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बिहार-झारखंड के आईपीएस अधिकारियों में क्यों है राजनीति का क्रेज ,पढ़िए इस रिपोर्ट में

बिहार-झारखंड के आईपीएस अधिकारियों में क्यों है राजनीति का क्रेज ,पढ़िए इस रिपोर्ट में

धनबाद(DHANBAD) : आईपीएस की नौकरी छोड़ कर राजनीति में आने वाले सुनील कुमार अभी बिहार में मंत्री हैं, तो नौकरी से रिटायर करने वाले आईपीएस अधिकारी रामेश्वर उरांव अभी झारखण्ड में मंत्री है. बीडी राम पलामू से सांसद है. अधिकारियो में राजनीति का क्रेज वैसे तो पहले भी था लेकिन इधर कुछ अधिक दिखने लगा है. बिहार कैडर के आईपीएस अधिकारी शिवदीप लांडे के नौकरी से इस्तीफे के बाद वह राजनीति में शामिल होंगे अथवा आगे क्या करेंगे, यह बात अभी पूरी तरह से साफ नहीं हुई है. लेकिन संभावना अधिक है कि राजनीति का ही दामन थामेंगे. इसके साथ ही उन पुलिस अधिकारियों की चर्चा एक बार फिर तेज हो गई है, जो राजनीति में जाने के बाद सफल या असफल हुए है.बिहार में  कुछ राजनीति में सफल हुए तो कुछ असफल भी हुए. 2024 के लोकसभा चुनाव में असम कैडर के आईपीएस ऑफिसर आनंद मिश्रा नौकरी छोड़कर बक्सर से निर्दलीय चुनाव लड़े, लेकिन हार गए. 

1987 बैच के सुनील कुमार नौकरी छोड़कर जदयू से जुड़े और 2020 के विधानसभा चुनाव में जीत के साथ मंत्री भी बन गए. सुनील कुमार धनबाद के एसपी भी रह चुके है. लेकिन पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे जेडीयू और बीजेपी के बीच फंस कर रह गए और विधानसभा चुनाव भी नहीं लड़ सके. नीतीश सरकार में मंत्री सुनील कुमार से पहले बिहार में जो पूर्व आईपीएस राजनीति में सफल रहे, उनमें दिल्ली के पुलिस कमिश्नर रहे निखिल कुमार और आईजी रहे ललित विजय सिंह के नाम शामिल है. निखिल कुमार औरंगाबाद से 2004 में कांग्रेस के सांसद बने. उसके बाद वह चुनाव नहीं जीत सके. निखिल कुमार बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सत्येंद्र नारायण सिंह के पुत्र है. ललित विजय सिंह जनता दल के टिकट पर बेगूसराय से जीते थे और केंद्र में राज्य मंत्री भी बने. 

 बिहार के कई रिटायर्ड डीजीपी भी चुनाव लड़े, लेकिन जीत नहीं पाए. राष्ट्रीय जनता दल के नेता शहाबुद्दीन पर शिकंजा कस कर चर्चा में आए डीपी ओझा बेगूसराय से चुनाव लड़े, लेकिन हार गए. पूर्व डीजीपी आशीष रंजन सिन्हा  कांग्रेस की टिकट पर 2014 में नालंदा से लोकसभा का चुनाव लड़े और हार गए. आईपीएस अधिकारियों को चुनाव अधिक भा रहा है. नौकरी से वीआरएस लेकर या त्यागपत्र देकर चुनाव लड़ने वालों की कमी नहीं है. झारखंड में भी फिलहाल वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव आईपीएस थे. चुनाव लड़ा और अभी झारखंड में मंत्री है. बीडी राम अभी पलामू से सांसद है. झारखंड में तो कई आईएएस अधिकारियों ने भी किस्मत अजमाया लेकिन सफलता सबको नहीं मिली. बोकारो प्रक्षेत्र के आईजी रहे लक्ष्मण प्रसाद सिंह भी वीआरएस लेकर चुनाव लड़े लेकिन अभी भी उन्हें जीत की प्रतीक्षा है. 

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो 

Published at:20 Sep 2024 04:48 PM (IST)
Tags:DhanbadBiharJharkhandIPSPolitics
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