकिन काम से ज्यादा उनकी निगाहे सरकार पर होती है , असमंजस है कि कहीं सरकार चली गई तो फिर क्या होगा ।
काम कएने से बच रहे अधिकारी
कई ऐसे विभाग हैं जहां पर वरीय अधिकारी किसी संचिका को आगे बढ़ाने से बच रहे हैं. सरकार की योजनाओं के आवंटन से संबंधित खासतौर पर टेंडर वर्क पर इसका बुरा असर पड़ रहा है. अभी तक सरकार के स्तर से जो लोक लुभावना घोषणाएं हुई हैं, उसे अमल में लाने में इनकी रुचि नहीं होती कारण साफ है ये आने वाले समय और समीकरण की प्रतीक्षा में है ।
विभाग में काम काज ठप
राजस्व एवं भूमि सुधार, कल्याण ,पथ निर्माण, ग्रामीण कार्य, भवन निर्माण,स्वास्थ्य विभाग के कुछ महत्वपूर्ण फैसले कथित रूप से प्रभावित हुए हैं. सूत्रों के अनुसार अधिकारी यह समझ नहीं पा रहे हैं कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कब तक रहेंगे. सरकार अपने अस्तित्व को लेकर चिंतित है. लिफाफा प्रकरण अभी भी रहस्यमय बना हुआ है.ईडी का ताजा मामला सामने आ गया है.अब तो और भी उहापोह की स्थिति बन गई है.