धनबाद(DHANBAD):झारखंड की सत्ता से 28 आदिवासी आरक्षित सीटों का सीधा संबंध है. इन सीटों पर जिसकी पकड़ मजबूत बन गई , वह सत्ता के करीब पहुंच जाता है. 28 आदिवासी सुरक्षित सीटों में प्रथम चरण में 20 पर मतदान हो चुका है. आइये - आपको बताते हैं कि क्यों कहा जाता है कि 28 सीटों का झारखंड की सत्ता से डायरेक्ट कनेक्शन है. झारखंड राज्य अलग होने के बाद पहली बार 2000 में विधानसभा का चुनाव हुआ था. भाजपा को आदिवासी रिज़र्व 28 में से 11 सीटों पर जीत मिली थी. इसी वजह से बीजेपी झारखंड में सरकार बनाने में कामयाब रही. बाबूलाल मरांडी मुख्यमंत्री बनाए गए. लेकिन अगले चुनाव में बीजेपी को आदिवासी सीटों पर सफलता नहीं मिली. 28 में से सिर्फ पांच सीटों पर ही जीत मिली. गठबंधन कर भाजपा किसी तरह सरकार बनाने में कामयाब हो गई. फिर 2009 के चुनाव में बीजेपी को आदिवासी आरक्षित सीट में से केवल 9 सीट मिली. जानकारी के अनुसार 2014 के चुनाव में बीजेपी को फिर 28 आदिवासी सुरक्षित सीटों में से 11 सीटें मिली. भाजपा ने इस बार झारखंड में गैर आदिवासी मुख्यमंत्री बनाने का प्रयोग किया. ओबीसी समुदाय के रघुवर दास मुख्यमंत्री बनाए गए. 2019 में 28 में से केवल दो सीट पर ही भाजपा को संतोष करना पड़ा था. नतीजा हुआ कि झारखंड में भाजपा सत्ता से दूर हो गई. इस बार 28 आदिवासी आरक्षित सीटों के लिए ठोस रणनीति पर भाजपा काम की है. स्थानीय स्तर पर भी आदिवासी नेताओं को अपने पक्ष में करने का प्रयास किया है. 2019 के बाद भाजपा अब तक दूसरी पार्टी के बाबूलाल मरांडी, चंपाई सोरेन, लोबिन हेंब्रम, सीता सोरेन, मधु कोड़ा ,गीता कोड़ा को अपने पार्टी में शामिल कराने में सफलता हासिल की है. तो झामुमो भी अपनी ठोस रणनीति के तहत इन सीटों पर काम किया है. यह बात भी सच है कि झामुमो के कल्पना सोरेन के रूप में एक मजबूत स्टार प्रचारक भी मिल गया है. 81 विधानसभा वाली सीटों में सरकार बनाने के लिए 41 विधायकों की जरूरत होती है.
2019 में गठबंधन को 47 सीट मिली थी, जबकि भाजपा को 25 सीट से ही संतोष करना पड़ा था. झारखंड में अब तक बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा, शिबू सोरेन, मधु कोड़ा , हेमंत सोरेन, चम्पाई सोरेन और रघुवर दास मुख्यमंत्री बने है. इनमें राज्यपाल की वजह से रघुवर दास को हटा दिया जाए तो चार आदिवासी पूर्व मुख्यमंत्री अभी भाजपा में ही है. जैसे अर्जुन मुंडा, बाबूलाल मरांडी, चंपाई सोरेन और मधु कोड़ा. वैसे एक आंकड़े के मुताबिक 2011 की जनगणना के अनुसार झारखंड में आदिवासियों की संख्या 26 प्रतिशत है. विधानसभा में 28 सीट आदिवासियों के लिए आरक्षित है. तो लोकसभा की 14 में से पांच सीट आदिवासी के लिए रिजर्व किया गया है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो