रांची (TNP Desk) : झारखंड में राज्यसभा की दो सीटों के लिए होने वाले चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है. लोगों में भी चर्चा है कि झारखंड से दो प्रत्याशी कौन होगा जो राज्यसभा जाएगा. जबकि 21 मार्च को राज्यसभा की दो सीटों पर चुनाव होने हैं. नामांकन की अंतिम तिथि 11 मार्च है. लेकिन अभी तक न ही एनडीए ने उम्मीदवार की घोषणा की है और ना ही इंडिया गठबंधन ने प्रत्याशी के नाम का एलान किया है. लेकिन झारखंड में होने वाले राज्यसभा चुनाव के लिए दो उम्मीदवारों ने नामांकन पत्र जरूर खरीद लिया है.
इन्होंने खरीद नामांकन पत्र
गांडेय से जेएमएम के पूर्व विधायक डॉ सरफराज अहमद और मुम्बई के उद्योगपति हरिहर महापात्रा ने नामांकन पत्र खरीदे हैं. ऐसे में नामांकन के अंतिम दिन 11 मार्च को पिक्चर साफ हो जाएगा कि चुनाव मैदान में कितने और कौन-कौन से प्रत्याशी हैं. यदि दो प्रत्याशी चुनाव मैदान में होते हैं तो ऐसी स्थिति में वोटिंग की नौबत नहीं आएगी. यदि दो से अधिक नामांकन होते हैं तभी मतदान होगा. इस संबंध में विधानसभा के प्रभारी सचिव सह निर्वाचन पदाधिकारी सैयद जावेद हैदर ने बताया कि शनिवार और रविवार छुट्टी होने की वजह से नामांकन दाखिल नहीं हो सकेगा. ऐसे में 11 मार्च को ही नामांकन पत्र दाखिल होगी. इस तरह से 14 मार्च को नामांकन वापसी का समय समाप्त होने के बाद साफ होगा कि मतदान होगा या नहीं.
एनडीए और इंडिया गठबंधन ने अभी तक नहीं की प्रत्याशियों की घोषणा
इन सबके बीच राज्यसभा चुनाव को लेकर अभी तक पक्ष और विपक्ष की ओर से प्रत्याशियों की घोषणा आधिकारिक रूप से नहीं की गई है. ऐसा माना जा रहा है कि डॉक्टर सरफराज अहमद इंडिया गठबंधन के साझा उम्मीदवार होंगे जबकि उद्योगपति हरिहर महापात्रा एनडीए के प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरेंगे. चुनाव आयोग की चार मार्च को जारी अधिसूचना के मुताबिक 11 मार्च तक नामांकन पत्र दाखिल होने के पश्चात 12 मार्च को नामांकन पत्रों की स्क्रूटनी होगी जबकि 14 मार्च तक नाम वापस लिए जाएंगे.
क्या है राज्यसभा चुनाव का फॉर्मूला
राज्यसभा चुनाव के लिए टाइप फॉर्मूला के अनुसार कुल विधायकों की संख्या को 100 से गुणा करके जितनी सीटों के लिए चुनाव होने हैं उसमें एक जोड़कर भाग दिया जाता है. इसके बाद कुल संख्या में एक जोड़ा जाता है. फिर अंत में जो संख्या निकलती है वह जीत के लिए मानक तय होता है. ऐसे में अधिक विधायक वाले दलों को सबसे ज्यादा फायदा होता है. इस चुनाव में विधानसभा के मनोनीत सदस्य भाग नहीं लेते हैं.