धनबाद(DHANBAD): बिहार में कोई राजनीतिक हलचल हो, कोई बड़ा बदलाव हो,कोई नियम बदले तो इसकी चर्चा झारखंड, खासकर कोयलांचल में नहीं हो, ऐसा होता नहीं है. ताजा मामला अपने समय के बाहुबली रहे पूर्व सांसद आनंद मोहन को लेकर है. आनंद मोहन फिलहाल आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं. लेकिन 2024 का चुनाव हो सकता है कि इनके लिए कुछ शुभ संकेत लेकर आए. फिलहाल भाजपा से अलग होने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कई संभावनाओं पर काम कर रहे हैं. इसी क्रम में पूर्व सांसद को राहत देकर फॉरवर्ड क्लास को साधने का प्रयास करने की बात राजनीतिक पंडित बताते हैं.
क्या जेल मैनुअल में संशोधन के बाद आनंद मोहन को मिलेगी राहत
कहा जा रहा है कि बिहार सरकार ने आनंद मोहन के लिए ही जेल मैनुअल में बदलाव किया है. पहले नियम था कि आजीवन कारावास काट रहा बंदी का आचरण अगर सही हो तो सरकार उसकी सजा माफ कर सकती है, लेकिन इसके साथ एक शर्त थी कि अगर किसी सरकारी सेवक की हत्या के मामले में वह आजीवन कारावास की सजा काट रहा है तो उसे रिहाई नहीं मिलेगी. जानकारों की माने तो यही पेंच आनंद मोहन की रिहाई में फंसा हुआ था. जिसे अब हटा लिया गया है और अब सभी बंदियों के लिए एक नियम कर दिया गया है. हो सकता है कि इसका लाभ पूर्व सांसद आनंद मोहन को मिले. इसके पीछे राजनीतिक चर्चा खूब चल रही है. कोयलांचल में आनंद मोहन के समर्थक भी हैं. कई लोग उनके बिहार पीपुल्स पार्टी के पदाधिकारी रह चुके हैं. हाल फिलहाल में उनकी पत्नी और विधायक बेटा भी कोयलांचल आए थे .यहां उनका गर्मजोशी से स्वागत हुआ था. इसलिए भी अभी कोयलांचल में आनंद मोहन को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं चल रही है. उनके समर्थक नीतीश कुमार के इस कदम को सही बता रहे हैं. उनका बेटा फिलहाल राजद से विधायक है. नीतीश कुमार भी राजद के साथ आ गए हैं . राजद भी फॉरवर्ड क्लास को अपने पक्ष में करने के लिए लगातार कोशिश कर रहा है. नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव एक साथ आ गए हैं. राजनीतिक पंडित मान रहे हैं कि आनंद मोहन की रिहाई संभव है और बिहार में गठबंधन उन्हे रिहा करने के बाद इसका लाभ उठाने की कोशिश करेगा. बिहार में नीतीश के भाजपा का साथ छोड़ने का दर्द भाजपा नेताओं में बना हुआ है और दोनों तरफ से वोटरों को अपने पक्ष में करने की हर छोटी बड़ी रणनीति तैयार की जा रही है.
किस मामले में आनंद मोहन को मिली थी सजा
पूर्व एमपी आनंद मोहन गोपालगंज के डीएम की हत्या में उम्र कैद काट रहे हैं. 5 दिसंबर 1994 को गोपालगंज के डीएम को मुजफ्फरपुर में भीड़ ने पीट कर मार दिया था. पूर्व सांसद आनंद मोहन भीड़ की अगुवाई कर रहे थे. दरअसल बिहार पीपुल्स पार्टी के नेता और बाहुबली छोटन शुक्ला की हत्या हो गई थी. इस हत्या के खिलाफ भीड़ उग्र थी. गोपालगंज के डीएम उस रास्ते गुजर रहे थे तो बात बिगड़ गई और उनकी हत्या हो गई. आनंद मोहन एक जमाने में उत्तरी बिहार के कोसी क्षेत्र के बाहुबली कहलाते थे. पप्पू यादव से उनकी टकराहट हुआ करती थी. आनंद मोहन की राजनीति में एंट्री 1990 में तब हुई, जब सहरसा से पहली बार विधायक बने थे. देखना है जेल मैनुअल में संशोधन के बाद पूर्व सांसद को कब और कैसे राहत मिलती है.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो