धनबाद(DHANBAD): वन विभाग से बोकारो स्टील लिमिटेड(बीएसएल ) को हस्तांतरित जमीन की अवैध बिक्री की जा रही है. धड़ल्ले से अतिक्रमण भी किया जा रहा है. इसमें बोकारो स्टील लिमिटेड के कुछ लोगों की संलिप्तता भी है. इसको लेकर एफआईआर भी दर्ज है. यह सब निकल कर आया है, वन विभाग ने जो बोकारो स्टील लिमिटेड को पत्र लिखा है उसमे. बता दें कि बोकारो वन प्रमंडल पदाधिकारी ने बीएसएल के निदेशक प्रभारी को पत्र लिखकर अनुपयोगी वन भूमि वापस करने को कहा है. यह पत्र पहली फरवरी को लिखा गया है.
बोकारो स्टील लिमिटेड जमीन की रक्षा करे या वापस करे
हालांकि , उन्होंने कहा है कि बोकारो इस्पात संयंत्र वन भूमि की रक्षा या तो खुद करें या फिर भूमि वन विभाग को वापस कर दे. वन प्रमंडल पदाधिकारी ने कहा है कि 18 नवंबर 2024 को राज्य के वन पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन विभाग के सचिव की अध्यक्षता में बैठक हुई थी. इसमें वन भूमि की रक्षा संबंधी मामलों पर चर्चा की गई थी. साथ ही 26 दिसंबर को इस मामले में पक्ष रखने के लिए बीएसएल के अधिकारी को बुलाया गया था. लेकिन बैठक में बीएसएल की ओर से कोई प्रतिनिधि शामिल नहीं हुआ. इससे पहले 20 दिसंबर 2024, 17 जुलाई 2023 को भी पत्र लिखे गए थे. पत्र में कहा गया था कि जाली दस्तावेज के आधार पर बीएसएल को हस्तांतरित वन भूमि की जमीन की अवैध बिक्री और अतिक्रमण के संबंध में विश्वसनीय जानकारी है. इसमें बीएसएल के कुछ अधिकारियों की भूमिका भी सामने आई है.
एफआईआर की जांच सीआईडी कर रही है
जिस कारण सेक्टर 12 पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई है. जो वर्तमान में सीआईडी जांच के अधीन है. इससे पहले रांची में 18 नवंबर 2024 को वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की बैठक में वन भूमि को लेकर बीएसएल के सुस्त व गैर जिम्मेदाराना रवैया को भी इंगित किया गया था. बैठक में बोकारो वन प्रमंडल की ओर से बीएसएल को हस्तांतरित वन भूमि का प्रजेंटेशन भी दिखाया गया था. इसमें 1960 के दशक में बीएसएल को हस्तांतरित वन भूमि की जमीन से अवगत कराया गया था. वन विभाग द्वारा बीएसएल को लिखी गई चिट्ठी की प्रतिलिपि इस्पात मंत्रालय के सचिव, सेल के अध्यक्ष, सेल के मुख्य सतर्कता अधिकारी, झारखंड सरकार के वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के सचिव को भी लिखी गई है. बोकारो स्टील लिमिटेड और वन विभाग के बीच के दावे की चर्चा बोकारो में खूब हो रही है. देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले में आगे होता है क्या --?
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो