धनबाद(DHANBAD) : पूरी बीसीसीएल लगभग आउटसोर्सिंग के भरोसे चल रही है. आउटसोर्सिंग चलाने वालों का खेल भी निराला है. लेकिन कभी भी इसकी जांच मुकम्मल नहीं की गई. नतीजा है कि केवल कोयल तस्कर ही नहीं आउटसोर्सिंग कंपनियां बीसीसीएल को दीमक की तरह चाट रही है. जानकारी तो यह भी मिल रही है कि कोयला चोरी में भी बीसीसीएल में संचालित आउटसोर्सिंग कंपनियों की भी बड़ी भूमिका है. सूत्रों पर भरोसा करें तो कई आउटसोर्सिंग कंपनियां तो ऐसी है, जिनकी पूरी रात भर की रेजिग का कोयला चोरों के हवाले हो जाता है. मतलब, कहा जा सकता है कि कंपनी को जितना कोयला मिलता है, उसके लगभग बराबर चोरी हो जाती है. इसमें सिर्फ आउटसोर्सिंग कंपनियां ही नहीं है, बल्कि अवैध उत्खनन करने वाले भी शामिल है. बीसीसीएल के कुसुंडा क्षेत्र में ब्लैक लिस्टेड हाईवा से कोयला ढुलाई का मामला सामने आने के बाद भी कार्रवाई में जितनी तेजी दिखानी चाहिए थी, नहीं दिखाई गई है.
नंबर बदल कर चलते हैं ब्लैकलिस्टेड
बीसीसीएल मुख्यालय की सिक्योरिटी टीम ने छापामारी कर यह मामला उजागर किया. जिन दो हाईवा को पकड़ा गया है, 2 महीने पहले कोयला चोरी के मामले में उन वाहनों को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया था. बावजूद नंबर बदलकर कोयला ट्रांसपोर्टिंग के काम में यह हाईवा लगे हुए थे. आश्चर्यजनक बात है कि इन हाईवा की बिना जांच पड़ताल के ही बीसीसीएल मैनेजमेंट ने इसके लिए पास जारी कर दिया था. मतलब साफ है कि हाईवा के नंबरों की कोई जांच पड़ताल नहीं की गई और इसे ट्रांसपोर्टिंग काम में लगाने की अनुमति दे दी गई. सूत्र बताते हैं कि बीसीसीएल में लगभग 30 आउटसोर्सिंग प्रोजेक्ट चल रहे हैं, इनके चलाने वाले कोई साधारण लोग नहीं है, उनके पास पावर है, उनके पास लक्ष्मी की ताकत है. इस वजह से ना तो डरते हैं और ना घबराते है. उनकी मनमर्जी चलती रहती है. इधर ,पता चला है कि अभी तक इस सनसनीखेज मामले में प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है.
बुधवार की देर शाम तक प्राथमिकी नहीं हुई थी दर्ज
पुलिस सूत्रों के अनुसार बुधवार की देर शाम तक प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई थी. कुसुंडा प्रबंधन ने आवेदन पुलिस के पास भेजा जरूर था लेकिन उसमें त्रुटियां सुधार कर लाने को कहा गया, इस वजह से मामला दर्ज नहीं हुआ है. लेकिन इस मामले के पकड़ में आने के बाद भी आउटसोर्सिंग कंपनियों में चल रहे वाहनों की समग्र जांच-पड़ताल शुरू नहीं की गई है. वैसे आरोप लगते रहे हैं कि आउटसोर्सिंग परियोजनाओं में चल रहे वाहन के पास कागजात नहीं होते, चलाने वाले चालकों के पास लाइसेंस नहीं होते, फिर भी इसकी जांच पड़ताल नहीं की जाती. रोड टैक्स भी फ़ैल रहते हैं, इस मामले में हो-हल्ला तो खूब होता है लेकिन कार्रवाई करने की बारी आती है तो सबको सांप सूंघ जाता है. वैसे, कोयला मंत्रालय के आंकड़े पर भरोसा करें तो खनन प्रहरी एप पर जनवरी 2023 तक कुल 462 शिकायतें दर्ज की गई है. 462 शिकायतों में 360 पश्चिम बंगाल और झारखंड से है. 274 मामले बंगाल के हैं और 86 शिकायतें झारखंड की है. ओडिशा, छत्तीसगढ़ की शिकायतें सबसे कम है. बंगाल में अवैध खनन से संबंधित शिकायतें बंगाल में ईसीएल लीज होल्ड एरिया की है. ईसीएल की कई परियोजनाएं झारखंड में चलती है. झारखंड में बीसीसीएल, CCL और ईसीएल कोल इंडिया की तीन अनुषंगी कंपनियां संचालित है.
पश्चिम बंगाल के बाद झारखंड से सबसे अधिक शिकायतें
मतलब साफ है कि पश्चिम बंगाल के बाद झारखंड से ही सबसे अधिक शिकायतें है. धनबाद से लेकर रांची और रांची से लेकर दिल्ली तक इसकी चर्चा खूब होती है लेकिन होता कुछ नहीं है. इधर, झारखंड सरकार ने खनिजों के अवैध ढुलाई में रेलवे की भूमिका की जांच और रोकथाम के लिए एसआईटी गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. देखना है कि आगे अब होता क्या है ,लेकिन बीसीसीएल में ब्लैक लिस्टेड हाईवा को आधार बनाकर जांच अगर हुई तो बड़ा खुलासा संभव है. बता दें कि बाइक और स्कूटर से बी सीसीएल में बालू ढ़ुलाई का खुलासा पहले हो चुका है. वह समय था धनबाद में माफिया उन्मूलन अभियान का. फिलहाल नए ढंग के माफिया पैदा हो गए है. आउटसोर्सिंग कंपनियां चलाकर अपनी ताकत इतनी अधिक कर लिए हैं कि किसी भी कार्रवाई की दिशा मोड़ने की इनमें क्षमता आ गई है. बीसीसीएल प्रबंधन के लिए भी यह जरूरी है कि कंपनी को बचाने के लिए वह स्पेशल टीम बनाकर इसकी जांच कराएं, जब तक नवोदित माफिया की आर्थिक ताकत को नहीं तोड़ा जाएगा, तब तक कानून व्यवस्था के लिए भी यह खतरा बने रहेंगे.
रिपोर्ट : सत्यभूषण सिंह, धनबाद