धनबाद(DHANBAD):तो क्या कांग्रेस में राष्ट्रीय स्तर पर बदलाव का खाका खींच लिया गया है?क्या कांग्रेस में अब पद लेकर मठाधीशी करने वालों के भी दिन जाने वाले हैं? कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़के ने जो संकेत दिए हैं, उसके अनुसार ब्लॉक लेवल से लेकर ऐआईसीसी तक बदलाव की जरूर महसूस की जा रही है. यह देश स्तर पर करने का संकेत उन्होंने दिया है. उन्होंने कहा है कि विधानसभा चुनाव में हार से सबक लेते हुए रणनीति बनाने और उस पर अमल करने की जरूरत है.
हमें माहौल को परिणाम में बदलना सीखना होगा-मल्लिकार्जुन खड़गे
पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि हमें माहौल को परिणाम में बदलना सीखना होगा. ब्लॉक स्तर से लेकर आईसीसी तक में बदलाव की बात कही. वह हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में हार के कारणों और भविष्य की रणनीति पर विचार करने के लिए बुलाई गई कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में बोल रहे थे. कहा कि लोकसभा चुनाव में पार्टी ने बेहतर प्रदर्शन किया था. पर उसके तुरंत बाद हुए कई विधानसभा चुनाव के नतीजे उम्मीद के मुताबिक नहीं रहे. बल्कि हमारा प्रदर्शन बेहद खराब रहा. राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि चुनाव में माहौल हमारे पक्ष में था, लेकिन हम उसे नतीजे में नहीं बदल सके. हमें यह सीखना होगा. उन्होंने मेहनत करने के साथ-साथ समयबद्ध तरीके से रणनीति बनाने और बूथ स्तर तक संगठन को मजबूत करने पर बल दिया. कहा कि मतदाता सूची बनाने से लेकर वोट की गिनती तक रात दिन ,सजग, सचेत और सावधान रहने की जरूरत है. कई राज्यों में पार्टी का संगठन अपेक्षा के अनुरूप नहीं है .राष्ट्रीय मुद्दों और राष्ट्रीय नेताओं के सहारे राज्यों का चुनाव आप कब तक लड़ेंगे. हाल के चुनावी नतीजे का संकेत यह भी है कि हमें राज्यों में अपनी चुनाव की तैयारी कम से कम एक साल पहले शुरू कर देनी चाहिए. पार्टी में गुटबाजी और बयान बाजी को भी उन्होंने हार की वजह बताई.
झारखंड में कांग्रेस की आपसी कलह पार्टी को पहुंचा रही है नुकसान
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष की इस पीड़ा से झारखंड भी अछूता नहीं है. धनबाद में तो कांग्रेस के नेताओं ने चुनाव के ठीक बीच आपस में मारपीट तक कर ली .छोटी-छोटी बातों को लेकर कांग्रेस के नेता आपस में टकरा जाते हैं. इसका नतीजा पार्टी को भुगतना होता है. राष्ट्रीय अध्यक्ष ने जो संकेत दिए हैं ,उसके बाद तो ऐसा लगता है कि अब पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर संगठन को नए ढंग से मजबूत करने की दिशा में काम करेगी. झारखंड में भी कांग्रेस का परफॉर्मेंस अच्छा नहीं कहा जा सकता है. संतोष की बात यह जरूर है कि 2019 में कांग्रेस जितनी सीट जीती थी, उतनी पर आज भी खड़ी है. एक भी सीट का विस्तार नहीं हुआ है. जबकि कांग्रेस के 19 विधायक विधानसभा चुनाव में गए थे और जीते हैं केवल 16. अब झारखंड में कांग्रेस कोटे के मंत्रियों के लिए लॉबिंग तेज हो गई है. रांची से लेकर दिल्ली तक मंत्री बनने की इच्छा रखने वाले दौड़ लगा रहे हैं. देखना होगा कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने जो संकेत दिए हैं, उसका असर जमीन पर कितना होता है?
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो