धनबाद(DHANBAD) : धनबाद में फिलहाल नगर निगम चुनाव को लेकर महिलाओं की राजनीतिक सक्रियता पर खूब चर्चा हो रही है. कारण भी है, धनबाद सीट महिला के लिए आरक्षित कर दी गई है. 2010 में भी यह सीट रिजर्व्ड थी. वैसे धनबाद में महिलाओं की राजनीतिक सक्रियता 90 के दशक से ही शुरू हुई जो आज भी जारी है. 1991 में धनबाद के जांबाज एसपी रणधीर प्रसाद वर्मा की हत्या के बाद उनकी पत्नी प्रोफेसर रीता वर्मा धनबाद से चार बार सांसद रही. इस दौरान वह केंद्रीय कोयला राज्य मंत्री भी बनी.
चार वार सांसद रही प्रोफेसर रीता वर्मा
पति रणधीर वर्मा की हत्या के बाद प्रोफेसर रीता वर्मा धनबाद संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ी और जीत दर्ज की. इसी प्रकार झारखंड मुक्ति मोर्चा नेत्री रेखा मंडल पति मनिंद्र मंडल की 1994 में हत्या के बाद राजनीति में आई. जैक के उपाध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंची. यह साल 19 95-96 का रहा होगा. शिबू सोरेन जैक के अध्यक्ष बने थे. झारखण्ड बनाने के पहले अलग राज्य के आंदोलन को कमजोर करने के लिए जैक का गठन किया गया था. इसके बाद हम चर्चा करेंगे पूर्व मंत्री आबो देवी की. पति राजू यादव की 1990 में हत्या के बाद झरिया से दो बार विधायक रही. लालू प्रसाद के मंत्रिमंडल में मंत्री भी बनी.
बच्चा सिंह को हराकर आबो देवी झरिया से बनी विधायक
आबो देवी ने बच्चा सिंह जैसे कद्दावर नेता को हराकर झरिया से विधायक बनी थी. उसके बाद बिहार में ग्रामीण विकास राज्य मंत्री भी बनी. इसी तरह पूर्व विधायक फूलचंद मंडल की बहू माया देवी जिला परिषद अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंची. 2002 में पति सुशांतो सेनगुप्ता की हत्या के बाद अपर्णा सेनगुप्ता राजनीति में आई, वह निरसा से विधायक बनी और झारखंड में मंत्री की कुर्सी तक पहुंची. फिलहाल वह निरसा से भाजपा की विधायक है. पूर्णिमा नीरज सिंह 2017 में पति नीरज सिंह की हत्या के बाद झरिया से चुनाव लड़ा और कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीती.अभी धनबाद जिला परिषद अध्यक्ष की कुर्सी पर महिला शारदा सिंह मौजूद है.
रिपोर्ट: शंभावी, धनबाद