धनबाद(DHANBAD): हावड़ा-गया वंदे भारत ट्रेन के बहाने धनबाद से दिल्ली के लिए सीधी ट्रेन की मांग एक बार फिर तेज हो गई है. हालांकि भाजपा विधायक राज सिन्हा को भरोसा है कि हावड़ा-गया वंदे भारत के बाद धनबाद से सीधी ट्रेन सेवा भी शुरू हो जाएगी. दूसरी ओर झरिया की कांग्रेस विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह ने भी मांग रखी है कि धनबाद से बनारस होते हुए दिल्ली तक वंदे भारत ट्रेन चलाई जाए. जिससे हजारों लोगों को लाभ मिल सकेगा. उन्होंने रेल मंत्रालय से टिकट की दर में फिर से विचार करने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा है कि सामान्य वर्ग को ध्यान में रखते हुए टिकट दर निर्धारित किया जाए. बता दें कि धनबाद से दिल्ली तक सीधी ट्रेन धनबाद की बहुत पुरानी मांग है. इस मांग को कई वजहों से खारिज किया जाता रहा है. कभी कहा जाता है कि धनबाद ढुलाई वाला स्टेशन है. इसलिए यहां से सीधी ट्रेन नहीं दी जा सकती. यह अलग बात है कि धनबाद रेल मंडल अभी रेलवे का सबसे "कमाऊ पुत" है, बावजूद कुछ ना कुछ बहाना बनाकर धनबाद को रेल सेवा से वंचित किया जाता रहा है.
हावड़ा- नई दिल्ली रेल लाइन को बने 100 साल से भी अधिक हो गए.
हावड़ा-नई दिल्ली रेल लाइन को बने 100 साल से भी अधिक हो गए. लेकिन धनबाद को अब तक नई दिल्ली के लिए सीधी ट्रेन नहीं मिली है. यह स्थिति तब है, जब धनबाद रेलवे का सबसे कमाऊ पुत्र है. सीधी ट्रेन की मांग करते-करते कई सांसद अब पूर्व सांसद हो गए. कई रेल अधिकारी रिटायर कर गए, लेकिन मांग पूरी नहीं हुई. कभी कहा जाता है कि धनबाद ढुलाई का स्टेशन है. इसलिए अगल-बगल के स्टेशनों से ट्रेन दी जाती है. रेलवे कभी यह आकलन करने का प्रयास नहीं करता है कि धनबाद से रेल यात्रियों से कितना राजस्व रेलवे को मिलता है. कई दशक से यह मांग उठती रही है, लेकिन इस मांग को कहीं ठौर नहीं मिला है. बात सिर्फ इतनी नहीं है, मंडल संसदीय समिति की बैठक के जरिए भी सीधी ट्रेन के प्रस्ताव भेजे जाते रहे है. इधर, भारत सरकार की महिला एवं बाल विकास मंत्री और कोडरमा की सांसद अन्नपूर्णा देवी ने भी धनबाद से दिल्ली और धनबाद से मुंबई के बीच नई ट्रेन चलाने की मांग की है.
केंद्रीय मंत्री भी की हैं सीधी ट्रेन की मांग
इस संबंध में अन्नपूर्णा देवी ने रेल मंत्री को पत्र लिखकर ट्रेनों की जरूरत का उल्लेख किया है. कोडरमा सांसद ने रेल मंत्री को बताया है कि झारखंड राज्य के अधिकांश लोग पारिवारिक दायित्व का निर्वहन करने के लिए रोजी-रोटी की तलाश में दूसरे प्रदेशों में जाते है. वहां रहते हैं, लेकिन उनका संबंध इस इलाके से लगातार बना रहता है. त्योहारों में बड़ी संख्या में ऐसे लोग अपने घर आते है. ट्रेन की सुविधा नहीं होने से त्योहार में उन्हें काफी परेशानी होती है. उन्होंने धनबाद से मुंबई के लिए सप्ताह में तीन दिन ट्रेन चलाने की मांग की है. साथ ही धनबाद से दिल्ली के बीच कोडरमा होकर सप्ताह में 3 दिन नई ट्रेन चलाने का प्रस्ताव दिया है. धनबाद रेल मंडल की कमाई से रेल मंत्रालय की छाती चौड़ी होती है, लेकिन धनबाद को सुविधाओं के लिए तरसाया जाता है. एयरपोर्ट तो है नहीं मिला, शहर के भीतर भी ट्रांसपोर्टिंग व्यवस्था भगवान भरोसे है, ट्रेनों का भी वही हाल है. सरकारे बदलती रही है,लेकिन धनबाद जहा था, वहीं खड़ा है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो