धनबाद(DHANBAD): गर्मी की आहट शुरू हो गई है. अभी तक की स्थिति को देखते हुए ऐसा माना जा रहा है कि मार्च के पहले सप्ताह तक कई महीनो से बंद पंखे और ए सी चलने लगेंगे. इसके साथ ही बिजली और पावर प्लांटों में कोयले के डिमांड में बढ़ोतरी हो जाएगी. वैसे, बिजली उत्पादन और कोयला आपूर्ति के आंकड़े अभी से इसी ओर इशारा कर रहे है. वैसे, इस गर्मी में झारखंड सरकार की अग्नि परीक्षा होगी. निर्वाध बिजली देना चुनौती बनेगी तो कोयले की आपूर्ति मांग के अनुसार करना कोयला कंपनियों के लिए भी कठिन काम होगा. एक आंकड़े के मुताबिक 2024 के जनवरी के मुकाबले जनवरी 2025 में बिजली उत्पादन और कोयला आपूर्ति दोनों में बढ़ोतरी हुई है. आगे और बढ़ोतरी की संभावना बनी हुई है.
कोयला कंपनियों पर भी बढ़ेगा दवाब
पावर कंपनियों को ज्यादा बिजली पैदा करना तो कोयला कंपनियों को पावर प्लांट को अधिक कोयला आपूर्ति का दबाव रहेगा. सूत्रों के अनुसार जनवरी में पावर प्लांट को दिसंबर के मुकाबले 5.83% अधिक कोयले की आपूर्ति की गई है. जनवरी 2025 में कुल 76.4 1 मिलियन टन कोयला भेजा गया है. जबकि दिसंबर 2024 में 72.20 मिलियन टन कोयले की आपूर्ति पावर प्लांटो को हुई थी. बिजली उत्पादन का नेशनल आकड़ा बताता है कि दिसंबर 2024 में 10714 3 मिलियन यूनिट बिजली उत्पादन की जगह जनवरी 2025 में बिजली का उत्पादन 112636 मिलियन यूनिट हुआ है. जैसे-जैसे गर्मी बढ़ेगी, बिजली की डिमांड बढ़ती जाएगी. यह डिमांड घरेलू उपयोग के कारण बढ़ेगी. औद्योगिक इकाइयों में मांग तो लगभग वही रहती है.
निर्वाध बिजली आपूर्ति भी बनेगी चुनौती
आमतौर पर पावर सेक्टर को 260 से लेकर 270 रैक कोयले की आपूर्ति प्रतिदिन की जाती है. गर्मी में मांग बढ़ने के कारण 290 से 300 रैक तक आपूर्ति करनी पड़ती है. वैसे तो राष्ट्रीय स्तर पर बिजली की मांग में वृद्धि के कारण 5 से 7 मिलियन टन तक ज्यादा कोयला आपूर्ति पावर प्लांट को करनी पड़ती है. हर साल यह डिमांड बढ़ती जाती है. वैसे भी चालू वित्तीय वर्ष में कोल इंडिया की कई अनुषंगी इकाइयां अपने उत्पादन लक्ष्य से पीछे चल रही है. पिछली गर्मी में झारखंड में भी बिजली संकट पैदा हुआ था. अतिरिक्त इंतजाम के बावजूद जरूर भर बिजली की आपूर्ति नहीं हो रही थी. अब प्रचंड बहुमत के साथ झारखंड में नई सरकार बनी है. झारखंड सरकार के लिए भी निर्वाध बिजली बड़ी चुनौती बन सकती है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो