रांची(RANCHI): महामहिम दौप्रदी मुर्मू ने झारखंड के 11वें राज्यपाल के रुप में सीपी राधाकृष्णन की नियुक्ति की है, इसके साथ ही अपने बयानों और चुनाव आयोग की चिट्ठी को लेकर विवादों में रहे पूर्व गवर्नर रमेश बैस की झारखंड से विदाई से हो गयी है.
भगत सिंह कोश्यारी का स्थान लेंगे रमेश बैस
यहां बता दें कि रमेश बैस को भगत सिंह कोश्यारी के स्थान पर महाराष्ट्र का नया राज्यपाल बनाया गया है, पिछले कुछ दिनों से भगत सिंह कोश्यारी भी महाराष्ट्र की राजनीति में विवादों के केन्द्र में थें. शिवाजी महाराज को लेकर एक बयान के बाद महाराष्ट्र की राजनीति गर्म थी, भगत सिंह कोश्यारी ने अपने एक बयान में शिवाजी महाराज को पुराने जमाना का हीरो बताया था. मराठा बहुल महाराष्ट्र में इस बयान के बाद भारी नाराजगी देखी जा रही थी और यह स्थिति भाजपा के मुफीद नहीं थी. लेकिन इसके साथ ही रमेश बैस का कार्यकाल भी विवादों में रहा, इनके द्वारा बार- बार राज्य की हेमंत सरकार को निशाना बनाया जा रहा था.
खनीज लीज मामले में चुनाव आयोग की चिट्ठी को लेकर सस्पेंस
दरअसल रमेश बैस के द्वारा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जुड़े खनीज लीज मामले में चुनाव आयोग की चिट्ठी को लेकर संस्पेस कायम किया गया था, चुनाव आयोग ने इस चिट्ठी में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लेकर क्या संस्तूतियां की थी, यह एक रहस्य बना हुआ था, कभी मीडिया तो कभी भाजपा नेता निशिकांत दुबे के हवाले से यह खबर आती रही कि चुनाव आयोग ने मुख्यमंत्री की विधान सभा सदस्यता को खत्म करने की अनुशंसा की है.
खतरे की आशंका के बीच तेज हो गयी थी झारखंड में राजनीतिक सरगर्मी
खतरे की आशंका के बीच राज्य में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गयी, यूपीए खेमे की ओर से विधान सभा में शक्ति प्रदर्शन की तैयारियां की जाने लगी, विधायकों को झारखंड से दूर छतीसगढ़ ले जाकर किसी भी संभावित सेंधमारी को रोकने की रणनीति बनायी गयी और आखिरकार जब राज्यपाल की ओर से इस मामले में कोई जवाब नहीं आया तब हेमंत सरकार ने खुद ही विधान सभा के पटल पर विश्वास मत हासिल करने का निर्णय लिया.
लेकिन रमेश बैस ने नहीं तोड़ी चिट्ठी पर अपनी चुप्पी
यूपीए नेताओं के द्वारा बार बार राज्यपाल से चिट्ठी का सस्पेंस खत्म करने का आग्रह किया जाता रहा, इस बीच राज्यपाल की ओर से यह खबर आयी कि उनके द्वारा चुनाव आयोग को पत्र लिखकर सेकेंड ओपिनियन की मांग की गयी है, लेकिन बाद में चुनाव आयोग की ओर से ऐसे भी दावे को खारिज कर दिया गया.
इस बीच रमेश बैस ने यह कहकर सनसनी फैला दी कि झारखंड में किसी भी वक्त एटम बम फूट सकता है. साफ था कि राज्यपाल रमेश बैस हेमंत सरकार को लेकर सहज नहीं थें, लेकिन झारखंड का राजनीतिक माहौल और सामाजिक समीकरण उन्हे किसी भी कार्रवाई से रोक रहा था, हेमंत सरकार से छेड़छाड़ करने के किसी भी प्रयास के पूर्व वह उसके संभावित खतरे को लेकर आशंकित थे, यही कारण है कि एक अर्सा बीतने के बाद भी झारखंड के लोगों को चुनाव आयोग की उस चिट्ठी के राज खुलने का इंतजार है, एटम बम कब फूटेगा इसको लेकर उत्सुकता है, अब जब राज्य में नये राज्यपाल की नियुक्ति हो चुकी है, सीपी राधाकृष्णन झारखंड के 11वें राज्यपाल के रूप में शपथ ग्रहण करने वाले हैं, आम जनमानस के साथ ही राजनीतिक गलियारे में भी नए राज्यपाल के रुख का इंतजार है.
रिपोर्ट: देवेन्द्र कुमार