रांची (RANCHI) जाड़े के मौसम में दिल की अत्यधिक ख्याल रखने की जरूरत पड़ती है. इन दिनों ऐसे भी कार्डियक अरेस्ट के चपेट में आने के कारण लोगों को जान गवाना पड़ रहा है. प्रत्येक वर्ष 4 से 5 लाख लोग इस बिमारी के चपेट में आने से अपनी जान गंवा रहे हैं.
बदलती जीवनशैली बन रहा है बीमारियों का प्रमुख कारण
लोगों की जीवनशैली बदलने से गंभीर बीमारियां अपनी जगह बना ले रही हैं. सर्दी के सीजन में कई लोग दिल का ख्याल रखने के लिए अचानक से मॉर्निंग वॉक पर निकल जाते हैं , तो कई अपनी दिनचर्या में सुधार करने के लिए जिम ज्वाइन कर लेते हैं. अचानक जिम ज्वाइन करने के कारण कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.
सीजनल फल और सब्जी का अत्यधिक करें सेवन
रांची के जाने माने कार्डियोलॉजिस्ट डा. महेश कुशवाहा ने "THE NEWS POST" से बात करने के दौरान कही की इन बीमारियों जैसे दिल का दौरा कार्डियक अरेस्ट और हार्ट फेलियर को एक ही समस्या मान लिया जाता है. आमतौर पर लोगों को दिल से जुड़ी सभी बीमारियां एक जैसी लगती हैं. तभी कार्डियक अरेस्ट, दिल का दौरा और हार्ट फेलियर सुनने में भले ही एक से लगते हों, लेकिन इन तीनों का मतलब बिल्कुल अलग है. यही वजह है कि इन तीनों में फर्क समझना बेहद ज़रूरी है, ताकि वक्त रहते इलाज किया जा सके और व्यक्ति की जान बचाई जा सके. तो आइए इन तीनों में फर्क को जानें,कार्डियक अरेस्ट का मतलब है, दिल का अचानक धड़कना बंद कर देना. यह किसी के साथ भी हो सकता है और इसके पीछे कई तरह की वजहें भी हो सकती हैं, जिसमें दिल का दौरा भी शामिल है. यह एक मेडिकल इमरजेंसी होती है जिसमें फौरन CPR करने की ज़रूरत होती है. कार्डियक अरेस्ट के लक्षणहार्ट फेलियर एक ऐसी स्थिति है, जिसमें दिल की सेहत को नुकसान पहुंचता है और वह कमज़ोर पड़ जाता है. यानी दिल शरीर में पर्याप्त रक्त और ऑक्सीजन पम्प नहीं कर पाता. इसके पीछे कई वजहें हो सकती हैं, जिनमें से सबसे आम है दिल का दौरा या फिर हाइपरटेंशन से होने वाला नुकसान.
हार्ट फेलियर के लक्षण का दौरा यानी हार्ट अटैक तब होता है जब हृदय की मांसपेशियों में खून का प्रवाह रुक जाता है. बिना ऑक्सीजन के दिल का वह हिस्सा मरने लगता है.खून कितनी देर रुका रहा, मरीज़ की जान बचेगी या नहीं इसी पर निर्भर करता है. नुकसान हल्का भी हो सकता है और गंभीर भी- यहां तक कि घातक भी. आपको जितनी जल्दी हार्ट अटैक का पता चलेगा, उतना ही मरीज़ के जीवित रहने की संभावना बढ़ेगी. सीने में दर्द के साथ पसीना आना, कंधे, हाथ, जबड़े में दर्द होना या फिर बेचैनी महसूस होना, सभी वॉर्निंग साइन्स हैं और ऐसे में मरीज़ को फौरन अस्पताल ले जाना चाहिए. मॉर्निंग वॉक करने से सेहत में सुधार के साथ -साथ गंभीर बीमारियों से बचने की संभावना भी बनी रहती है. सिजनल फल और सब्जी खाने से बिमारियों से बचा जा सकता है और हृदय को बचाया जा सकता है. साथ ही डॉ. महेश के मुताबिक़ रेड मीट का सेवन कम करने से हृदय को स्वस्थ रखा जा सकता है. मछली सेहत के लिए फायदेमंद होता है, इसलिए सेवन करने से हृदय को अधिक नुकसान नहीं पहुंचता. चिकेन खाने से भी हृदय रोग बढ़ने की संभावना बनी रहती है. धूम्रपान और शराब का सेवन करने से हृदय को अधिक नुकसान पहुंचता है. इसलिए ताजे फल और सब्जी के सेवन से गम्भीर बिमारियों से बचने की संभावना बनी रहती है.