टीएनपी डेस्क(TNP DESK ):11 साल की लड़कियों से लेकर 45 साल की महिलाओं को हर महीने पीरियड्स आते हैं. जिसको सामान्य प्रक्रिया माना जाता है. जो 3 से 7 दिन तक रहता है. जब कोई लड़की को मासिक धर्म का चक्र शुरु होता है. तो इस बात का संकेत होता है कि अब इसका गर्भधारण हो सकता है. इस दौरान महिलाओं को ब्लीडिंग होती है. जिसमे पेट में दर्द के साथ कमर और पैरों में भी दर्द शुरु हो जाते हैं. महिलाओं में ब्लीडिंग 3 से 7 दिन तक रहना सामान्य बात मानी जाती है. लेकिन यदि किसी को सात दिनों से ज्यादा दिनों तक पीरियड्स रहते है. तो ये किसी बीमारी के संकेत हो सकते हैं. इस पर आपको डॉक्टर से जाकर बात करनी चाहिए. और इसका ईलाज कराना चाहिए.
पीरियड्स आने से पहले शरीर देता है कुछ संकेत
आपको बताये कि मासिक धर्म का चक्र 25 से 30 दिनों का होता है. जिसमे सभी महिलाओं का एक या दो दिन आगे-पीछे हो सकते हैं. ये सामान्य बात है. कुछ महिलाओं या युवतियों में 22 से 25 दिन का भी हो सकता है. पीरियड्स आने के 3 स 6 दिन पहले ही शरीर कुछ संकेत देने लगता है. जिससे कोई महिला पीरियड्स आने का अंदाजा लगा सकती है. बॉडी में कुछ बदलाव होने लगते हैं. वहीं आपको बता दें कि प्रोजेस्टेरोन हॉर्मोन की जब शरीर में कमी होती है तो पीरियड्स आते है.
पेट,पीठ और कमर में दर्द, समान्य
पीरियड्स को लोग मासिक धर्म, रजोधर्म या महावारी के नाम से भी जानते है. पीरियड्स आते है तो महिला के शरीर में काफी तेजी से स्वास्थ्य बदलाव देखने को मिलते है. जो हर किसी में अलग-अलग हो सकते है. इस दौरान पेट,पीठ और कमर में दर्द, समान्य माना जाता है. जो हर महिला को होते है. हालांकि दर्द का पैमाना कम या ज्यादा हो सकता है. लेकिन कुछ को इसमे मूड स्विंग्स की समस्या भी होती है. लेकिन चिड़चिड़ापन,टिशू में पानी जमा होना चक्कर आना और बेहोशी शारीरिक रुप से कमजोर युवतियों को होती है.क्योंकि पीरियड्स के दौरान महिलाओं के शरीर से काफी खून निकलता है. जिससे शरीर में कमजोरी की समस्या आम बात है.
पीरियड्स के चक्र में अनियमितता
वहीं आपको बताये कि मॉडर्न जमाने के रहन-सहन की वजह से पीरियड्स के चक्र में भी बदलाव देखने को मिलते है. आजकल की महिलाये भी नौकरी-पेशा करती है. जिसकी वजह से स्ट्रैस और तनाव की वजह से इनके स्वास्थ्य के साथ मासिक धर्म पर असर देखने को मिलते है. जिसके कई कारण हो सकते है. इसमे बहुत अव्यवस्थित खाने का समय, नींद की कमी, तनाव, ज़्यादा या कम वजन होना, या वजन बढ़ना की वजह से भी शरीर पर असर कर है. और इसकी वजह से भी में अनियमितता होती है.
अनियमित माहवारी को कैसे समझे
अब ये सवाल उठता है कि अनियमित माहवारी को कैसे समझा जा सकता है. सभी के मासिक धर्म 3 से 7 दिन का होता है. जो हर 25 या 28 दिनों में होता है. लेकिन अनियमित माहवारी के दौरान यह घटकर 21 दिनों बढ़कर या 35 दिनों से अधिक समय का हो जाता है. इसके साथ ही दो या तीन महीने तक पीरियड्स नहीं आना. या ब्लीडिंग के फ्लो में अधिक भारी या हल्का होना शामिल होता है.
अनियमित माहवारी के घरेलू उपचार
यदि आपको अनियमित माहवारी आते है तो आपको कुछ घरेलू उपाय करना चाहिए. जिससे आपकी समस्या का समाधान हो जायेगा. आपको एक गिलास गुनगुने पानी में जीरा पाउडर डालकर पीना चाहिए. इससे आपको काफी फायदा होगा.इसके साथ ही दूध में दो या तीन छोटे टुकड़े में कटे बादाम डालकर थोड़ी देर उबाल कर इसको पिये. तुलसी में हर रोगों से लड़ने की ताकत होती है. तुलसी में भरपूर मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट साथ कैफीक एसिड पाया जाता है. जो अनियमित पीरीयड्स में फायदा करता है. इसलिए तुलसी के पत्तों को चबाये. इसके साथ ही अगर पीरियड की डेट काफी निकल जाने के बाद भी नहीं आ रही है. तो अदरक की चाय पीना चाहिए. क्योंकि ये गर्म प्रवृति का होता है. इससे आपको लाभ मिलता है.
दालचीनी भी अनियमित पीरियड्स को करता है सही
दालचीनी भी अनियमित पीरियड्स को सही करने के साथ दर्द से छुटकारा दिलाती है. इसमें हाइड्रोऑक्सिचलकोन पाया जाता है. जो पीरियड्स के दौरान इंसुलिन के लेवल को बनाकर रखता हैं. आधा चम्मच दालचीनी पाउडर को गिलास में गुनगुने दूध में डालकर रोजाना पीनी चाहिए. अनियमितता में कच्चा पपीता काफी अच्छा माना जाता है. इसमें विटामिन ए, कैल्शियम,आयरन, कौरोटीन, पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं. जो गर्भाश्य की मांसपेशियों को फाइबर पहुंचाते हैं.
पीरियड के दौरान इस चीजों को ना करें सेवन
इसके साथ ही आपको कई ऐसे चीजें है. जिसका सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए.जिसमे कटहल पहले नंबर पर आता है.इसको खाने से पीरियड पर गलत प्रभाव पड़ता है. इसके साथ डेयरी प्रोडक्ट दही, क्रीम, मक्खन नहीं खाना चाहिए. ज्यादा नमक और कैफीन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
पीरियड से जुड़ी पुरानी परंपरायें
आज के दौर के सभी लोग शिक्षित और पढ़े-लिखे हैं. लेकिन आज से कुछ सालों पहले तक पीरियड को छूआछूत के रुप में देखा जाता था.इसके साथ ही इसका नाम सार्वजनिक स्थानों पर पुरुषों के सामने लेने की मनाही होती थी.पहले महिलाओं के पीरियड के दौरान असुद्ध मानते हुए कई चीजों को छूने की आजादी नहीं दी जाती थी.जिसमे सबसे ज्यादा आचार को छूने की रोक थी. जमाना बदला तो महिलाओं के इस समस्या को भी सामान्य शारीरिक समस्या के रुप में देखा जाने लगा. पहले की महिलाएं जहां गंदे कपड़े का उपयोग करती थी. तो वहीं आज सेनेटरी पैड से स्वास्थ्य समस्याओं से निजात मिली.
TNP NOTE- कुछ भी उपाय आजमाने से पहले लें डॉक्टर की सलाह.
रिपोर्ट- प्रियंका कुमारी