टीएनपी डेस्क(Tnp desk):- PLFI का मुखिया कुख्यात दिनेश गोप की राते जेल में कट रही है. झारखंड में इस नक्सली संगठन का एक वक्त आतंक का पर्याय था. नेपाल से दिनेश गोप की गिरफ्तारी के बाद इसकी सल्तनत हिल गई और वो किला भी दरक गया, जिसकी दीवारें काफी मजबूत मानी जाती थी. गिरफ्तार दिनेश गोप कई गहरे राज उगल रहा है और कैसे इतना बड़ा साम्राज्य खड़ा किया. इसके बारे में भी धीरे-धीरे बता रहा है.
15 दिसंबर को एनआईए की टीम ने पीएलएफआई के 23 ठिकानों पर छापेमारी की. जिसमे झारखंड के 19 स्थान गुमला,रांची,खूंटी,सिमडेगा,पलामू और पश्चिम सिंहभूम में भी दबिश दी गई. छापेमारी में सुप्रीमो दिनेश गोप के साथ दो करोड़ की ठगी करने के आरोपी निवेश कुमार औऱ सोनू पंडित भी शिकंजे में आ गया. दिनेश गोप का खासमखास सोनू पंडित को रिमांड पर लेकर पूछताछ कर रही है. संगठन के संबंध में सोनू से कई जानकारियां हासिल हो सकती है. इधर निवेश कुमार जिसने दिनेश गोप को चूना लगाया था. उसकी हकीकत से भी पर्दा उठ जाएगा.
कौन है निवेश कुमार ?
निवेश के शिकंजे में आने के बाद ये बात जरुर सामने आयेगी कि आखिर क्या उसने दिनेश गोप से ही ठगी कर डाली थी. दरअसल, एनआईए की पूछताछ में दिनेश गोप ने बताया था कि धुर्वा का निवेश कुमार उर्फ राजवीर उर्फ गांधी ने कैसे उसके साथ जालसाजी की थी, उसने हथियार के नाम पर रुपए ठगा था. वो विदेशी हथियार स्पलाई के नाम पर चालबाजी की थी. उसने वीडियो कॉल के जरिए नकली विदेशी हथियारों की तस्वीर दिखाई थी. पैसा निवेश ने ये बोलकर ठगा था कि उसके पास अत्याधुनिक हथियार है. खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा दिनेश गोप ने अपने इस फर्जीवाड़े को एनआईए के सामने बताया था.
पहले भी हुई थी गिरफ्तारी
निवेश जनवरी 2022 में रांची पुलिस के हाथों धुर्वा में गिरफ्तार हुआ था. उस दौरान एनआईए ने भी धुर्वा पुलिस से कई जानकारियां इकट्ठा की थी. निवेश कुमार पीएलएफआई के नाम पर ही झारखंड में अपनी धौंस-धमक दिखाता था. साथ ही कई वारदातों को अंजाम देता था. कई हिंसक वारदातों को मुकाम तक पहुंचाने में भी गहरी साजिश रचने में शामिल रहा है. एनआईए ने दक्षिण पश्चिम से निवेश कुमार को गिरफ्तार किया है. उसके शिकंजे में आने से कई राज खुलेंगे, क्योंकि एक वक्त इसने दिनेश गोप को भी अपने जाल में फंसाया था और उसके इशारे पर ही पीएलएफाई सुप्रीमो भी चलता था.
एक गहरी साजिश
सोनू पंडित और निवेश की गिरफ्तारी के बाद रिमांड पर लेने के बाद, एनआईए को कई अंदर की जानकारी मिलेगी. अनुसंधान में ये भी पता चलेगा कि पीएलएफआई के सदस्य झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़, ओडिशा के कोयला कारोबारियों, ट्रांसपोर्टर्स, ठेकेदारो से लेवी और रंगदारी वसूलते थे. आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने की खौफनाक साजिश भी रची जा रही थी.