टीएनपी डेस्क (Tnp desk):- राहुल गांधी की भारत जोड़ों न्याय यात्रा मणिपुर से मुंबई तक आय़ेगी . अभी जोर-शोर से ये चल रही है. इसके जरिए राहुल गांधी आगामी लोकसभा चुनाव में घूम-घूमकर मतदाताओं के करीब आना चाहते है. केन्द्र की बीजेपी सरकार के खिलाफ हल्ला बोल रहे हैं. तमाम मुद्दों को अपनी यात्रा के दौरान आम आवाम को सामने रख रहें हैं. मणिपुर से शुरु हुई भारत जोड़ों न्याय यात्रा का सफर शुरु हुआ तो लोगों की भीड़ भी जमा हुई और उनका कद भी कहीं न कहीं बढ़ा. लेकिन, झारखंड में जब उनकी यात्रा आयी , तो उतना फायदा शायद ही दिखा. इसके पीछे लगता है कि उनका बेपरवाह प्रबंधन रहा या फिर किस्मत दगा दे गयी या फिर तालमेल ठीक से नहीं बैठा. कोई भी वजह हो सकती है. लेकिन, सही बात ये भी है कि, उनकी यात्रा को जो पॉपुलरिटी मिलनी चाहिए, शायद जल, जंगल और जमीन की धरती में नहीं मिली.
कोयलांचल धनाबाद में राहुल की यात्रा
राहुल गांधी की भारत जोड़ों न्याय यात्रा बंगाल के बाद झारखंड के पाकुड़ जिले से शुरु हुई, वहां से वे दुमका, और देवघर आए. बाबानगरी देवघऱ में भोलेनाथ की पूजा-अर्चना की उस दरम्यान भीड़ भी देखी गई. सड़क के किनारे उनकी एक झलक पाने की बेताबी और बेसब्री भी नजर आई. वहां तक तो सबकुछ ठीक चल रहा था. लेकिन, इसके बाद कोयलांचल धनबाद में राहुल की यात्रा आई, तो सुबह तकरीबन आठ बजे उनकी यात्रा निकालने से सड़कों में न तो कांग्रेस कार्यकर्ताओं का उतना हुजूम नजर आया और न ही आम लोगों की उतनी भीड़ दिखाई पड़ी . इसकी वजह रही टाइमिंग क्योंकि ठंड में लोग सुबह घरों से जल्दी नहीं निकलते, बल्कि ठंड क चलते दुबके रहते हैं औऱ खिली धूप का इंतजार करते हैं. शायद, इसी के चलते उनकी यात्रा के दौरान सड़कों में उतनी भीड़ नजर नहीं आयी. यहां सवाल है कि किसने इस तरह का मैनजेमेंट किया. जबकि यहीं धनबाद लोकसभा सीट से कांग्रेस का दावा मजबूत रहा . यहां बीजेपी के पीएन सिंह लोकसभा जीतने से पहले ददई दुबे कांग्रेस से चुनाव जीत चुके हैं. इतना ही नहीं कोयलांचल धनबाद में कांग्रेस की पैठ भी रही है. इसके बावजूद राहुल गांधी के आने के बाद इस तरह की तैयारी क्यों की गई थी . जबकि, झारखंड प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष राजेश ठाकुर भी उनके साथ-साथ चल रहे थे . आखिर उन्होंने इस पर पहले से संज्ञान क्यों नहीं लिया. आखिर इस पर तैयारी क्यों नहीं की गई.
राजधानी रांची में राहुल की यात्रा
राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा धनबाद के बाद बोकारो, रामगढ़ भी आई, इसके बाद राजधानी रांची पहुंची. इस दिन इत्तेफाक कहिए या फिर तकदीर का फंसाना . इसी दिन झारखंड विधानसभा में चंपई सरकार का विश्वास मत होना था. जिसके चलते कांग्रेस के विधायक विधानसभा में थे. इसका खामियाजा और असर भी राहुल गांधी की यात्रा पर पड़ा. जबकि, राजधानी रांची में ही इस यात्रा की धमक सबसे ज्यादा होनी चाहिए थी, क्योंकि यहीं से एक बड़ा संदेश राज्य को जाता . लेकिन, टाइमिंग के चलते यहां भी उनकी यात्रा को उतनी कवरेज नहीं मिली. मानो कब राहुल रांची आये और चले गये.
भगवान बिरसा के गांव क्यों नहीं गये
रांची के बाद राहुल गांधी का कांरवा भगवान बिरसा मुंडा की धरती खूंटी पहुंची. झारखंड यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने आदिवासियों के हक-हुकूक और उनके साथ हुए शोषण की बात तो जरुर उठायी. जिससे लोग गदगद भी हुए.लेकिन, यहां सवाल ये उठ रहा है कि आखिर राहुल भगवान बिरसा के गांव उलिहातू क्यों नहीं गये. आखिर उनकी इस यात्रा में वहां नहीं जाने की वजह क्या रही . अगर वहां जाते तो एक संदेश जरुर जाता . एक झुकाव भी कांग्रेस की तरफ होता. याद कीजिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पिछले साल नवंबर में उलिहातू गये थे और भगवान बिरसा के आंगन की मिट्टी को नमन भी किया था.
राहुल गांधी की भारत जोड़ों न्याय यात्रा में लोगों का उत्साह दिखा है. इससे इंकार नहीं किया जा सकता. लेकिन, कही न कहीं मिस मैनेजमेंट देखा गया है. जिसे दुरुस्त करने की जरुरत है. एकबार फिर राहुल की न्याय यात्रा झारखंड की धरती पर 14 फरवरी को कदम रखेगी. गढवा और पलामू में उनका रोड शो है. अब देखना है कि इस यात्रा के दौरान झारखंड कांग्रेस उनके लिए क्या खास तैयारियां करती है, ताकि यात्रा सफलता पूर्वक गुजरे.