धनबाद (DHANBAD) : धनबाद में रहकर बिहार में बालू से तेल निकालने वाले कारोबारियो में से अधिसंख्य फिलहाल बेउर जेल पहुंच गए है. इस बार बालू खनन के ठेका पत्ते में उनकी क्या और कैसी भूमिका होगी, यह बात आगे स्पष्ट हो पाएगी. लेकिन कोयला से हीरा निकालने वाले धनबाद के कारोबारी बालू से तेल निकालने में धोखा खा गए. उन्हें जेल के सलाखों तक पहुंचना पड़ गया. बिहार में बालू खनन घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई के बाद बिहार सरकार भी जागी है. कुछ नए-नए नियम, कानून बनाए गए हैं. ड्रोन से बालू घाटों की निगरानी का निर्णय लिया गया है. इलाके के पुलिस इंस्पेक्टर को भी जिम्मेदार बनाने की तैयारी चल रही है. लेकिन यह सब निर्भर करेगा, सरकार की इच्छा शक्ति पर. प्रश्न उठाए जा रहे हैं कि क्या सचमुच बिहार सरकार बालू के अवैध खनन पर रोक लगाना चाहती है. अगर वह चाहेगी तो रोक बहुत कठिन नहीं होगा. इसके लिए उसे धनबाद सहित बिहार के बालू माफिया के फन कुचलने होंगे. सूचना के अनुसार बिहार में अब बालू घाटों की संख्या बढ़कर 984 हो गई है. पहले यह संख्या 580 के आसपास थी.
सूत्र बताते हैं कि संख्या बढ़ने का कारण घाटों को छोटी-छोटी इकाइयों में बांटना है. इन नए बालू घाटों पर खनन की प्रक्रिया भी जल्द शुरू हो जाएगी. नए और पहले से बचे हुए बालू घाटों की नीलामी की प्रक्रिया में सरकार तेजी से काम कर रही है. वैसे 15 अक्टूबर से बालू खनन का काम फिर से शुरू होने जा रहा है. फिर तो बालू घाटों की नीलामी और तेज हो जाएगी. राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश पर बरसात में बालू खनन के काम पर रोक के बाद 15 अक्टूबर से यह चालू होने जा रहा है. सूत्र बताते हैं कि अब तक बिहार में 373 घाटों की नीलामी हुई है. 611 घाटों की नीलामी प्रक्रिया में है.
सूत्रों का दावा है कि पहले के 580 घाटों में करीब ढाई सौ ऐसे हैं, जिनका क्षेत्रफल बहुत बड़ा है. इस वजह से उनकी नीलामी नहीं हो पा रही थी. विभागीय स्तर पर समीक्षा के बाद घाटों को छोटे-छोटे आकार में बांट दिया गया है. जिससे कुल घाटों की संख्या बढ़कर 984 पहुंच गई है. सभी घाटों पर ओवरलोडिंग रोकने के लिए धर्म कांटा, चेक पोस्ट सहित अन्य इंतजाम किए जाने का दावा किया गया है. खनिज ढोने वाले वाहनों पर लाल पट्टी से लाइसेंस संख्या समेत अन्य जानकारी लिखना जरूरी कर दिया गया है. वाहनों में जीपीएस लगाना भी अनिवार्य है. अब देखना है कि बिहार में बालू माफिया जिस तरह से काम कर रहे थे, उनकी मनमानी पर सरकार अंकुश लगाने में कितना कामयाब होती है.