रांची (RANCHI): महागामा विधायक दीपिका पांडे सिंह हेमंत सोरेन की कैबिनेट में शामिल हो गई हैं. दीपिका पांडे सिंह के राजनीतिक करियर और उनके पारिवारिक पृष्ठभूमि पर नजर डालें तो वे एक बेहद मजबूत राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखती हैं. उन्होंने कांग्रेस में युवा कांग्रेस से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की, जिसके बाद उन्होंने विधायक तक का सफर तय किया और अब वे मंत्री भी बन गई हैं. बता दें कि दीपिका पांडे सिंह गोड्डा जिले के महागामा विधानसभा क्षेत्र से जीत दर्ज कर चुकी हैं.
रांची में हुआ दीपिका पांडे सिंह का जन्म
दीपिका पांडे सिंह का जन्म 22 जून 1976 को रांची में हुआ था. दीपिका पांडे सिंह का जन्म एक बड़े राजनीतिक परिवार में हुआ था. उनकी मां महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष रह चुकी हैं. शुरुआत में दीपिका पांडे सिंह ने पढ़ाई की और अपना ज्यादातर समय रांची में ही बिताया. उन्होंने 1994-97 में सेंट जेवियर्स कॉलेज रांची से बायोलॉजी में बीएससी की डिग्री हासिल की. उन्होंने 1998 से 2000 तक जेवियर इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल सर्विसेज से एमबीए की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद उन्होंने 2008 से 11 तक कोऑपरेटिव कॉलेज, जमशेदपुर से एलएलबी की डिग्री हासिल की.
2014 में मिली जिला अध्यक्ष की जिम्मेदारी
दीपिका पांडे सिंह ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की युवा शाखा में झारखंड की महासचिव के तौर पर अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी. बाद में उन्हें युवा कांग्रेस की राष्ट्रीय सचिव के तौर पर राष्ट्रीय समिति में भी जगह दी गई. 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान उन्हें गोड्डा में कांग्रेस को मजबूत करने की जिम्मेदारी दी गई. दीपिका को गोड्डा कांग्रेस का जिला अध्यक्ष बनाया गया. कांग्रेस का झंडा बुलंद करते हुए कई आंदोलनों में उनका दमदार रूप देखने को मिला. जिला अध्यक्ष के तौर पर कार्यकाल के दौरान वे युवा और महिला समेत कई मुद्दों पर अपनी आवाज बुलंद करती नजर आईं. इस दौरान उन्होंने पैदल गांवों का दौरा भी किया और लोगों को कांग्रेस से जोड़ना शुरू किया.
कांग्रेस को मिली ताकत, कई आंदोलन में दिखीं आगे
ईसीएल ललमटिया में खनन के दौरान हुए हादसे में दीपिका पांडे सिंह मजदूरों के परिजनों के साथ खड़ी नजर आईं. मजदूरों को न्याय दिलाने के लिए उन्होंने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल भी की थी. लंबे आंदोलन के बाद तत्कालीन सरकार को दीपिका पांडे के सामने झुकना पड़ा और मजदूरों के पक्ष में मांगों को मानना पड़ा. दीपिका पांडे सिंह ने 2017 में शराबबंदी के मुद्दे पर भी आंदोलन चलाया, दीपिका पांडे सिंह ने इस मुद्दे से सीधे तौर पर महिलाओं को जोड़ने की कोशिश की. इन सब बातों को देखते हुए दीपिका पांडे सिंह का कद कांग्रेस में बढ़ा और उन्हें 2018 में बिहार का प्रभारी बनाया गया.
2019 में गठबंधन ने जताया भरोसा
अब दीपिका पांडे सिंह को एक मजबूत ताकत की जरूरत थी. ताकि जनता के काम भी पूरे हो सकें और कांग्रेस भी महागामा में एक मजबूत उम्मीदवार की तलाश कर रही थी. ऐसे में दीपिका पांडे सिंह सबसे मजबूत नजर आईं और उन्हें 2019 के विधानसभा चुनाव में गठबंधन की ओर से उम्मीदवार घोषित किया गया. दीपिका पांडे सिंह ने अपने सामने भाजपा उम्मीदवार को 12000 से ज्यादा वोटों से हराया. अब 2024 में दीपिका पांडे सिंह को हेमंत कैबिनेट में मंत्री बनाया गया है.
दीपिका का मजबूत परिवार से नाता
दीपिका पांडे सिंह की पारिवारिक पृष्ठभूमि पर गौर करें तो दीपिका पांडे सिंह की मां महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष रह चुकी हैं, जबकि उनके ससुर अवध बिहारी सिंह राजनीतिक परिवार का बड़ा चेहरा हैं. वे बिहार सरकार के पूर्व ग्रामीण विकास विभाग मंत्री थे और झारखंड के महागामा से चार बार विधायक चुने गए थे.