धनबाद(DHANBAD) | निरसा का MPL सवालों से घिरता जा रहा है. पांच दिनों से शव के साथ प्रदर्शन पर भी वह चुप है. झारखंड सरकार के मंत्री की भी कोई परवाह नहीं करता. शव के साथ आंदोलन चल रहा है. प्रबंधन आंदोलनकारियों के निशाने पर है. प्रबंधन भी अड़ा हुआ है, वह किसी की कोई बात सुनने को तैयार नहीं है. यहां तक कि झारखंड सरकार के मंत्री की भी उसे कोई चिंता नहीं है. इसके सबूत शनिवार की रात तब मिले, जब झारखंड सरकार के परिवहन व कल्याण मंत्री चंपई सोरेन ने पहुंचकर मैनेजमेंट से बात की. मगर कोई नतीजा नहीं निकला. मंत्री ने कहा कि मृतक के परिजन को नौकरी दे प्रबंधन, इस पर मैनेजमेंट ने असमर्थता व्यक्त की.
मंत्री के सवालों पर भी प्रबंधन रहा चुप
इसके बाद मंत्री ने पूछा कि आज तक कितने स्थानीय लोगों को नौकरी दी है, मुझे लिस्ट दे. इस पर भी प्रबंधन तैयार नहीं हुआ. इसके बाद मंत्री की बड़े अधिकारी से फोन पर बात कराई गई. मगर बात नहीं बनी, गुस्से में मंत्री ने कहा कि आंदोलन जारी रहेगा और अब जल्द ही मामले का हल निकाल लिया जाएगा. वार्ता करीब एक घंटे तक चली लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. बुधवार की सुबह से ही विजय किस्कू के शव के साथ परिजन मुआवजा व नियोजन की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे है. मृतक विजय किस्कू की पत्नी मंगली किस्कू के शनिवार की रात तबीयत बिगड़ गई, उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
जिला प्रशासन ने लगाया है धारा 144
प्रबंधन की शिकायत पर जिला प्रशासन ने शुक्रवार की शाम से गेट से 50 मीटर की परिधि में 144 लागू कर दिया है. फिर भी आंदोलन जारी है. अब तो यह आंदोलन प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है. मैनेजमेंट मंत्री तक की बात मानने को तैयार नहीं है. वह अड़ा हुआ है कि नियोजन नहीं देगा. इस बीच यह भी आरोप लगे हैं कि शव रखे फ्रीजर का बिजली कनेक्शन काट दिया गया है. आंदोलनकारी ने प्रबंधन पर तानाशाही करने का आरोप लगाया है. यह बात भी सच है कि राजनीतिक विचारधारा को त्याग कर कई पॉलिटिकल पार्टियों आंदोलन में साथ दे रही है. लेकिन प्रबंधन उनकी मांगों को मानने को तैयार नहीं है. 5 दिन से शव पड़ा हुआ है लेकिन प्रबंधन टस से मस नहीं हो रहा है. झारखंड सरकार के मंत्री के हस्तक्षेप का भी कोई असर नहीं हुआ है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो