रांची(RANCHI): - आपने सुना होगा वह गाना जो आमतौर पर हर विवाह- शादी में बैंड पार्टी वाले बजाते हैं.'घोड़ी पर होके सवार चला है दूल्हा यार कमरिया में बांधे तलवार..'लेकिन हम एक ऐसा विवाह दिखाते हैं जो इन सबसे अलग है. दूल्हा घोड़ी के बजाय किसी और चीज पर दुल्हन के दरवाजे तक पहुंचता है. बिल्कुल अलग अंदाज में. जी हां अब सुनिए दूल्हा घोड़ी के बजाय जेसीबी मशीन पर अपनी दुल्हनिया को लाने के लिए उसके दरवाजे तक पहुंचता है.
यह कहानी कोई काल्पनिक नहीं बल्कि सच है. रांची के टाटीसिल्वे में एक ऐसी ही बारात देखने को मिली. दूल्हा अपनी जेसीबी मशीन से अपनी दुल्हन आरती को विवाह कर विदाई करने जाता है. दूल्हा कृष्णा ने जेसीबी मशीन को अच्छी तरह से सजाया. जिस प्रकार से रथ या किसी बारात गाड़ी को सजाया जाता है.इस तरह से जेसीबी मशीन को भी सजाया गया. दूल्हे के साथ-साथ सहवाला और कुछ चुने हुए परिवार के लोग जेसीबी मशीन पर दरवाजा लगाते हैं. यानी दुल्हन के दरवाजे आते हैं. दरवाजे पर दूल्हे का परंपरागत तरीके से स्वागत होता है. दुल्हन आरती उसे वरमाला पहनती है. बारात के लोग भी यह दृश्य देखकर हैरत में पड़ जाते हैं. सराती तो आश्चर्य में हैं ही.
बात यहीं तक नहीं रुकती है. दूल्हा कृष्णा ब्याह करके जब अपने घर दुल्हनिया को लेकर जाता है तो वह जेसीबी मशीन पर ही जाता है. यानी जेसीबी मशीन दुल्हन की डोली बन जाती है. यह दृश्य देखकर लोग आश्चर्य में पड़ जाते हैं. दुल्हन भी खुशी-खुशी जेसीबी मशीन से अपने ससुराल पहुंच जाती है. इस पर उसका द्वारा छेकाई होता है. रांची के टाटी सिलवे में बारात का यह दृश्य चर्चा का विषय बना हुआ है. बताया जाता है कि दूल्हा कृष्णा की ही यह जेसीबी मशीन थी. उसने ही सारी प्लानिंग की. और इस विवाह को एक अलग रंग देने का प्रयास किया.