धनबाद(DHANBAD) : हरियाणा और जम्मू कश्मीर को लेकर एग्जिट पोल आ गए है. अगर यह एग्जिट पोल परिणाम में बदलते हैं तो उसके बाद महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव परिणाम की प्रतीक्षा रहेगी. महाराष्ट्र को लेकर तो अभी कई तरह की उलझने हैं और झारखंड में जिस ढंग से भाजपा मिहनत कर रही है, अगर उसका परिणाम उसके पक्ष में आया, तब तो ठीक. नहीं तो राष्ट्रीय स्तर पर राजनीति में फिर बदलाव दिख सकता है. चार राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद हो सकता है कि कई राजनीतिक दलों के मन डोलेंगे. इंडिया गठबंधन भी कुछ लोगों को रडार पर रख कर चल रहा है. नीतीश कुमार क्या करेंगे, इस पर भी लोगों की नजर रहेगी. वैसे, झारखंड में टिकट बंटवारे को लेकर अगर बात नहीं बनी तो चिराग पासवान भी संतुष्ट नहीं रह सकते है. भाजपा इस बात को समझती है, इसलिए झारखंड में तो निगाह है ही, महाराष्ट्र में भी वह प्रयास करेगी कि इंडिया ब्लॉक को सरकार बनाने का मौका नहीं मिले. हरियाणा, महाराष्ट्र, जम्मू कश्मीर और झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद राजनीतिक पंडित अंदाज लगा रहे हैं कि देश की सियासत में फिर एक बार सर गर्मी बढ़ सकती है.
भाजपा में रहकर भी संतुष्ट नहीं रहने वाली पार्टिया बदल सकती है पाला
भाजपा में रहकर भी बहुत संतुष्ट नहीं रहने वाली पार्टिया भी दल-बदल को सोच सकती है. वैसी पार्टियों में जनता दल (यूनाइटेड), लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास ),तेलुगु देशम पार्टी के नाम गिनाये जा रहे है. इन्हीं तीन पार्टियों के भरोसे केंद्र में भाजपा की सरकार चल रही है. कई मौको पर इन दलों ने भाजपा का साथ छोड़ा भी है और पकड़ा भी है. टीडीपी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की सरकार से समर्थन वापस लिया था. 2014 में टीडीपी ने भाजपा से नाता जोड़ा था फिर 2019 में भाजपा के विरोध में हो गई. अभी टीडीपी भाजपा के साथ है. लोजपा (रामविलास) अभी बीजेपी की सहयोगी है. लेकिन इसके नेता चिराग पासवान अभी हाल ही में धनबाद में जो कुछ कहा, उससे कई सवाल पैदा होते है. जदयू नेता नीतीश कुमार का भी भाजपा के साथ आने- जाने का पुराना रिकॉर्ड रहा है. इन सब परिस्थितियों को देखते हुए इंडिया ब्लॉक भी नजर गड़ाए हुए हैं, तो भाजपा भी सब कुछ समझ रही है.
नीतीश कुमार को इंडिया ब्लॉक ले सकता है निशाने पर
चार राज्यों के चुनाव परिणाम के बाद हो सकता है कि इंडिया ब्लॉक नीतीश कुमार को निशाने पर ले. लोग बताते हैं कि नीतीश कुमार के मन में प्रबल इच्छा है कि वह प्रधानमंत्री बने और इसके संकेत अगर उन्हें मिलेंगे, तो वह पीछे भी नहीं हटेंगे. इधर, 2005 के बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार और राजद को घेरने के लिए प्रशांत किशोर ने नई ब्यूह रचना की है. यह अलग बात है कि नई पार्टी की घोषणा तो वह कर चुके हैं और इसके साथ ही बिहार में चल रही सरकार पर लगातार हमलावर है. प्रशांत किशोर बिहार में शराबबंदी नीति के विरोधी बन गए है. उन्होंने कहा कि है कि उनकी सरकार बनी तो शराब नीति जाएगी और शिक्षा नीति आएगी, का मतलब हुआ कि शराब नीति से जो राजस्व प्राप्त होगा, उसका खर्च बिहार में शिक्षा नीति पर किया जाएगा. जो भी हो लेकिन चार राज्यों के परिणाम के बाद देश की राजनीति में अगर कोई बदलाव आ जाए, तो आश्चर्य की बात नहीं होगी. हालांकि यह सब अभी कयास है और समय इसका परिणाम तय करेगा.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो