धनबाद(DHANBAD): जयराम महतो की पार्टी ने धनबाद के टुंडी विधानसभा सीट से उम्मीदवार की घोषणा कर दी है. पहले चर्चा थी कि टुंडी से जयराम महतो खुद चुनाव लड़ेंगे, लेकिन अब वह डुमरी के अलावे किसी अन्य सीट से चुनाव लड़ेंगे. इधर, आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो की नजर टुंडी सीट पर गड़ी हुई है. जदयू की भी नजर है. अभी हाल ही में जदयू ने राजगंज में कार्यकर्ता सम्मलेन कर अपने टुंडी पर दावे को मजबूत किया था. सुदेश महतो सिल्ली के साथ-साथ टुंडी से भी चुनाव लड़ने की इच्छा पाले हुए है. पिछले चुनाव में भाजपा ने पूर्व सांसद रविंद्र पांडे के पुत्र को टुंडी से टिकट दिया था. हालांकि जीत झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता मथुरा प्रसाद महतो की हुई थी.
विनोद बिहारी महतो भी टुंडी से रह चुके है विधायक
यह अलग बात है कि आजसू के टिकट पर टुंडी से झारखंड के पुरोधा विनोद बिहारी महतो के पुत्र विधायक रह चुके है. विनोद बिहारी महतो भी टुंडी से विधायक थे. इधर ,टुंडी सीट आजसू को सुरक्षित लग रही है. यह बात अलग है कि दिशोम गुरु शिबू सोरेन सालो पहले टुंडी से चुनाव हारने के बाद ही दुमका शिफ्ट किये और दुमका में अपनी राजनीति को फैलाव दिया. इधर ,झामुमो के नेताओं का कहना है कि भले ही भाजपा सुदेश महतो को आगे कर टुंडी सीट पर कब्जा करना चाहती हो, लेकिन यह काम बहुत आसान नहीं है. टुंडी विधानसभा गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. यह इलाका नक्सल प्रभावित भी माना जाता है. टुंडी बहुत पहले से झारखंड मुक्ति मोर्चा का गढ़ रहा है. झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक शिबू सोरेन का टुंडी से गहरा नाता रहा है.
झारखंड अलग राज्य के आंदोलन में टुंडी की बड़ी भूमिका थी
झारखंड अलग राज्य के आंदोलन में भी टुंडी की बड़ी भूमिका थी. वैसे, कहा तो यह भी जाता है कि टुंडी में तीन समीकरणों को जो साध लेगा , वह चुनाव जीत सकता है. उनमें महतो , मांझी और मुस्लिम आबादी शामिल है. यह अलग बात है कि टुंडी को लेकर कोई जो भी सोचता हो, लेकिन यहां मुकाबला आसान नहीं होगा. मथुरा प्रसाद महतो तो झारखंड मुक्ति मोर्चा के टिकट पर तो चुनाव लड़ेंगे ही. जयराम महतो की पार्टी ने भी उम्मीदवार की घोषणा कर दी है. ऐसे में टुंडी सीट इस बार कोई ना कोई दिलचस्प खेल खेलेगी. इसमें कहीं कोई दो मत नहीं दिख रहा है. यहां यह कहना भी गलत नहीं होगा कि एक समय था जब जनसंघ के संस्थापक रहे सत्यनारायण दुदानी टुंडी विधानसभा क्षेत्र से जनसंघ का दीया जलाया था. लेकिन फिलहाल भाजपा के लिए वहां कमल खिलाना किसी चुनौती से कम नहीं है.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो