टीएनपी डेस्क(Tnp desk):- झारखंड के साहिबगंज में अवैध पत्थर माइनिंग घोटाले के जांच की जद में कई लोग है. जेल के सलाखों के पीछे राते मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा की भी कट रही है. लेकिन, इसके मुख्य सरगना माने जा रहे राजेश यादव उर्फ दाहू यादव अभी भी गिरफ्त से बाहर है. सोलह महीनों से प्रदेश की पुलिस के साथ ईडी और सीबीआई की पकड़ से दाहू यादव दूर है. चौनुती तो इस कदर दाहू यादव बना हुआ है कि सुप्रीम कोर्ट तक ने उसे अगस्त महीने में दो हफ्ते के भीतर ईडी कोर्ट में आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया. लेकिन, वह अनदेखी ही नहीं, बल्कि कानून को भी हल्के में ले रहा है. फरार चल रहे दाहू यादव की तलाश में मंगलवार को भी उसके आवास पर सीबीआई की टीम ने दबिश दी. लगभग 40 मिनट तक सीबीआई की टीम रुकी और छानबीन के बाद लौट गई.
100 से ज्यादा छापेमारी
अवैध खनन का माफिया दाहू यादव को पक़ड़ने के लिए 100 से ज्यादा बार छापेमारी की जा चुकी है. लेकिन, गैरकानूनी तरीके से पत्थर का काला कारोबार करने वाले सरगना गिरफ्तारी से दूर है. दाहू यादव के खिलाफ ईडी की अदालत में चार्जशीट फाइल कर चुकी है. बावजूद कोई सुगबुगाहट या फिक्र दाहू की तरफ से नहीं देखी गई. मानो कायद-कानून उसके लिए कठपुतली है.
ईडी के समन पर पेश हुआ था दाहू
चौकाने वाली औऱ सोचने वाली बात तो ये भी है कि दाहू यादव ईडी के समन पर हाजिरी लगाई थी. वह आखिरी बार 18 जुलाई 2022 को रांची स्थित क्षेत्रीय कार्यालय में पेश हुआ था. अगले दिन मां की बीमारी का बहाना बनाकर मोहलत मांगी थी. इसके बाद कई बार ईडी का समन हुआ. लेकिन, दाहू यादव कभी पेश ही नहीं हुआ. जांच जैसे-जैसी बढ़ी दाहु यादव के काले कारोबार और बेशुमार दौलत का भी पता चला . अवैध तरीके से जमा की गई इस संपत्ति के मालिक दाहू की तलाश में एजेंसिया भटकती रही. लेकिन उसे शिकंजे में नहीं ले सकी. समन की अनदेखी करने के बाद ईडी ने कोर्ट में कुर्की जब्ती के लिए अर्जी दी. इसके रुकवाने के लिए दाहू ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की, लेकिन वह सामने नहीं आया. हालांकि, हाईकोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी. इसके बाद उसे सुप्रीम कोर्ट से भई राहत नहीं मिली. जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की अदालत ने दाहू यादव की याचिका खारिज करते हुए उसे 15 दिनों में ईडी कोर्ट में सरेंडर करने का आदेश दिया था. उसने इसकी भी अवेहलना की.
दाहू के बारे में बाबूलाल मरांडी ने क्या बोला
दाहू यादव को लेकर झारखंड बीजेपी के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी लगातार सोशल मीडिया साइट पर लिखते रहे हैं . इसे लेकर राज्य की हेमंत सरकार को खूब सुनाने के साथ-साथ बचाने का आरोप लगाते आए हैं. उन्होंने लिखा था कि साहिबगंज पुलिस और प्रशासन के लोग जानते हैं कि दाहू मुफसिल थाना के पहाड़ पर भारी संख्या में हथियारबंद लोगों के साथ मजे से रह औऱ घूम रहा है. लोगों से आसानी से मिलता-जुलता है. बाबूलाल ने आरोप लगाया था कि पुलिस की सुरक्षा में उसे पहाड़ पहुंचाया जा रहा है.
कौन है दाहू यादव ?
अवैध खनन घोटाले में आकर दाहू यादव सुर्खियों में आ गया. लेकिन, दाहू का पहले से ही अपराधिक इतिहास रहा है. सिर्फ पत्थर खनन ही नहीं, बल्कि हत्या-अपहरण, लूटपाट और रंगदारी वसूली के दो दर्जन से भी ज्यादा आपराधिक मामले में दाहू का नाम आया है. ईडी ने जो 30 करोड़ का मालवाहक जहाज जब्त किया था. वो दाहू यादव का ही बताया जाता है. जिसके जरिए बालू, पत्थर को साहिबगंज से गंगा नदी के रास्ते बिहार और बंगाल भेजा जाता था. साहिबगंज के शोभनपुर भट्टा गांव का रहने वाला दाहू यादव तकरीबन एक हजार करोड़ के अवैध माइनिंग घोटाले का सबसे बड़ा सरगना है.