Tnp desk:-नये साल की पहली तारीख में गांडेय विधानसभा से जेएमएम विधायक सरफराज अहमद ने इस्तीफा दे दिया . उनके हटने से झारखंड की सियासत का तापमान इस कड़ाके की सर्दी में काफी बढ़ गया था. ऐसा लगा मानों ईडी का शिकंजा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर कस जाएगा, उनकी गिरफ्तारी हो जाएगी और ऐसी हालत में गांडेय सीट पर मुख्यमंत्री सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन चुनाव लड़ेगी और जीतने पर राज्य की बागडोर संभालेगी. ऐसे कयास और चर्चाए बाजार में खूब हो रही थी. ये तो बिल्कुल सच है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिए जांच एजेंसी का बार-बार समन मिलना परेशानियों को ही पैदा कर रहा है. इसकी काट निकलने की अभी तक की हर जुगत उनकी फेल साबित ही हुई है. ऐसी संकट की स्थिति में सीएम को निकलना एक चुनौती बन गया है.
गांडेय की खाली सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा जल्द चुनाव चाहती है. लेकिन, इधर विपक्ष लगातार इस बात को लेकर अड़ा है कि, विधानसभा चुनाव के लिए एक साल का समय ही बचा हुआ. ऐसी स्थिति में उपचुनाव नहीं हो सकता, इससे राज्य में संवैधानिक संकट पैदा हो जाएगा. इसे लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ मंगलवार को राज्यपाल से भी मुलकात की और इस बाबत एक पत्र भी सौंपा.
सरफराज अहमद ने क्यों दी कुर्बानी !
सवाल यहां उठ रहा था कि आखिर सरफराज अहमद ने क्यों कुर्बानी दी, क्यों बचे वक्त से पहले विधायकी से इस्तीफा दे दिया . हालांकि, उनके हटने के बाद ही उनके राज्यसभा भेजे जाने की चर्चा जोरों पर थी. अब लगता है कि ये बाते सच भी साबित हो जाएगी. यानि , अगर राज्यसभा सरफराज चले जाते है, तो अगले छह साल के लिए फिर माननीय बने ही रहेंगे. एक तरह से उनकी तो बल्ले ही बल्ले है, भले गांडेय का उपचुनाव हो या फिर न हो .
कांगेस की सीट से सरफराज जा सकते हैं राज्यसभा
हेमंत सोरेन ने जब विधायक दल की बैठक बुलायी थी, इस दौरान सरफराज अहमद भी शिरकत की थी. उनके चेहरे पर शिकन नहीं, ब्लकि मुस्कान पत्रकारों के सवाल पर कायम थी. इस्तीफे का न तो कारण बता रहे थे और न ही आगे की सियासी भविष्य पर ही पत्ते खोल रहे थे. हालांकि, समय और समीकरण सबकुछ बता ही देता है. आगामी मई में कांग्रेस कोटे से धीरज साहू की राज्यसभा सीट खाली हो रही है. जी हां वही धीरज साहू जिनके घर से नोटों की बेशुमार गड्डिया मिली थी. उनकी दौलत इतनी थी गिनते-गिनते मशीन गर्म और खराब हो गयी थी. धीरज के साथ ही भाजपा के समीर उरांव का भी कार्यकाल 3 मई को पूरा हो जाएगा.
नंबर गेम में जेएमएम आगे
कांग्रेस कोटे पर जेएमएम की नजर है. हालांकि, इसमे कुछ खींचतान हो सकती है. क्योंकि सरकार बनने के बाद दो बार हुए राज्यसभा चुनाव में मार्च 2020 में जेएमएम के शिबू सोरेन और 2022 में महुआ माजी राज्यसभा गई थी. ऐसे में तीसरे का भी झारखंड मुक्ति मोर्चा से राज्यसभा भेजने के लिए कांग्रेस की सहमति जरुरी है. सच यही है कि दावा तो कांग्रेस का ही बनता है. लेकिन, गठबंधन धर्म के नाते शायद जेएमएम को परेशानी न हो. दूसरी चीज ये है कि झारखंड विधानसभा में जेएमएम की 29 सीट है, जबकि राज्यसभा की एक सीट जीतने के लिए 28 वोटों की जरुरत होगी. ऐसा मे सरफराज अहमद के लिए दिल्ली पहुंचना ज्यादा मुश्किल नहीं लगता है. हालांकि, अभी कोई भी इस पर कुछ भी नहीं बोल रहा है.
मई के बाद ही मालूम पड़ेगा कि आखिर कांग्रेस और भाजपा के कोटे से कौन राज्यसभा पहुंचेगा. अभी जो विश्लेषण और आकलन किया जा रहा है. इससे तो सरफराज अहमद के इस्तीफे की वजह सामने आ रही है. इसमे कितनी हकीकत और कितना फंसाना है. ये तो वक्त तय करेगा. सौ फीसदी सच तो यही है कि गांडेय में उपचुनाव हो या फिर न हो . लेकिन, अगर सरफराज अहमद जेएमएम की तरफ से राज्यसभा चले जाते हैं. तो उनके लिए तो दोनों हाथों में लड्डु है
रिपोर्ट- शिवपूजन सिंह