धनबाद(DHANBAD): धनबाद की सिंदरी विधानसभा सीट इंडिया ब्लॉक की कड़ी परीक्षा लेगी. परीक्षा इसलिए लेगी कि एके राय की पार्टी (मासस का माले में विलय हो गया है. सिंदरी से माले भी दावा ठोक दिया है, तो चुनाव लड़ने के लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा के भी कई नेता लाइन में खड़े है. सूत्र बताते हैं कि निरसा सीट पर कोई कंफ्यूजन नहीं है. लेकिन सिंदरी सीट पर पेंच फंसा हुआ है और यह पेंच इंडिया गठबंधन के लिए सिरदर्द की ओर बढ़ रहा है. सिंदरी सीट एके राय की पार्टी का गढ़ रहा है. चार बार यहां से आनंद महतो विधायक बने है.
सिंदरी से दो बार एके राय विधायक रहे थे
तो दो बार खुद एके राय भी सिंदरी से विधायक बने थे. नौकरी छोड़कर जब एके राय चुनावी राजनीति का हिस्सा बने तो सिंदरी सीट को ही उन्होंने चुना और दो बार सिंदरी से विधायक रहे. यह अलग बात है कि एके राय चार बार धनबाद संसदीय क्षेत्र से सांसद भी रहे. लेकिन उनके निधन के बाद उनके नाम का झंडा ढोने वाले कहीं ना कहीं खुद को कमजोर महसूस करने लगे. उनकी पार्टी मासस का विलय माले में कर दिया. अब इंडिया गठबंधन में माले को जो सीट मिलेगी, उन्ही सीटों पर माले को संतोष करना पड़ेगा. बगोदर से तो माले के विधायक है. इसलिए उस सीट पर भी कोई कंफ्यूजन नहीं हो सकता है.
निरसा सीट तो जा सकती है माले के खाते में
निरसा सीट पर भी बात लगभग फाइनल है और यह सीट माले के खाते में जा सकती है. हालांकि निरसा सीट अगर माले के खाते में गई तो वहां भी झामुमो के नेता नाराज हो सकते है. कारण है कि अशोक मंडल भाजपा को छोड़कर झारखंड मुक्ति मोर्चा में गए थे. 2019 में निरसा से चुनाव भी लड़ा, लेकिन हार का सामना करना पड़ा. हो सकता है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा अपने नेता अशोक मंडल को समझा बुझा ले , लेकिन सिंदरी में परिस्थितिया कुछ अलग है. धनबाद विधानसभा सीटों की बात की जाए तो सिंदरी सीट पर झामुमो में दावेदारों की संख्या सबसे अधिक है. 2014 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के टिकट पर मन्नू आलम ने यहां से चुनाव लड़ा था. 2019 में भाजपा ने जब फूलचंद मंडल को टिकट नहीं दिया, तो वह झारखंड मुक्ति मोर्चा में शामिल होकर सिंदरी से चुनाव लाडे. लेकिन चुनाव हार गए. उनका परिवार भी इस सीट पर दावा कर रहा है.
झामुमो में सिंदरी सीट पर भी दावेदारों की फौज लम्बी है
झारखंड मुक्ति मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष मुकेश सिंह भी सिंदरी सीट को लेकर दावेदारी कर रहे है. ऐसे में झामुमो के सामने सभी को समझाना बुझाना और एक सूत्र में बांधना बहुत आसान नहीं होगा. वैसे भी विधानसभा चुनाव में अगर सिंदरी सीट माले के खाते में जाती है, तो झारखंड मुक्ति मोर्चा केवल टुंडी सीट से ही चुनाव लड़ सकता है. वैसे भी इंडिया गठबंधन में इस बात की चर्चा तेज है कि कांग्रेस को जितनी सीटें मिलेगी, उन्ही में से माले और राजद को एडजस्ट करना होगा. इस पर कांग्रेस तैयार होती है अथवा नहीं, यह सब भविष्य की बातें है. लेकिन इतना तो तय है कि सिंदरी विधानसभा सीट इंडिया गठबंधन के नेताओं की कड़ी परीक्षा लेगी. अब उसमें पास कौन होता है ,कौन फेल करता है , यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो