धनबाद(DHANBAD) : AICC महासचिव केसी वेणुगोपाल ने इंटक रेड्डी गुट को मान्यता दे दी है. लेकिन क्या इससे इंटक का विवाद खत्म हो जाएगा, क्या जेबीसीसीआई में इंटक की एंट्री हो जाएगी. यह प्रश्न कोयलांचल के फिजा में तैर रहा है. सवाल किये जा रहे कि क्या एक चिट्ठी मात्र से रेड्डी और ददई दुबे में सुलह हो जाएगी. रेड्डी गुट के लोग कह रहे हैं कि अब मिलजुल कर काम करने का समय आ गया है. जबकि ददई दुबे गुट इसे मानने को तैयार नहीं है. जानकार लोग बताते हैं कि जब तक इंटक को लेकर देश के विभिन्न न्यायालयों में चल रहे मुकदमों की वापसी नहीं होगी,या ख़त्म नहीं होंगे, तब तक जेबीसीसीआई में इंटक की एंट्री संभव नहीं है. मुकदमो के कारण ही इंटक को जेबीसीसीआई से बाहर रखा गया है.
देशभर में चल रहे है 36 मुकदमे
देशभर में अभी इंटक से जुड़े 36 केस चल रहे है. इसलिए इंटक को एकजुट करने के लिए कोर्ट के मामलों का निपटारा जरूरी होगा. वेणुगोपाल की ओर से निर्गत पत्र के बाद विवाद कम होने के बजाय और अधिक हो गया है. दुबे गुट वेणुगोपाल के पत्र को सिरे से खारिज कर दिया है. संभवत दुबे गुट पत्र का जवाब देगा. मतलब की वेणुगोपाल के पत्र का कोई खास असर विवाद पर नहीं पड़ने जा रहा है. इधर, रेडी गुट को स्वीकृति देने पर ददई दुबे ने बड़ा आरोप लगाते हुए कह दिया है कि खड़गे और रेड्डी दोनों दक्षिण से है ,इसलिए रेड्डी गुट का कमेटी ने पक्ष लिया. ददई दुबे ने कहा कि वह कांग्रेस के वफादार हैं और सिर्फ सोनिया गांधी और राहुल गांधी की बात मानेंगे.
ददई दुबे अपनी बात सोनिया गांधी के पास रखेंगे
अपना पक्ष वह सोनिया गांधी के समक्ष रखेंगे, सोनिया गांधी जो निर्णय लेगी, वह स्वीकार होगा. इधर, ददई दुबे की नाराजगी पर रेड्डी का कहना है कि दुबे जी को चाहिए कि मिल बैठकर समस्या का समाधान कर ले. कैसे इंटक सशक्त होगी,यह सोचने का समय है. देखना है लगातार कमजोर हो रही इंटक एक बार अपनी खोई प्रतिष्ठा हासिल कर पाती है अथवा धीरे-धीरे और कमजोर होती चली जाती है. अभी इंटक को जेबीसीसीआई से बाहर रखा गया.
रिपोर्ट: सत्यभूषण सिंह, धनबाद