धनबाद(DHANBAD): चिराग पासवान की धनबाद में सभा बहुत सोची - समझी दबाव की रणनीति का एक हिस्सा हो सकता है. भाजपा सूत्रों ने बताया कि लोजपा (रामविलास) के कुछ नेता रांची में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और संगठन महामंत्री से मुलाकात कर चुके है. टॉप लेवल पर बातें हुई है या नहीं ,इसकी पुष्टि नहीं हो रही है. लोजपा की इच्छा है कि धनबाद सीट उनको दे दी जाए और धनबाद सीट से लोजपा के वीरेंद्र प्रधान चुनाव लाडे. लेकिन धनबाद सीट भाजपा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. भाजपा इस सीट को छोड़ने पर शायद कभी राजी होगी. झारखंड में आज चिराग पासवान ने इमोशनल कार्ड भी खेला. उन्होंने कहा कि मेरा जब जन्म हुआ था, तब बिहार- झारखंड एक ही राज्य थे. तो अब मेरी जन्मभूमि भी झारखंड हुई और यह जमीन मेरे पिता की कर्मभूमि भी रही है. पार्टी झारखंड में चुनाव लड़ेगी यह फैसला तय है. गठबंधन के तहत चुनाव लड़ेंगे या अकेले ,इस पर चर्चा चल रही है.
धनबाद सीट लम्बे समय से भाजपा के कब्जे में रही है
लंबे समय से धनबाद सीट भाजपा के कब्जे में है. लगातार तीन बार पूर्व सांसद पशुपतिनाथ सिंह धनबाद विधानसभा से भाजपा के विधायक रहे. दो बार से राज सिन्हा भाजपा के विधायक है. वैसे कोयलांचल की 16 सीटों को लेकर भाजपा और झारखंड मुक्ति मोर्चा दोनों पर सहयोगी दलों का भारी दबाव है. भाजपा के सहयोगी दल आजसू के साथ जदयू और लोजपा भी झारखंड विधानसभा चुनाव में कोयलांचल की किसी न किसी सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते है. जदयू ने तो धनबाद के राजगंज में बड़ा कार्यक्रम कर दावेदारी कर दी है. आजसू झारखंड में भाजपा का सबसे बड़ा चुनावी पार्टनर है. वैसे, भाजपा के चुनाव सह प्रभारी हिमंता सरमा चुके हैं कि आजसू के साथ 99% सीटों को लेकर बातचीत हो गई है. थोड़े -बहुत जो उलझन है, उसे भी जल्द दूर कर लिया जाएगा.
लोजपा की दावेदारी से मामला हो गया है दिलचस्प
लेकिन इसी बीच लोजपा अपनी दावेदारी कर मामले को दिलचस्प बना दिया है. कोयलांचल की 16 सीटों की बात अगर की जाए, तो पूर्व में भाजपा ने धनबाद जिला की टुंडी सीट आजसू को और बाघमारा सीट जदयू को दी थी. टुंडी से आजसू की टिकट पर राज किशोर महतो जीते थे. वही, बाघमारा से जलेश्वर महतो जदयू की टिकट पर विधायक बने थे. बाद में टुंडी और बाघमारा दोनों सीटों से भाजपा स्वयं चुनाव लड़ी थी. सूत्रों का दावा है कि कोयलांचल की 16 सीटों में से दो सीट बीजेपी आजसू को दे सकती है. बाकी सीटों पर खुद चुनाव लड़ेगी. इधर, जदयू और लोजपा की मांग पर बीजेपी आगे क्या फैसला लेती है, यह देखने वाली बात होगी. वैसे, भाजपा के साथ-साथ उसके सहयोगी दल भी कोयलांचल की सीटों पर नजर गड़ाए हुए है. इसकी वजह भी है. 2019 में तमाम विरोधों के बावजूद कोयलांचल में भाजपा का प्रदर्शन अच्छा रहा था. अब देखना है कि 2024 के चुनाव में गठबंधन के तहत कौन सी सीट बीजेपी छोड़ती है और किन-किन सीटों पर खुद चुनाव लड़ती है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो