असेंबली के समक्ष धरनारत प्रदर्शनकारी बोले- मजदूरों की भुखमरी नेताओं पर नोटों की बरसात


रांची (RANCHI): काम दो या भत्ता दो, काम नहीं मिलने तक निर्माण मजदूरों को 7500 रु. प्रतिमाह भत्ता देना होगा और मजदूरों की भुखमरी नेताओं पर नोट की बरसात नहीं चलेगा जैसे नारे आज विधानसभा के सामने में मैदान में गूंज रहे थे. दरअसल राज्य में व्याप्त बालू संकट, क्रेशर बंदी, खाद्यान्न संकट और महंगाई से त्रस्त मजदूर अपनी मांगों को लेकर सरकार से गुहार लगा रहे थे. इनमें निर्माण मजदूरों की सख्या अधिक थी. ये शालीमार बाजार चौक से रैली की शक्ल में विधान सभा आंदोलनकारी मैदान पहुंचे और धरना पर बैठ गए. प्रदर्शन की अगुवाई ऐक्टू से सम्बद्ध झारखंड निर्माण मजदूर यूनियन ने किया.
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मौके पर ऐक्टू के प्रदेश महासचिव शुभेंदु सेन ने कहा कि भूख से और मालिकों की रंगदारी से मुक्ति के बाद ही मजदूरों के लिए आजादी अमृत काल साबित होगा. रोजगार के बिना आजादी अधूरी साबित होगी. श्रम कानूनों में संशोधन मजदूरों को आर्थिक रुप से गुलाम बनाने की साजिश है. अनुपूरक हो या एनुवल बजट इनके हिस्से कुछ भी नहीं मिलता. रोजगार या भत्ता की गारंटी मजदूरों को नहीं मिली तो हम बड़े आन्दोलन के लिए बाध्य होंगे.
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निर्माण मजदूर युनियन के प्रदेश महासचिव भुवनेश्वर केवट ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों के कारण राज्य के मज़दूर भुखमरी की चपेट में हैं. काम नहीं मिलने तक ऑफ सीजन कंपनसेशन के तहत सरकार प्रतिमाह 7500 रुपये भत्ता की गारंटी करें. मजदूर यूनियन के नेता भीम साहू , नसीम खान, सुनील उरांव, मेवा उरांव, राजू महतो, जगन्नाथ उरांव, अशोक चौधरी, राजेश लिंडा फुलमनी उरांव, एनामुल हक, अब्दुल रजाक, महबूब अंसारी मंटू पासवान समेत कई नेताओ ने भी संबोधित किया।
मुख्यमंत्री के नाम सौंपा 9 सूत्री मांगपत्र
प्रदर्शन के बाद मुख्यमंत्री के नाम 9 सूत्री मांगपत्र प्रतिनियुक्त दंडाधिकारी वासुदेव बड़ाइक को सौंपा गया. जिसमे रोजगार के आभाव में निर्माण मजदूरों के समक्ष छाये भुखमरी का संकट से राहत के लिए काम नहीं मिलने तक निर्माण मजदूरों को 7.500 रुपये प्रति माह भत्ता का भुगतान करने, मजदूरों को गुलाम बनाने वाला चारो श्रम कोड को रद्द कर सभी श्रम कानूनों को सख्ती से लागू करने, बालू, क्रेशर ,पत्थर खदान, ढिबरा मजदूरों के रोज़गार के उपलब्ध कराने की दिशा में मौजूद सारे अड़चन को दूर कर रोजगार की गारंटी करने, निर्माण मजदूरों के लिए राजधानी समेत सभी जिला मुख्यालय से सटे प्रमुख चौराहों से निः शुल्क मजदुर बस सेवा की सुविधा शुरू करने,शहरी मजदूरों के लिए मनरेगा की तर्ज पर रोजगार गारंटी कानून बनाकर निर्माण क्षेत्र में कार्यरत राज्य के मजदूरों को अविलंब 200 दिन काम की गारंटी करने सभी मजदूर बाजारों में स्थाई पक्का शेड, पेयजल, शौचालय, आदि की व्यवस्था करने ,सभी निर्माण मजदूरों को पक्का आवास से लाभान्वित करने, भवन एवं अन्य सनिर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड को पुनर्गठित कर AICCTU ( ऐक्टू ) समेत सभी केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों के प्रतिनिधियों को शामील करने आदि मांगें शामिल हैं.
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