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कौन है वह ‘बूढ़ा’ जिसको छुड़ाने के लिए नक्सलियों ने बिछाया था जाल, और बूढ़ा पहाड़ पर जमा किया था हथियारों का जखीरा

कौन है वह ‘बूढ़ा’ जिसको छुड़ाने के लिए नक्सलियों ने बिछाया था जाल, और बूढ़ा पहाड़ पर जमा किया था हथियारों का जखीरा

रांची(RANCHI)- राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने वर्ष 2022 में लातेहार सीमा पर स्थित बुलबुल पहाड़ चलाये गये ऑपरेशन डबल बुलबुल के मामले में पुरक चार्जशीट दाखिल कर दिया है. बीस दिनों तक चले इस ऑपरेशन में एक नक्सली मारा गया था, जबकि तीन जोनल कमांडर सहित छह नक्सलियों की गिरफ्तारी हुई थी.

पुलिस का दावा है कि तब बुलबुल पहाड़ पर कुख्यात नक्सली रवीन्द्र गंझू की मौजदूगी भी थी और इस ऑपरेशन के दौरान रवीन्द्र गंझू ही नक्सलियों का नेतृत्व कर रहा था, रवीन्द्र गंझू की रणनीति, साहस और युद्घ कौशल का अंदाजा इससे किया जा सकता है कि वह बीस दिनों तक लगातार ना सिर्फ सीआरपीएफ और दूसरे पुलिस फोर्स का मुकाबला किया बल्कि पुलिस की घेराबंदी को तोड़कर अपने सभी महत्वपूर्ण साथियों को बुलबुल पहाड़ से निकलने में सफल भी रहा.

एक बड़े ऑपेरशन को असफल कर चुकी थी पुलिस

बावजूद इसके यह पुलिस बलों की भारी सफलता थी, क्योंकि दावा किया जाता है कि तब बुलबुल पहाड़ इस घातक दस्ते का जुटान एक बड़े मकसद के लिए किया गया था और उस खतरनाक योजना को सफल बनाने के लिए एक से बढ़कर एक कुख्यात और बेहद अनुभवी नक्सलियों को जुटाया गया था.

पुलिस के दावे और कई अपूष्ट सूत्रों के अनुसार तब नक्सलियों ने एक करोड़ का इनामी नक्सली प्रशांत बोस उर्फ किसन दा उर्फ बूढ़ा की गिरफ्तारी को अपनी नाक का सवाल बना दिया था. पुलिस बलों के प्रति उनका गुस्सा उफान पर था, और इसी का बदला लेने के लिए रवीन्द्र गंझू के नेतृत्व में घातक नक्सलियों का एक बड़ा दस्ता बुलबुल पहाड़ की ओर रवाना किया गया था, हालांकि पुलिस की तत्परता और हौसले के कारण नक्सलियों का यह मिशन असफल हो गया, और उसे कई महत्वपूर्ण साथियों की गिरफ्तारी भी हो गयी और एक साथी मारा भी गया.

कौन है बूढ़ा दा

अब सवाल उठता है कि प्रशांत दा, उर्फ किशन दा उर्फ बूढ़ा की गिरफ्तारी से नक्सलियों का गुस्सा आसमान पर क्यों था?  वह दूसरे नक्सलियों से अलग क्यों था? दरअसल प्रशांत दा की गिनती देश के टॉप नक्सलियों में होती है, झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश और महाराष्ट्र पुलिस को काफी दिनों से उसकी खोज थी, लेकिन उम्र अधिक होने के कारण नक्सली उसे मुख्य ऑपरेशन के बाहर निकाल चुके थें, और उसके लिए सुरक्षित ठिकानों की खोज भी की जा रही थी, नक्सलियों का एक दस्ता हमेशा उसकी हिफाजत में रहता था, उनकी कोशिश थी कि उम्र के इस पड़ाव पर बूढ़ा दा किसी भी कीमत पर पुलिस के हाथ नहीं लगें, हालांकि नक्सलियों ने उन्हे मुख्य ऑपरेशन से अलग कर दिया था, लेकिन बावजूद इसके बूढ़ा को नक्सलियों का ब्रेन माना जाता था और वह उम्रे के इस पड़ाव पर भी खतरनाक से खतरनाक योजना को बनाने में सक्षम था, रणनीति और युद्घ कौशल के बारे में उसके कथन को नक्सिलयों के बीच ब्रह्म वाक्य माना जाता था.

सारंडा के आजाद क्षेत्र में बूढ़ा दा को रहने की बनायी गयी रणनीति

इसीलिए चलने फिरने में असमर्थ हो चुके प्रशांत दा नक्सलियों ने उसे झारखंड ओडिसा में फैले सारंडा जंगल के ‘आजाद क्षेत्र’ में रखा था, लेकिन बूढ़ा दा कई गंभीर बीमारियों की जकड़ में आ चुके थें, शरीर के एक हिस्से में पक्षाघात का भी सामना करना पड़ रहा था, उनकी हालत देख नक्सलियों ने उन्हे शहर ले जाकर चिकित्सा करवाने का निर्णय लिया और उन्हे राजधानी रांची की ओर रवाना किया गया, लेकिन इसी बीच झारखंड पुलिस को बूढ़ा दा के बारे में जानकारी मिल गई और रांची लाने के पहले ही उसे रांची से करीबन 70 किलोमीटर दूर चांडिल से गिरफ्तार कर लिया गया, बूढ़ा की गिरफ्तारी होते ही नक्सलियों का गुस्सा आसमान पर चढ़ गया और इसका बदला लेने के लिए रवीन्द्र गंझू के नेतृत्व में एक खतरनाक दस्ते को बुलबुल पहाड़ पर जमा होने का निर्दश दिया गया. और उसकी जवाबी कार्रवाई में पुलिस को ऑपरेशन डबल बुलबुल का संचालन करना पड़ा.

Published at:21 Aug 2023 12:09 PM (IST)
Tags:old mountain had accumulated a stock of weaponsLatehar JharkhandThe National Investigation AgencyBulbul PaharNaxalite Ravindra Ganjhu on Bulbul mountainNaxalite Prashant Bose alias Kisan Da alias Budha
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