रांची(RANCHI): एक समय था जब देश को चंद्रयान-2 का Launching पैड बनाकर HEC ने दिया था. देश में अपना गौरव रखने वाली HEC अब अपनी बदहाली को लेकर चर्चा में है. 60 दिनों से कंपनी में काम ठप है,कार्यालय गेट पर अधिकारी प्रदर्शन कर रहे हैं. कंपनी में काम करने वाले अधिकारियों को 14 माह से वेतन का भुगतान नहीं हुआ है. इन सब के पीछे का जिम्मेवार कहीं ना कहीं कंपनी के उच्च अधिकारियों की गलत नीति है. नहीं तो जो कंपनी देश के उच्च गुणवत्ता वाली कंपनी में गिनी जाती थी. वह अचानक बदहाल कैसे हो जाती. इसके पीछे कुछ सरकार का भी हाथ है. इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता है. अब कंपनी का आगे क्या होगा इसका भी डर यहां काम करने वाले लोगों को सता रहा है. इसके अलावा HEC कर्ज की भी मार झेल रही है. कंपनी की देनदारी एक हजार करोड़ से अधिक है. इसके अलावा डेढ़ करोड़ हर माह लोन की क़िस्त चुका रहा है.
HEC में काम करने वाले लोगों को पेमेंट नहीं मिलने से हालात खराब है. घर चलान भी मुश्किल हो गया है. पैसा का भुगतान नहीं होने से नाराज़ कर्मी 60 दिनों से कंपनी के गेट पर धरने पर बैठे हैं. धरने के दौरान हर दिन अलग अलग तरीके से प्रदर्शन कर रहे हैं. अधिकारियों में कंपनी के CMD में प्रति गुस्सा है. सभी लोगों एक सुर में कंपनी की बदहाली के पीछे CMD का हाथ बता रहे हैं. कर्मचारी और अधिकारियों के हड़ताल पर जाने से कंपनी में काम भी पूरी तरह से बंद है.
HEC पर एक हजार करोड़ से अधिक का कर्ज भी है. अधिकारियों को वेतन ना मिलने के पीछे यह भी एक कारण बताया जा रहा है. कंपनी की बदहाली की जानकारी कार्मिक निदेशक MK सक्सेना और निदेशक विपणन ने भारी उद्योग मंत्रालय को भी अवगत कराया है. इसके अलावा सांसद संजय सेठ ने भी इस मामले को संसद में उठाया है. लेकिन अब तक कोई भी कंपनी को सहयोग नहीं मिल सका है. जिससे कंपनी की बदहाली दूर हो सके. कम्पनी चलेगी या आगे भविष्य में बंद हो जाएगी,इसपर भी संशय बना हुआ है.
कंपनी कर कर्ज
CISF- 132 करोड़, Electicity Bill- 163 करोड़, Water Bill-58, गवर्मेंट लोन- 48, वेंडर-150, बैंक लोन-204,CPF और PPF-108,लिव वेतन-21अन्य बकाया 152
(यह सभी आंकड़े करोड़ में हैं)
कुल मिला कर कहे तो HEC को जल्द नहीं संभाला गया तो आने वाले दिनों में बंद हो सकती है. कंपनी के अधिकारियों ने बताया कि भारी उद्योग मंत्रालय के द्वारा HEC को बैंक की ओर से गारंटी दी जाती थी. जो पिछले चार वर्षों से हटा दिया गया. इस वजह से कंपनी को बदहाली में भी बैंक को क़िस्त की रकम जमा करना पड़ रहा है.
देश के आज़ादी के बाद प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू रूस दौरे पर थे. इस दौरान उन्होंने हैवी इंजीनियरिंग कंपनी देखी,उसके बाद उन्होंने भारत में भी इस तरह की कंपनी लगाने को सोचा. उस सोच के साथ रूस से लौटने के बाद उन्होंने यहां जगह का चयन किया,जिसमें रांची को चुना. जगह चयन होने के बाद कंपनी की नींव 31 दिसम्बर 1958 को रखी गयी थी. कंपनी को तैयार होने में पांच साल का समय लगा. जब कंपनी में पूरी तरह से काम चालू हो गया तब 15 नवम्बर 1963 को इसे राष्ट्र को समर्पित कर दिया. उस समय इसे मदर ऑफ आल इंडस्ट्रीज नाम दिया गया था,बाद में उसे हैवी इंजीनियरिंग उद्योग कहा गया. इस 64 वर्षों में HEC ने कई कृतिमान स्थापित किया है. HEC ने रक्षा और अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में बड़ा योगदान दिया है.