गिरिडीह(GIRIDIH): पारसनाथ की पहाड़ियों से चप्पे-चप्पे से परिचित और 15 लाख का इनामी कुख्यात नक्सली कृष्ण हांसदा पुलिस की गिरफ्त में है. झारखंड पुलिस की यह बड़ी सफलता मानी जा रही है. पुलिस की कोशिश कृष्ण हांसदा के सहारे नक्सलियों का संगठनात्क क्षमता और उसके आर्थिक ताकत के तह तक पहुंचने की है. यही कारण है कि पुलिस और सीआरपीएफ के जवान कृष्णा हांसदा को लेकर पारसनाथ की पहाड़ियों की लगातार खाक छान रहे हैं.
एक संगठित सेना की तरह है नक्सलियों के रख-रखाव की व्यवस्था
पुलिस के लिए अचम्भे की बात यह है कि नक्सलियों का पूरा ढांचा एक संगठित सेना की तरह है, उनके कैम्प में सुनियोजित तरीके से खेती की जाती है, वहीं शारीरिक फिटनेस के लिए उपकरणों की भी मौजूदगी है. सबसे बड़ी बात यह है कि किस नक्सली का क्या ओहदा है, उसके अनुसार ही उसके रख-रखाव और सुरक्षा की व्यवस्था की गयी है. ये सारे सबूत इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि नक्सलियों की दुनिया शायद वैसी नहीं है, जैसे सामान्य रुप से माना-समझा जाता है. इस धारणा के विपरीत उनका रख-रखाव पूरी तरह एक संगठित सेना की है.
पुलिस के किसी भी संभावित एक्शन की होती है उन्हे जानकारी
बताया जा रहा है कि नक्सलियों को इस बात की भनक लग चुकी थी कि पुलिस कृष्ण हांसदा को लेकर इस इलाके में पहुंचने वाली है, यही कारण है कि पुलिस को कुछ खास हासिल नहीं हो सका, वैसे कृष्ण हांसदा ने पुलिस को इतनी जानकारी तो दे ही दी है कि गिरफ्तारी के पहले तक उसके साथ कुख्यात नक्सली राहुल दा मौजूद थें. लेकिन अपनी तमाम कोशिश के बावजूद भी पुलिस राहुल दा के बारे में कोई जानकारी नहीं निकाल पायी है.
नक्सलियों का सुरक्षित जोन रहा है पारसनाथ की पहाड़ियां
वैसे पुलिस विभाग के आला अधिकारियों का मानना है कि पारसनाथ की पहाड़ियां अब तक नक्सलियों के सुरक्षित जोन रही है. पहली बार इनके किले को भेदा जा रहा है. पारसनाथ की महत्ता और संभावित विकास की परियोजनाओं को देखते हुए पुलिस विभाग की कोशिश पारसनाथ को नक्सलियों के चंगुल से बाहर निकालने की है.
रिपोर्ट: देवेन्द्र कुमार